छात्र का अपहरण कर हत्या का मामला

गोरखपुर ।   जिले के पिपराइच इलाके के जंगल छत्रधारी के मिस्रौलिया के रहने वाले 11 वर्षीय बलराम की हत्या करने तक अपहर्ताओं ने फोन कर पांच बार फिरौती की मांग की थी। इतना ही नही बलराम की हत्या के बाद भी अपहर्ताओं को रुपये का लालच नही छोड़ा और रुपये की मांग करते रहे। लेकिन उनकी अंतिम काल ने उन्हे जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा ही दिया।  
बता दें कि पिपराइच क्षेत्र के जंगल छत्रधारी गांव के मिस्रौलिया के रहने वाले  महाजन गुप्ता के 11 वर्षीय बलराम गुप्त को अपहर्ताओं ने उस समय अगवा कर लिया था, जब वह घर से अपने साथियों संग खेलने के लिए निकला था। अगवा करने के बाद रविवार की शाम 3 बजे अपहर्ताओं ने पहली फिरौती एक करोड़ रुपये की मांग किया था। इस मामले में बलराम के परिजनों द्वारा कोई ठोस जबाब न मिलने के करीब 15 मिनट बाद ही दूसरी बार फोन कर 50 लाख रुपये मांग किया गया था, सबसे चौकाने वाली बात यह है कि तीसरी बार जब मृतक के पिता महाजन गुप्ता के मोबाइल फोन पर अपहर्ताओं ने 30 लाख रुपये की मांग किया था उस समय बलराम के पिता पिपराइच थाने में ही बैठे थे। फ़ोन करते समय अपहर्ताओं ने महाजन से कहा भी था कि यह अंतिम बार फोन किया जा रहा है। हालांकि तब तक बलराम की हत्या कर उसके शव को ठिकाने लगाया जा चुका था जैसा कि सूत्र बताते हैं। अपहर्ताओं द्वारा लगातार फोन कर मांगी जा रही फिरौती की पल- पल की  सूचना महाजन ने पिपराइच थाने के  थाना प्रभारी को देते रहे लेकिन वाह रे पुलिस ! थाना प्रभारी सीओ चौरीचौरा रचना मिश्रा के साथ गुफ्तगू करने में लगे रहे, जैसा कि मृतक के परिजनों का आरोप है।——————पुलिस गंभीर हुई होती तो बच सकती थी बलराम की जान
बलराम के पिता ने जिस तरह अपने बेटे के एक करोड़ रुपये की फिरौती के लिए किये गए अपहरण  की सूचना पुलिस को दिया लेकिन पुलिस मामले को गंभीरता से नही लिया और  पुलिस यह कहते हुए देखी गयी कि बलराम के पिता की हैसियत उतना पैसा देने की नही है तो भला उसके बेटे का अपहरण कौन करेगा। रविवार की देर रात तक इंस्पेक्टर पिपराइच व सीओ चौरीचौरा पिपराइच थाने में बैठे- बैठे पहेलियों में ही उलझे रहे और वही हुआ जो शायद किसी को उम्मीद नहीं थी।  —————– अंतिम  काल के बाद पुलिस को हुई अनहोनी की आशंका 
अपहर्ताओं के अन्तिम कॉल के बाद पुलिस को अनहोने की आशंका होने लगी थी। अपहर्ताओं ने फिरौती के लिए चार कॉल की थी। उनकी अन्तिम कॉल रविवार की रात नौ बजे आई थी। अन्तिम कॉल के बाद पिता 20 लाख रुपये फिरौती देने को तैयार हो गए थे लेकिन अपहर्ताओं की कॉल सुन रही पुलिस को अनहोनी की आशंका लगने लगी थी। क्योंकि अन्तिम कॉल में अपहर्ताओं की बात से यही लग रहा था कि जो भी मिल जाए, वह उसे लेने को तैयार थे। यही नहीं, उनकी अवाज में वह दम भी नहीं था।  —————-यह था पूरा घटना क्रम
जंगल छत्रधारी गांव के मिश्रौलिया टोला निवासी महाजन गुप्ता अपने घर में ही किराने की दुकान चलाते हैं साथ ही जमीन के कारोबार से भी जुड़े हैं।  उनका बेटा बलराम रविवार की दिन में 12 बजे के आसपास खाना खाने के बाद दोस्तो के साथ खेलने के लिए निकला और फिर घर नही लौटा। अपरान्ह तीन बजे महाजन गुप्त के मोबाइल पर अनजान नम्बर से फोन कर एक करोड़ की फिरौती मांगी गई। महाजन ने उस नंबर पर फोन किया तो मोबाइल स्विच ऑफ मिला, लेकिन थोड़ी देर बाद 10-10 मिनट के अंतरातल पर उसी नंबर से दो बार फिर फोन आया और दोनों बार बलराम को अगवा कर लिए जाने की बात दोहराते हुए एक करोड़ रुपये का इंतजाम करने की बात भी दोहराई गई। महाजन को बेटे के अगवा होने की बात पर भरोसा नहीं हो रहा था। इसलिए उन्होंने पहले उसको गांव में तलाश किया। काफी तलाश करने के बाद भी जब उसका कहीं पता न चला तो उन्‍होंने लोगों को बेटे को अगवा किए जाने को लेकर आए फोन और एक करोड़ रुपये फिरौती मांगे जाने के बारे में जानकारी देने लगे। लोगों के कहने पर शाम पांच बजे 112 नंबर पर फोन कर उन्होंने पुलिस को घटना की सूचना दी।