इस गांव का पता जानकर फौरन पहुंच जाएं, यहां शादी के लिए तड़प रही हैं हसीनाएं

हर लड़की का सपना होता है कि उसकी शादी धूम धाम से हो। और हमारे देश में थोड़ा मुश्किल है किसी लड़की की शादी करना लेकिन इतना भी मुश्किल नही है। लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसी जगह के बारे में जहाँ लड़की की शादी करना बेहद ही मुश्किल का काम है वो भी तब जबयहाँ कि लड़कियां काफी खूबसूरत है। जानिए इनकी शादी ना होने के पीछे का कारण।

दरअसल, ब्राजील के नोइवा के एक कस्बे में 20 से 35 साल की महिलाए आज भी अपने लिए लड़कों का इंतज़ार में बैठी है। ऐसी हज़ारों लड़कियां हैं जो यहाँ शादी करने के लिए तरस रही है। यहाँ की लड़कियां बेहद खूबसूरत है और यहाँ की सबसे बड़ी समस्या है यहाँ लड़को की होना है। यहाँ की लड़कियां शादी के सपने तो देखती हैं लेकिन शादी के ही कारण वो ये क़स्बा छोड़ना नही चाहती है।

वो चाहती हैं जो भी उनसे शादी करे वो यही आ कर बस जाए। जिससे उन्हें ये क़स्बा छोड़ना ना पड़े। यहाँ बहुत कम शादी शुदा मर्द रहते हैं ,और जो कुंवारे हैं वो उन लड़कियों की उम्र से बहुत ही कम उम्र के हैं। यहां खेती-किसानी समेत कस्बे में महिलाओं का ही वर्चस्व चलता है। उन्हीं के बनाए नियम कायदे हैं जिन पर पुरुषों को चलना पड़ता है।आज हम बात करने जा रहे है ब्राजील के एक गाँव की जहाँ पर लडकियों की नही बल्कि लडको की कमी है दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दें ब्राजील में पहाडियों के बीचो-बीच एक छोटा सा गाँव है जिसका नाम है कोरडेएरो .

नोइवा दो कोरडेएरो। ब्राजील के इस गांव की कहानी ग्रीक की पौराणिक कथाओं जैसी है, जहां पहाड़ियों के बीच एक छोटा-सा गांव हैं और यहां रहने वाली खूबसूरत महिलाओं को एक अदद प्यार की तलाश है। करीब-करीब यही सच्चाई ब्राजील के इस नोइवा दो कोरडेएरो कस्बे की भी है। 600 महिलाओं वाले इस गांव में अविवाहित पुरुषों का मिलना बेहद दुर्लभ है और शादी के लिए यहां की लड़कियों की तलाश अधूरी है। यहां के पुरूष काम के लिए शहरों में रह रहे हैं, जबकि पूरे गांव की जिम्मेदारी महिलाओं के कंधों पर है।

कस्बे की 600 महिलाओं में ज्यादातर की उम्र 20 से 35 साल के बीच है। यहां रहने वाली नेल्मा फर्नांडिस के मुताबिक, कस्बे में शादीशुदा मर्द है या फिर कोई रिश्तेदार। इनमें से ज्यादातर रिश्ते में भाई लगते हैं। कस्बे में रहने वाली लड़कियों का कहना है कि वो सभी प्यार और शादी का सपना देखती हैं, लेकिन वो ये कस्बा नहीं छोड़ना चाहती हैं। वो शादी के बाद भी यहीं रहना चाहती हैं। वो चाहती हैं कि शादी के बाद लड़का उनके कस्बे में आकर उन्हीं के नियम-कायदों का पालन कर रहे।

कस्बे में रहने वाली कुछ महिलाएं शादीशुदा हैं, लेकिन उनके पति और 18 साल से बड़े बेटे काम के लिए कस्बे से दूर शहर में रहते हैं। लिहाजा, यहां खेती-किसानी से लेकर बाकी सभी काम कस्बे की महिलाएं ही संभालती हैं। कम्युनिटी हॉल के लिए टीवी खरीदने से लेकर हर तरह का प्रोग्राम ये मिल-जुलकर करती हैं। इस कस्बे की पहचान मजबूत महिला समुदाय की वजह से है। इसकी स्थापना मारिया सेनहोरिनहा डी लीमा ने की थी, जिन्हें कुछ कारणों से 1891 में अपने चर्च और घर से निकाल दिया गया था।