
लखनऊ कभी रक्षा उत्पादों के लिए रूस और अमेरिका जैसे देशों का मुंह देखने वाला भारत अब वह भारत नहीं रहा। आज रक्षा उत्पादों के मामले में भारत अत्यंत समृद्ध और आत्म निर्भर देशों की कतार में खड़ा हो चुका है। रूस, चीन और फ्रांस जैसे देशों की बराबरी करने के नजदीक खड़े इस भविष्य के भारत की झलक राजधानी लखनऊ में दिखाई पड़ने लगी है। लखनऊ में डिफेंस एक्सपो के रिहर्सल में आज भारत की रक्षा गर्जना से पूरा विश्व रोमांचित हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डिफेंस एक्सपो का उद्घाटन करेंगे। इसका मकसद रक्षा क्षेत्र के मिर्नाण कार्यो में निजी क्षेत्रों की भागीदारी को बढ़ाने को लेकर है।
डिफेंस एक्सपो 2020 अंतरराष्ट्रीय स्तर का एक महत्वपूर्ण आयोजन है। इसमें भाग लेने वाले रक्षा उपकरणों और तकनीकों के प्रदर्शकों (एग्जिबिटर्स) की संख्या और आयोजन स्थल के हिसाब से यह क्षेत्रफल वाला सबसे बड़ा डिफेंस एक्सपो होगा। यह एक्सपो उत्तर प्रदेश में विकसित किये जा रहे डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरीडोर को गति देगा। मेक इन इंडिया पर आधारित डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरीडोर की स्थापना से भारत रक्षा उपकरणों का आयातक नहीं बल्कि निर्यातक बनकर उभरेगा।

कहा जा रहा है कि इस आयोजन के बाद उत्तर प्रदेश डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग और एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग में दुनिया का महत्वपूर्ण स्थल बन जाएगा। इसके व्यापक स्वरूप् का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इससे पहले वर्ष 2018 में चेन्नई में एक्सपो का आयोजन 80 एकड़ क्षेत्र में हुआ था। जबकि इस बार लखनऊ में यह आयेाजन 200 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में हो रहा है। इसका एक भाग यहां गोमती रिवर फ्रंट पर भी आयोजित किया जाएगा। डिफेन्स एक्सपो का आयोजन डिपार्टमेंट आफ डिफेंस प्रोडक्शन की तरफ से हर दो साल में किया जाता है।
डिफेंस एक्सपो केंद्र सरकार के सहयोग से 5 से 9 फरवरी तक लखनऊ में हो रहा है। इसमें देश-दुनिया की नामी कंपनियां, सरकारी प्रतिनिधि और निवेशक शामिल होंगे। इस एक्सपो में अमेरिका, इजराइल, इंग्लैड स्वीडन रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली सहित तमाम देशों के डेलीगेट शामिल होने के लिए पहुंचेंगे। जो अपनी कम्पनियों अपने उत्पदांे का प्रदर्शन करेंगी। इसके साथ ही गोमती किनारे रिवर फ्रंट पर लाइव शो होगा, जिसमें भारतीय सेना, नौसेना व वायुसेना के जांबाज अपने हुनर का प्रदर्शन अत्याधुनिक एयरक्राफ्टों व हथियारों के साथ करेंगे।
इस रक्षा प्रदर्शनी के माध्यम से इस बात का पता चल सकेगा कि देश में ही बने रक्षा उपकरण मेक इन इंडिया के सपने को साकार कर रहे हैं। इसमें पब्लिक व प्राइवेट सेक्टर के रक्षा क्षेत्रों के निवेशकों के साथ एमएसएमई इकाइयां भी शामिल होंगी। रक्षा क्षेत्र के मामले में वैसे भी यूपी की पोजीशन अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर हैं। हिन्दुस्तान एयरोनेटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की चार प्रमुख इकाइयां लखनऊ कानपुर प्रयागराज तथा कोरवा (अमेठी) में है। इसके अलावा नौ आर्डेनेंस फैक्ट्रियां हैं जो कानपुर कोरवा फिरोजाबाद और शाहजहांपुर में हैं।
एक्सपो में यूपी, गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु व महाराष्ट्र का विशेष फोकस होगा। यहां आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस, साइबर सिक्योरिटी, सॉफ्टवेयर निर्यात, सुरक्षित संवाद व नवीनतम औद्योगिक उपायों पर चर्चा होगी। एक्सपो के लिए अब तक 22118 स्क्वायर मीटर भूखंड आरक्षित कराया जा चुका है। प्रदर्शनी के लिए अब तक 302 एजेंसियों ने पंजीकरण करा लिया है जिनमें 43 विदेशी कंपनियां हैं। इसके पहले चेन्नई में 2018 में हुए पिछले डिफेंस एक्सपो में 702 प्रदर्शकों ने पंजीकरण कराया था, जबकि इस बार यह संख्या 925 हो चुकी है। चेन्नई का एक्सपो 80 एकड़ क्षेत्रफल पर आयोजित हुआ था। वहीं लखनऊ में होने जा रहा डिफेंस एक्सपो 200 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में आयोजित होगा। इसके अलावा डिफेंस एक्सपो का दूसरा भाग गोमती रिवर फ्रंट पर भी आयोजित होगा।
खास बात यह है कि दो रक्षा गलियारों में एक यूपी में विकसित किया जा रहा है। इस कॉरिडोर के लिए अलीगढ़ नोड्स पर आवश्यक भूमि का अधिग्रहण या खरीद की कार्रवाई हो गई है। झांसी व चित्रकूट में यह काम तेजी से चल रहा है। जबकि कानपुर व जालौन में भी काम ने गति पकड़ी है। डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरीडोर के तहत छह नोड विकसित किये जा रहे हैं। राज्य सरकार की डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी देश की सबसे आकर्षक नीति है जो डिफेंस कॉरीडोर को रफ्तार देने में सहायक होगी।