क्या वजह है कि भारत में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं?

भारत में बीते चार दिनों में कोरोना वायरस के तीन लाख से ज्यादा नए मरीज मिल चुके हैं। अगर संक्रमण की रफ्तार यही रही तो भारत में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या कुछ ही हफ्तों में अमेरिका से ज्यादा हो जाएगी। अभी अमेरिका एकमात्र ऐसा देश है, जहां भारत से ज्यादा लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है। बीते दिन भारत में 96,551 नए मामले सामने आए, जो एक दिन में मिले सर्वाधिक नए मरीज हैं। टेस्टिंग बढ़ने के कारण बढ़ रहे मामले- सरकार

इससे पहले सोमवार को भारत कोरोना वायरस के मामलों के लिहाज से ब्राजील को पछाड़कर दूसरे स्थान पर पहुंच गया था। ब्राजील में 42 लाख मामले हैं तो अमेरिका में यह संख्या 64 लाख है। भारत में अब तक 76,000 से ज्यादा लोग इस खतरनाक वायरस का शिकार बन चुके हैं। वहीं जब स्वास्थ्य मंत्रालय से भारत में मामलों की बढ़ोतरी की वजह पूछी गई तो उसने ज्यादा टेस्टिंग को इसका कारण बताया है।

बढते मामलों के साथ दी जा रही पाबंदियों में ढील

रोजाना बढते रिकॉर्ड मरीजों को मौतों की संख्या बावजूद सरकार लगातार पाबंदियों में ढील दे रही है। 21 सितंबर से बड़ी कक्षाओं के लिए स्कूल खोलने की भी योजना बनाई जा चुकी है। सरकार चाहती है कि देशव्यापी लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था को जो नुकसान हुआ था, उसकी कुछ हद तक भरपाई हो सके। लॉकडाउन के कारण देश की GDP में 23.9 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है। लॉकडाउन को कई विशेषज्ञ जल्दबाजी में लिया गया फैसला मानते हैं। लोगों तक प्रभावी संदेश नहीं पहुंचा पाई सरकार- विशेषज्ञ

मार्च के आखिरी सप्ताह से लागू किए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण लाखों मजदूरों को शहर छोड़कर पैदल अपने घर जाने पर मजबूर होना पड़ा था। जानकारों को कहना है कि ऐसी संभावना है कि ये मजदूर अपने साथ वायरस को गांवों तक ले गए। साथ ही उनका यह भी कहना है कि सरकार मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने को लेकर प्रभावी संदेश लोगों तक नहीं पहुंचा पाई, जो संक्रमण को रोकने में मददगार साबित होता।

बेहतर रिकवरी रेट और कम मृत्यु दर से बंधी उम्मीद

अब तक कोरोना वायरस देश के हर हिस्से को अपनी चपेट में ले चुका है। पहले जहां शहरों में ज्यादा लोग संक्रमित हो रहे थे, वहीं अब गांवों में भी मरीजों की संख्या तेजी से बढ रही है। ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं को देखते हुए ये आंकड़े चिंता को और बढा रहे हैं। इन सब के बीच सरकार को बेहतर रिकवरी रेट (77 प्रतिशत) और कम मृत्युदर (1.6 प्रतिशत) से उम्मीद दिख रही है।

“देश के हर हिस्से तक पहुंचा कोरोना वायरस”

अल जजीरा से बात करते हुए वेल्लोर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर और महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर टी जैकब जॉन कहते हैं, “भारत में महामारी दो भागों में हैं। शहरों के बाद यह गांवों में फैली है। हर बड़े शहर और कस्बे में इसका प्रकोप दिखा है। यह सब देश में कुल मामलों की संख्या से साफ नजर आता है।”

उन्होंने आगे कहा कि अगस्त के अंतिम सप्ताह तक यह महामारी देश के हर हिस्से तक पहुंच चुकी थी।कम्युनिटी ट्रांसमिशन से आगे बढ चुका है संक्रमण- जॉन

जॉन ने कहा कि भारत में अब यह महामारी चौथे चरण (कम्युनिटी ट्रांसमिशन से आगे) में पहुंच गई है। इस वजह से संक्रमण की यह रफ्तार देखी जा रही है। हालांकि, सरकार शुरुआत से ही देश में कम्युनिटी ट्रासंमिशन की बात से इनकार करती है। वहीं जॉन का कहना है कि देश में मार्च से जुलाई के बीच कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हुआ था और यह लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर चुका था।

दूसरे देशों में इस कारण लॉकडाउन के बाद नहीं बढे मामले

पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PHFI) की वाइस प्रेसिडेंट प्रीति कुमार कहती हैं कि जापान, थाईलैंड, दक्षिण कोरिया और ताइवान में लॉकडाउन के बाद इस वजह से ज्यादा मामले सामने नहीं आए क्योंकि इन्होंने टेस्टिंग, कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग और क्वारंटाइन में भारी निवेश किया है। उन्होंने आगे कहा कि इन देशों में मास्क के इस्तेमाल और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी कड़ाई से हो रहा है। ये सारे कदम मिलकर कर्व को फ्लैट करते हैं।

भारत में लॉकडाउन के बाद भी क्यों फैल रहा संक्रमण?

भारत के बारे में बताते हुए कुमार ने कहा यहां पर काफी समय बीत जाने के बाद टेस्टिंग को बढ़ाया गया। साथ ही यहां मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, साफ-सफाई आदि को लेकर बहुत जागरूकता नहीं है। लोग इन्हें गंभीरता से नहीं ले रहे। उन्होंने कहा कि पाबंदियां हटने को लोग ऐेसे ले रहे हैं, जैसे महामारी का कोई खतरा नहीं है। इन सब चीजों को लेकर सरकार की तरफ से एक साफ संदेश देने की जरूरत है।

आबादी के लिहाज से भारत में टेस्टिंग कम

प्रीति कुमार ने आगे कहा कि ज्यादा टेस्टिंग, कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग और जल्दी इलाज करने वाले देश कर्व को फ्लैट करने में कामयाब रहे हैं। साथ ही वहां पर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर साफ नीतियां हैं। अगर टेस्ट की बात करें भारत में 5.4 करोड़ टेस्ट किए गए हैं। इसकी तुलना में भारत की एक चौथाई आबादी वाले अमेरिका में 9 करोड़ से ज्यादा सैंपल टेस्ट किए जा चुके हैं।

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