बुनियादी साक्षरता को प्राप्त करने में चुनौतियों पर एक नजर

नई दिल्ली, 21 दिसंबर 2023 : नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, 2025 तक बुनियादी साक्षरता को प्राप्त करना शिक्षा व्यवस्था की अति महत्वपूर्ण प्राथमिकता है । सरल शब्दों में, यहाँ बुनियादी साक्षरता से आशय कक्षा 3 के अंत तक बच्चों को पढ़कर समझना और लिखना आना है । शिक्षा नीति इस बात पर जोर देती है कि बच्चों के लिए बाकी नीति केवल तभी प्रासंगिक होगी, जब बच्चे बुनियादी साक्षरता एवं गणित के कौशलों को प्राप्त कर पाएंगे। पढ़कर समझना सभी विषयों के सीखने का आधार है। सुनील कुशवाहा, वरिष्ठ अकादमिक समन्वयक, लॅंग्वेज आंड लर्निंग फाउंडेशन के अनुसर “ जो बच्चे प्रारम्भिक कक्षाओं में पढ़ना नहीं सीख पाते हैं, वे सीखने में पीछे छूटने लगते हैं।

यह अंतराल आगे चलकर इतना बड़ा हो जाता है कि जिसे पाटना मुश्किल होता है । निपुण कार्यक्रम जो कि कक्षा द्वारा हम एक सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं । किन्तु साक्षरता के कौशलों को प्राप्त करने में अभी कई चुनौतियाँ है । इसके लिए सभी हम सभी को यह समझने की आवश्यकता है कि बच्चों को पढ़ना-लिखना सिखाने का वैज्ञानिक एप्रोच क्या है।

और इसके लिए क्या ढांचागत सुधार किए जाने हैं ।”समझ के साथ पढ़ने के लिए बच्चों में दो मुख्य कौशल – लिखित शब्दों को स्वचालित तरीके से पहचानना और भाषा की समझ होना अनिवार्य है। ये केवल पाठ्यपुस्तक, कुछ गतिविधियों अथवा कुछ सामग्री दे देने मात्र से प्राप्त नहीं किया जा सकता है । बल्कि हमें पूरे अकादमिक वर्ष के लिए इन दोनों कौशल पर ऐसी शिक्षण अधिगम सामग्री बनाना होगा जो व्यवस्थित हो और सरल से कठिन की ओर बढ़े ।

भारत एक बहुभाषिक देश है और अधिकांश हिस्सों में, बच्चों की परिचित भाषा स्कूल की भाषा से अलग होती है। अपरिचित भाषा की वजह से बच्चे सक्रिय रूप से सीखने में प्रतिभाग नहीं कर पाते, अपनी बात नहीं रख पाते जिससे उनकी भाषाई कौशल मजबूत नहीं होती और इससे उनका पढ़ना-लिखना सीखना कठिन हो जाता है।

इस प्रकार से बच्चों की भाषा और स्कूल की भाषा के अंतराल को कम करना अत्यंत आवश्यक है। शिक्षकों के प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार के लिए समय पर प्रशिक्षण होना, पर्याप्त समय देना, उपयुक्त कौशल आधारित प्रशिक्षण, करके सीखने एवं अभ्यास पर कार्य करने की आवश्यकता है। यह क्षमता संवर्धन केवल कुछ दिनों के प्रशिक्षण के रूप में देखने के बजाय नियमितता एवं समग्रता में देखने की आवश्यकता है ।

शिक्षकों के सहयोग के लिए रिसोर्स समूह को मजबूत करने की आवश्यकता है । जो नियमित रूप से कक्षा का अवलोकन, फीडबैक और संकुल एवं ब्लॉक स्तर पर बैठकों में अकादमिक एवं अधिगम आँकड़ों पर चर्चा कर सकें ।
हमें कक्षा स्तर पर सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को सुधारने की जरूरत है।

जिसमें साक्षरता के कौशल का संतुलित शिक्षण, कक्षा में प्रिन्ट रिच वातावरण का उपयोग, मौखिक भाषा विकास पर जोर, प्रभावी तरीके से बच्चों की परिचित भाषा का उपयोग, बच्चों की संक्रिय सहभागिता, पठन अभ्यास, उपयुक्त बाल साहित्य की उपलब्धता एवं उपयोग सुनिश्चित करना है । इसके अतिरिक्त सीखने में पीछे छूट रहे बच्चों का नियमित रूप से आकलन करना जिससे शिक्षकों को बता सके कि बच्चों के अधिगम की वर्तमान स्थिति क्या है और शिक्षण में क्या बदलाव करना है ।
शिक्षण अधिगम से संबंधित बेस्ट प्रैक्टिस को बड़े पैमाने पर सफलता पूर्वक क्रियान्वित करना भी एक चुनौती है ।

इसके लिए शिक्षकों, पाठ्यचर्या निर्माता, प्रशासनिक अधिकारियों एवं सहयोगी संस्थाओं को साझा विजन, लक्ष्य एवं रोडमैप के द्वारा मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है । बड़े पैमाने पर साक्षरता के कौशलों को सुधारने के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर सरकारों के साथ मिलकर शैनक्षीक ढांचे में सुधार, पाठ्य पुस्तक एवं शिक्षण अधिगम सामग्री के डिजाइन, शिक्षक प्रशिक्षण एवं विद्यालय स्तर कार्य करना ही निश्चित उपाय है|

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