झांसी । मंगलवार को मेडिकल काॅलेज में उस समय हड़कम्प मच गया जब करीब दो दर्जन से अधिक स्टाॅफ नर्सेज ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करना शुरु कर दिया। उनकी मांग थी कि उनका भी परिवार है। उन्हें भी सुरक्षा किट मुहैया कराई जाए। उनकी सुरक्षा का कोई ख्याल नहीं किया जा रहा है। हालांकि जैसे ही इसकी भनक मेडिकल प्रशासन को लगी,वह पुलिस अधिकारियों को लेकर वहां जा पहुंचे और काफी मान मन्नवल के बाद स्टाॅफ नर्स को राजी कर पाए।
हुआ यूं कि 63 वर्षीय कोरोना संक्रमित मरीज माधव घोष की मौत के बाद उसके परिजनों द्वारा काटे जा रहे हंगामे को पुलिस व प्रशासन रोकने में लगा था। उसी दौरान मेडिकल काॅलेज के गेट नम्बर एक के सामने करीब दो दर्जन से अधिक स्टाॅफ नर्सेज सड़क पर आ गई। उन्होंने सड़क पर आकर जाम लगा दिया। यह देख मेडिकल प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। नर्सेज ने आरोप लगाया कि उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि चिकित्सकों की भांति उन्हें भी मरीज के साथ रहना पड़ता है। उसके साथ रहने पर चिकित्सकों की तरह उन्हें भी कोरोना के संक्रमण का भय सताता है। चिकित्सकों को तो सुरक्षा की दृष्टि से पीपीई किट दी जाती है। लेकिन उनका मेडिकल प्रशासन कोई ख्याल ही नहीं रख रहा है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें अपनी ड्यूटी के दौरान यहीं रहना होता है। वे जहां रहती हैं, खाना खाती हैं उस स्थान पर सैनेटाइजेशन की भी उपयुक्त व्यवस्था नहीं है। न ही उपयुक्त खाने का ही प्रबंध उनके लिए किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कभी कभी उन्हें केवल बिस्कट में ही काम चलाना पड़ रहा है। उन्हांेने आरोप लगाया कि कोरोना वाॅयरस के संक्रमण का डर सबको है। ऐसे में उनकी जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। उनका भी अपना परिवार है। उन्हें बिना पीपीई किट व माॅस्क आदि के काम करने पर संक्रमित होने का भय है। जबकि मेडिकल प्रशासन उन पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
सीएमएस व पुलिस अधिकारियों के आश्वासन पर मानी नर्सेज
इसकी जानकारी होते ही सीएमएस डा.हरिश्चन्द्र व पुलिस अधिकारियों समेत मेडिकल प्रशासन के तमाम लोग वहां जा पहुंचे। सभी ने उन्हें आश्वासन दिलाया कि उनकी सभी मांगों को प्राथमिकता पर रखा जाएगा। इस बात से संतुष्ट होकर नर्सेज प्रदर्शन छोड़ वापस काम पर गई। हालांकि इस बारे में जानकारी करने के लिए कई बार प्रयास करने के बाद भी सीएमएस का फोन नहीं उठा।