डीएम ने की संपूर्ण टीकाकरण बैठक की समीक्षा

मैनपुरी – जिलाधिकारी महेंद्र बहादुर सिंह ने संपूर्ण टीकाकरण की बैठक की समीक्षा के दौरान कहा कि 08 अगस्त से टीकाकरण कार्यक्रम में 0 से 5 वर्ष के बच्चों को निमोनिया जैसी गंभीर बीमारी से बचाने के लिए नया टीका नीमोकोकस शामिल होगा, यह टीका 01 माह 15 दिन, 03 माह 15 दिन एवं 09 माह की आयु में लगेगा, इसके अलावा जिन बच्चों को कोई टीका नहीं लगा है और उनकी आयु 01 वर्ष से ऊपर है उन्हें भी नीमोकोकस का टीका लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए सभी टीके समय से लगें ताकि उनकी प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि हो। उन्होंने कहा कि नई वैक्सीन पी.सी.वी. के शामिल होने से निमोनिया से बच्चों की होने वाली मृत्यु दर में कमी आएगी। उन्होने कहा कि 08 अगस्त से पूर्व सभी विकास खंडों में एएनएम, अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाए, कोई भी एएनएम प्रशिक्षण प्राप्त करने से वंचित न रहे, प्र. चिकित्साधिकारी सुनिश्चित करें।
        जिलाधिकारी ने बताया कि न्युमोकोकल न्युमोनिया के लक्षणों में बुखार, सीने में दर्द, कफ, और सांसों का फूलना आदि है,  इसके जीवाणु बहुत से स्वस्थ व्यक्ति के नाक और गले में मौजूद रहते हैं और खांसने या छींकने द्वारा दूसरे लोगों में फैल सकता है। जो लोग न्युमोकोकल रोग से पीड़ित होते हैं, वह वाहकों की तरह ही जीवाणुओं का प्रसार कर सकते हैं। लाल खून की कोशिका रोग से ग्रसित व्यक्तियों में प्रतिरक्षण क्षमता की कमी होती है, या उनमें पुराना गुर्दे का रोग होता है, वह लोग जो इम्युनोसप्रेसिव दवाइयां लेते हैं या कॉक्लियर इम्प्लांट का प्रयोग करते हैं, उनमें न्युमोकोकल संक्रमण का खतरा अधिक होता है, सिगरेट पीने से भी तेजी से फैलने वाले न्युमोकोकल रोग का खतरा बढ़ जाता है। उन्होने कहा कि नवजात शिशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण उनको कई तरह के रोग होने की संभावनाएं काफी अधिक होती है, ऐसे में टीकाकरण के माध्यम से शिशुओं को रोगों से सुरक्षित किया जाता है, शिशुओं को अन्य रोगों की तरह ही न्यूमोकोकल रोग होने का खतरा रहता है, न्यूमोकोकल रोग एक तरह का फेफड़ों में संक्रमण निमोनियां है, जो स्ट्रेप्टोकोकस निमोने बैक्टीरिया के कारण होता है, विश्व में इस बीमारी से बड़ी संख्या में नवजात शिशुओं की मृत्यु होती थी, भारत में भी बड़ी संख्या में निमोनियां से शिशुओं की मृत्यु होती थी, वैक्सीन लगने से बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और उन्हें इस बीमारी से निजात मिलेगी।
         जिलाधिकारी ने समीक्षा के दौरान नाराजगी व्यक्त करते हुये कहा कि नियमित टीकाकरण की प्रगति ठीक नहीं है, गत वर्ष माह जून तक नियमित टीकाकरण की प्रगति 24.09 प्रतिशत थी जबकि जून 2020 में मात्र 11.92 प्रतिशत बच्चों को ही टीके लगाये गये हैं। उन्होने जिला प्रतिरक्षण अधिकारी को निर्देशित करते हुये कहा कि बीएचएनडी सत्र समय से आयोजित हों और सभी लक्षित बच्चों को टीके अवश्य लगाये जायें, कोई भी बच्चा टीका लगने से वंचित न रहे।
         बैठक में मुख्य विकास अधिकारी ईशा प्रिया, मुख्य चिकित्साधिकारी डा. ए.के. पाण्डेय, समस्त प्रभारी चिकित्साधिकारी, डब्ल्यू एच ओ, यूनीसैफ के अधिकारी आदि उपस्थित रहे।