
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन कई लोग भगवान शिव का व्रत रखते हैं, माना जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से भोलेनाथ की पूजा करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना बहुत लाभकारी होता है।शिव जी के तीन नेत्रों की ओर संकेत करते हुए त्रयंबकम मंत्र और इसे कभी- कभी मृत-संजीवनी मंत्र के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह कठोर तपस्या पूरी करने के बाद पुरातन ऋषि शुक्र को प्रदान की गई “जीवन संजीवनी” करने वाली विद्या का एक घटक है।
महाशिवरात्रि के प्रदोष काल में स्फटिक शिवलिंग को शुद्ध गंगा जल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से स्नान करवाकर धूप-दीप जलाकर मंत्र का जाप करने से समस्त बाधाओं का शमन होता है।
किसी भी रोग से पीड़ित होने पर और प्राणों की रक्षा के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना लाभकारी होता है। याद रहे, महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से ही करें। यह मंत्र दिखने में जरूर छोटा दिखाई देता है, किन्तु प्रभाव में अत्यंत ही प्रभावी और चमत्कारी है।
मंत्र इस प्रकार है –
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
यह त्रयम्बक “त्रिनेत्रों वाला”, रुद्र का विशेषण जिसे बाद में शिव के साथ जोड़ा गया, को संबोधित किया गया है।
महा मृत्युंजय मंत्र का अक्षरशः भावार्थ :-
त्र्यंबकम् – त्रि-नेत्रों वाला (कर्मकारक)
यजामहे – हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं, हमारे श्रद्देय
सुगंधिम – मीठी महक वाला, सुगंधित (कर्मकारक)
पुष्टिः – एक सुपोषित स्थिति, फलने-फूलने वाली, समृद्ध जीवन की परिपूर्णता
वर्धनम् – वह जो पोषण करता है, शक्ति देता है, (स्वास्थ्य, धन, सुख में) वृद्धिकारक; जो हर्षित करता है, आनन्दित करता है और स्वास्थ्य प्रदान करता है, एक अच्छा माली
उर्वारुकम् – ककड़ी (कर्मकारक)
इव – जैसे, इस तरह
बन्धनात् – तना (लौकी का); (“तने से” पंचम विभक्ति – वास्तव में समाप्ति -द से अधिक लंबी है जो संधि के माध्यम से न/अनुस्वार में परिवर्तित होती है)
मृत्योः – मृत्यु से
मुक्षीय – हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें
मा – न
अमृतात् – अमरता, मोक्ष
इस महामंत्र से लाभ :-
इस मन्त्र का जप करने से धन प्राप्त होता, आप जो भी कार्य सोच के जाप कर रहे हैं वह कार्य सफल होता
परिवार में सुख सम्रद्बि रहती है, जीवन मे आप आगे बढ़ते एवं सफलता प्राप्त करते जाते हैं।
जप करने कि विधि –
इस दिन सुबह स्नान करते समय गिलास में पानी लेकर मुंह गिलास के पास रखकर ग्यारह बार मंत्र का जप करें, फिर उस पानी को अपने उपर प्रवाह कर लें फिर पूजा स्थान पर बैठकर इस दिन में कम से कम 11 माला का जाप करें।