हेपेटाइटिस ए और ई बीमारियां गंदे और दूषित पानी के कारण ही होती हैं. हेपेटाइटिस ए और ई से बचने के लिए हाथों की सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए और जहां तक संभव हो उबला हुआ पानी ही पीने के लिए प्रयोग करना चाहिए. मथुरा स्थित नयति मेडिसिटी के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. कपिल शर्मा ने कहा, “गर्भवती महिलाओं को साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि उनके द्वारा गर्भ में पल रहा बच्चा भी गंदगी की चपेट में आ सकता है.
सामान्य तौर पर अगर हेपेटाइटिस ई होता है तो वह ठीक भी हो जाता है लेकिन गर्भवती महिलाओं में हेपेटाइटिस ई जानलेवा साबित हो सकता है.” हेपेटाइटिस एक वायरस है जोकि दूषित रक्त की वजह से फैलता है, जिससे लीवर में सूजन आ जाती है और यही लीवर से जुड़ी गंभीर समस्याओं की वजह भी बन जाती है.
पीलिया, उल्टी, भूख न लगना, वजन कम होना, पेट की मांसपेशियों में दर्द होना तथा बुखार और थकान हेपेटाइटिस की वजह से हो सकते हैं. उन्होंने कुछ सुझाव देते हुए कहा, “हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाएं, सुई, टूथब्रश एवं रेजर किसी के भी साथ शेयर न करें, पौष्टिक खुराक लें, ब्लड की पूरी जांच के बाद ही चढ़वाएं, धूम्रपान एवं शराब के सेवन से बचें. हेपेटाइटिस का समय पर इलाज न कराने से लीवर सिरोसिस में बदल सकता है. पेट में पानी का आना, खून की उल्टी और बेहोशी का होना लीवर सिरोसिस के लक्षण हैं.”
इसके अलावा अगर हेपेटाइटिस बी की बात करें तो इसके शुरुआती लक्षण गैर-विशिष्ट हो सकते हैं और इसमें बुखार, फ्लू जैसी तकलीफ तथा जोड़ों में दर्द शामिल हो सकता है. तीव्र हेपेटाइटिस के लक्षणों में थकान, भूख की कमी, मतली, पीलिया, और पेट के दायीं ओर दर्द शामिल हो सकता है.