
बरेली (इमरान खान)। कोरोना वायरस में फैली महामारी के बीच इस बार एक अगस्त को साप्ताहिक बंदी के दौरान ईद-उल-अजहा (बकरीद) की तमाम तैयारियां ज़ोरो पर है तो वही दूसरी ओर सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा एक मैसेज वायरल किया जा रहा है कि इस बार ज्यादातर लोग कुर्बानी की जगह किसी गरीब की मदद कर दे।यहां तक कि मैसेज फॉरवर्ड कर मुसलमानों से अपील की जा रही है कि यदि कोई किसी कारणवश कुर्बानी नहीं दे सकता है तो वह किसी गरीब की मदद करें। इससे अल्लाह खुश होगा।
वहीं,इसके जवाब में इत्तेहाद ए मिल्लत काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खां ने बाकायदा एक बयान जारी करते हुए कहा कि कुर्बानी के पैसों से कुर्बानी ही जायज़ है। कुर्बानी के पैसे किसी गरीब व मज़लूम को देने से कुर्बानी नहीं मानी जाएगी। आगे उन्होंने कहा कि जो लोग इस किस्म की गुफ्तगू कर रहे हैं। यकीनन वो किसी के बहकावे में है। क्योंकि अल्लाह की राह में कुर्बानी करना हर मुसलमान जो साहिबे निसाब है उस पर वाजिब है। और वाजिबात को तर्क करना ईमान की कमजोरी की अलामत बताया।
साथ ही मौलाना ने कुर्बानी को लोगों के परिवार की जान का सदक़ा बताते हुए कहा कि कुर्बानी जैसी होती आई है वैसे ही की जाए। उन्होंने इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम का वाकया सुनाते हुए बताया कि हजरत इब्राहिम अपने बेटे हजरत इस्माइल को उसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे तब अल्लाह ने उनके नेक जज्बे को देखते हुए उनके बेटे को जीवनदान दिया। वही उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि कुर्बानी के दौरान साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें साथ ही सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों का पालन करने को कहा।