लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा के शुरू हुये मानसून सत्र के पहले दिन गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी काे श्रद्धांजलि देने के बाद सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिये स्थगित कर दी गयी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नेता सदन के तौर पर श्री वाजपेयी के निधन पर शोक प्रस्ताव पेश किया जिसका समाजवादी पार्टी (सपा) , बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस के अलावा सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और अपना दल ने अनुमोदन किया।
उधर, सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले सपा विधायकों ने विधानसभा के बाहर चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के पास धरना प्रदर्शन किया। सपा विधायकों ने गन्ना किसानों के भुगतान, देवरिया में बालिका गृह कांड के साथ ही कानून व्यवस्था के मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
योगी ने सदन में शोक प्रस्ताव को पढते हुये कहा कि देश के महान नेता के निधन से भारत माता ने अपना एक सपूत खो दिया है। उन्होने देश हित में कड़े निर्णय लिए। वह एक होनहार राजनीतिज्ञ होने के साथ साथ एक कुशल वक्ता भी थे। श्री वाजपेयी सदन में जब भी बोलते थे तो उनकी बातों को विपक्ष गंभीरता से लेता था।
पूर्व प्रधानमंत्री ने मातृभाषा हिंदी को भी एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाने का काम किया था। राजनीतिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें भारत रत्न एवं पद्म भूषण जैसे अनेक सम्मान से विभूषित किया गया।
नेता प्रतिपक्ष एवं सपा केे राम गोविंद चौधरी ने श्री वाजपेयी को सर्वमान्य नेता बताते हुये कहा “ अटलजी का सभी दल सम्मान करते थे और वह भी सभी का सम्मान करते थे। अटलजी ने हमेशा शांति का संदेश दिया। मुख्यमंत्री की बातों से मैं अपने आप को संबद्ध करता हूं। ”
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) विधानमंडल दल के नेता लाल जी वर्मा ने कहा कि श्री वाजपेयी ने कुशल नेतृत्व के बूते विभिन्न विचारधाराओं वाली पार्टियों के साथ मिलकर सरकार चलाई और देश हित में कई महत्वपूर्ण फैसले लिये। उनका देश के लिए बड़ी क्षति है।
नेता कांग्रेस विधानमंडल दल अजय कुमार लल्लू ने कहा कि श्री वाजपेयी पेशे से पत्रकार थे, लेकिन एक बड़े रचनाकार भी थे जो हमारी जीवन को ऊर्जा से भरने का काम करती है।
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा, “ अटलजी हमेशा सभी के रहे और सभी को ऊपर उठाने का प्रयास किया।
उनका कहना था कि हे प्रभु मुझे इतनी ऊंचाई मत देना की गैरों को गले न लगा सकूं। विपक्ष के रूप में भी अटलजी के तौर-तरीकों का अनुसरण करना जरूरी है। हम सभी ने सदन में देखा और पाया वह कटुवाणी का इस्तेमाल कभी नहीं करते थे। हम लोग अक्सर उनके विचारों को सुनकर ठहाका लगाया करते थे। अटलजी पक्ष और विपक्ष सभी कि अच्छे कामों की हमेशा सराहना करते थे। वे जब भी कुछ कहते थे उसका बड़ा मतलब होता था। अटलजी हमेशा एक सफल पत्रकार कवि और राजनेता के रूप में याद किए जाएंगे।
प्रदीप भंडारी