बड़ी-बड़ी बीमारियों के लिए वरदान है होलिका की राख, इसके और लाभ कर देंगे हैरान

होली पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। कहा जाता है कि जिस प्रकार दीपावली में दीपों की उष्णता व तेल की गंध से कीटाणुओं का नाश होता है, उसी प्रकार शीतकाल में संचित कीटाणुओं का नाश होलिका जलने से और अबीर-गुलाल आदि की गंध से हो जाता है।

आज हम आपको होलिका की राख के बारे में बताने जा रहे हैं। 9 मार्च को हालिका दहन होगा, ऐसे में ये जानना जरूरी है कि होलिका की राख से क्या फायदे होते हैं।

अगर कोई व्यक्ति हर वक्त बीमार रहता है और काफी दवा कराने के बावजूद उसे कोई लाभ नहीं हो रहा है तो होलिका दहन के समय देसी घी में दो लौंग, एक बताशा, एक पान का पत्ता होली जलने वाली आग में डाल दें। अगले दिन होली की राख रोगी के शरीर में लगाएं और फिर गर्म जल से स्नान कराएं। ऐसा करने से रोगी शीघ्र ही स्वस्थ्य होने लगेगा।

अगर आपका पति किसी दूसरी महिला के संपर्क में रहता है तो आप होली पर देसी घी में दो लौंग, एक बताशा, एक पान का पत्ता अर्पित करें और 7 बार होली की जलती आग की परिक्रमा करें। परिक्रमा करते समय 1 गोमती चक्र अपने पति का नाम लेकर आग में डाल दें। ऐसा करने से महिला का पति उसके पास वापस लौट आयेगा।

अगर आपको ऐसा लगता है कि किसी ने आपके उपर तांत्रिक प्रयोग करवा दिया है, तो आप होलिका दहन के समय देसी घी में दो लौंग, एक बताशा, एक पान का पत्ता और थोड़ी सी मिश्री होली जलने वाली आग में डाल दें। अगले दिन होलिका की राख को चांदी के ताबीज में भर कर गलें में धारण कर लें। ऐसा करने से से तांत्रिक प्रभाव निष्क्रिय हो जायेगा।

अगर आपकी जन्म कुंडली में कोई ग्रह दूषित है तो आप होली दहन के समय देसी घी में दो लौंग, एक बताशा, एक पान का पत्ता होली जलने वाली आग में डाल दें। अगले दिन उस राख को लाकर स्वार्थसिद्धि योग में शुद्ध करके बहते जल में प्रवाहित कर दें।

वास्तुदोषों से मुक्ति पाने के लिए होलिका दहन के अगले दिन आप सर्वप्रथम अपने इष्ट देव को गुलाल अर्पित कर अपने निवास के ईशान कोण पर पूजन कर गुलाल चढ़ाएं। ऐसा करने से आपके घर का वास्तु दोष से दूर हो जायेगा।

किसी को शीघ्र ही नजर लग जाती हो तो होलिका दहन के समय देसी घी में दो लौंग, एक बताशा, एक पान का पत्ता होली जलने वाली आग में डाल दें। अगले दिन होली की राख को तांबे या चांदी के ताबीज में भरकर काले धागे में बांधकर गले में धारण करने से कभी भी नजर दोष नहीं लगता है।

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