
हम सभी अपनी जॉब को लेकर कोई ना कोई शिकायत करते रहते हैं. खासकर कि जब हम घर से जॉब के लिए निकलते हैं तो ट्रैफिक जाम, बस, ट्रेन की भीड़, धुप, बारिश, कडकडाती ठण्ड इन सभी को लेकर हमारी शिकायतें ख़त्म नहीं होती हैं. लेकिन जब आप छत्तीसगढ़ की रहने वाली सुनीता ठाकुर की नौकरी के बारे में सुनोगे तो आपको अपनी परेशानियाँ बहुत मामूली लगने लगेगी.
इनसे मिलिए- ये हैं सुनीता ठाकुर.
सुनीता एक ANM (Auxiliary Nurse Midwife) हैं. यदि आपको ANM के बारे में नहीं पता तो बता दे कि ये वो व्यक्ति होता हैं जो गाँव गाँव जाकर वहां हेल्थ से जुड़ी सर्विस उपलब्ध करवाता हैं. आपको जान आश्चर्य होगा कि सुनीता जिस गाँव में रोजाना जाती हैं वो उनके घर से 8 से 10 किलोमीटर की दुरी पर हैं. अपने काम के प्रति इमानदार सुनीता रोजाना ये लम्बा सफ़र नदी और जंगल पार कर पूरा करती हैं. लेकिन सुनीता की मुश्किलें यहीं ख़त्म नहीं होती हैं. सुनीता जिस नदी को पार करती हैं उसमे ढेरो खूंखार मगरमच्छ रहते हैं. ऐसे में सुनीता रोजाना एक छोटी सी नाव में सवार होकर इस नदी को पार कर रोज अपनी जान दांव पर लगाती हैं.
नदी पार करने के बाद सुनीता को कुछ किलोमीटर जंगल पार कर के भी जाना होता हैं. चुकी इस इलाके में नक्सलवादी कुछ ज्यादा ही एक्टिव रहते हैं इसलिए सुनीता को इनसे भी जान का खतरा बना रहता हैं. सुनीता ये जोखिम भरा काम पिछले 7 सालों से करती आ रही हैं. इस बीच कई बार नदी पार करते समय मगरमच्छ इनकी नाव पर अटैक कर चुके हैं. लेकिन इसके बावजूद सुनीता अपनी नौकरी को पूरी इमानदारी से करती हैं.
छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा का ये छोटा सा गाँव शहरी मेडिकल सुविधाओं से काफी दूर हैं. ऐसे में सुनीता को इस गाँव के लोगो की सेहत की चिंता हमेशा सताए रहती हैं. यही वजह हैं कि वो रोजाना अपनी नौकरी को पूरी इमानदारी और लगन से करती हैं. अपनी नौकरी के दौरान वे गाँव की गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को मेडिकल सेवाएं मुहैया करवाती हैं.
जरा सोचिए सुनीता की जगह कोई और व्यक्ति होता तो इतने सारे खतरों को देख कब की ये नौकरी छोड़ दिया होता. लेकिन सुनीता को अपनी जान से ज्यादा गाँव के लोगो की हेल्थ की चिंता हैं. यदि सुनीता ये नौकरी छोड़ देगी तो उन्हें डर हैं कि उनकी जगह आया दूसरा व्यक्ति शायद ही इतनी ईमानदारी से इस काम को लगातार कर पाएगा
सुनीता की इस बहादुरी, काम के प्रति लगन और नेक सोच को देख हमारा सीना तो गर्व से फूल गया. इतनी खतरनाक नौकरी को करने में जहाँ एक बार लड़के भी 10 बार सोचेंगे वहीँ सुनीता इसे पिछले 7 सालों से करती आ रही हैं. सुनीता जैसी महिलाओं को देख हम गर्व से कह सकते हैं कि हमारे देश की बेटियां लड़को के बराबर ही नहीं बल्कि उनसे आगे भी हैं.
उधर सोशल मीडिया पर भी जब लोगो को सुनीता की कहानी के बारे में पता चला तो हर कोई उनकी तारीफों के पूल बाँधने लगा. हमारी भी आप से विनती हैं कि आप सुनीता की इस कहानी को शेयर कर आग की तरह फैला दे. इस तरह देश की बेटियों को जीवन में संघर्ष करने और आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा मिलेगी.