विदेश से शव पाने के इंतजार में पथरा गई परिजनों की आंखें

गोरखपुर। वैश्विक महामारी कोरोना से पूरा विश्व जूझ रहा, तो कोरोना काल के इस दौर में हर तरफ परेशानियां बढ़ सी गई है। और इस कठिन दौर ने गगहा इलाके के गंभीरपुर गांव निवासी एक परिवार दोहरे संकट से जूझ रहा। दोहा कतर कमाने गए एकलौते बेटे की मौत ने जहां पूरे परिवार के हिम्मत को तोड़ के रख दिया। तो वहीं बेटे का शव पाने के लिए परिजन 34 दिन से दर-बदर भटकते हुए जद्दोजहद कर रहे। लेकिन उनकी सुनने वाला कोई मसीहा नही दिख रहा। बेटे के शव के अंतिम दर्शन के लिए व्याकुल परिजनों की आंखे भी रोते-रोते पथरा सी गई हैं। परिजनों को मलाल है कि शव लाने के लिए पहल करना तो दूर उनको ढांढस बधाने भी कोई जनप्रतिनिधि नही पहुंचा।  
बता दें कि गगहा इलाके गंभीरपुर गांव निवासी रामसरन चौधरी का एकलौता पुत्र राकेश कुमार चौधरी परिवार के माली हालत को देखते हुए 15 मई 19 को दोहा कतर के लिए उड़ान भरी तो परिवार के लोग काफी खुश हुए थे कि अब परिवार की माली हालत सुधरने के साथ ही रहने के लिए एक आवास भी बन जाएगा। लेकिन काल के क्रूर चक्र को कुछ और ही मंजूर था। फिर अचानक 26 जून को रामसरन के मोबाइल पर दोहा कतर से आई काल ने बज्रपात कर दिया। उधर से बोलने वाले ने कहा कि काम के दौरान चोट लगने के कारण आपका बेटा अब इस दुनिया में नही रहा। एकलौते बेटे की मौत की सूचना मिलते ही परिवार में कोहराम मचा गया था। मृतक राकेश अपने मां-बाप की इकलौती संतान था। उसको भी दो छोटी-छोटी पुत्रियां है। ढाई साल की छोटी बेटी तो पिता की मौत से बेखबर है, लेकिन मां-बाप व पत्नी व बड़ी बेटी का रो-रो कर बुरा हाल है। घर के लाडले बेटे के शव का सभी को इंतजार है कि एक बार किसी तरह बेटे का अंतिम दर्शन हो जाय। लेकिन अभी तक यहां से कोई सार्थक पहल नहीं की गई। और अब तक किसी भी जनप्रतिनिधि के नहीं पहुंचने का परिजनों के अलावा गांव वालों में भी आक्रोश है।इसी गांव के निवासी किसान नेता विकास सिंह ने ट्वीटर पर ट्वीट कर इसकी सूचना दी तथा स्थानीय सांसद कमलेश पासवान के लेटर पैड पर विदेश मंत्री को पत्र लिखकर शव मंगाने की कोशिश की लेकिन अभी तक कोई सार्थक परिणाम नहीं मिला।