जालंधर । प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार को पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक प्रोफेसर जसवंत सिंह गज्जनमाजरा को गिरफ्तार कर लिया है। जिस समय ED ने उन्हें अरेस्ट किया, तब वे संगरूर में कार्यकार्ताओं के साथ बैठक कर रहे थे। वे संगरूर जिले की अमरगढ़ सीट से विधायक हैं। शाम करीब साढ़े 5 बजे ED की टीम विधायक का मेडिकल करवाने के लिए सिविल अस्पताल पहुंची।
पंजाब के अमरगढ़ से आम आदमी पार्टी के विधायक जसवंत सिंह गज्जन माजरा को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। माजरा पर अपनी कंपनी- तारा कॉर्पोरेशन लिमिटेड के जरिए एक बैंक से 41 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है। माजरा को ईडी ने पहले भी चार से पांच बार समन भेजा था, लेकिन वह जांच में शामिल नहीं हो रहे थे जिसके बाद ईडी ने उन्हें आज आने के लिए कहा था।
पहले ED ने सिर्फ उन्हें पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था लेकिन बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। ईडी की जांच में पता चला है कि पैसे का कुछ हिस्सा उनके निजी खाते में भी ट्रांसफर किया गया था.। हाल ही में उन्होंने कनाडा की यात्रा भी की थी और ईडी को बताया था कि वह वापस आकर जांच में शामिल होंगे लेकिन वह शामिल नहीं हुए। सूत्रों का कहना है कि आप विधायक जानबूझकर ईडी के समन से बच रहे थे और जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे।
पहले हिरासत में लिया फिर हुई गिरफ्तारी
दरअसल गिरफ्तारी से पहले ED की टीम मामले से जुड़ी पूछताछ और आगामी कार्रवाई के लिए गज्जन माजरा को जालंधर लेकर रवाना हुई थी। बता दें कि गज्जन माजरा को मलेरकोटला के पास से हिरासत में लिया गया। इससे पहले भी पंजाब में आम आदमी पार्टी के विधायक के ठिकानों पर सीबीआई ने छापेमारी की थी। बताया गया था कि सीबीआई ने आम आदमी पार्टी के विधायक जसवंत सिंह के कई ठिकानों पर छापे मारे, जिसके बाद विधायक के खिलाफ कार्रवाई हुई है।
बैंक घोटाला मामले में छापेमारी
दरअसल सीबीआई की ये छापेमारी बैंक फ्रॉड मामले में हुई थी। ये बैंक घोटाला लगभग 41 करोड़ रुपए का है। अब आम आदमी पार्टी के विधायक पर हुई इस छापेमारी को लेकर भी पंजाब में एक बार फिर राजनीतिक घमासान शुरू हो सकता है। क्योंकि पहले ही बीजेपी नेता बग्गा को लेकर पंजाब और दिल्ली में बवाल जारी है। बीजेपी नेता लगातार केजरीवाल सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि वो सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं।
पिछली बार हुई सीबीआई रेड में 16.57 लाख (लगभग) कैश, लगभग 88 विदेशी मुद्रा नोट, कुछ संपत्ति दस्तावेज, कई बैंक खाते और अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए गए थे। आरोप लगाया गया कि आरोपी के लिए गए लोन का इस्तेमाल उस उद्देश्य के लिए नहीं किया गया है जिसके लिए इसे लिया गया था।
क्या है पूरा मामला?
शिकायत फॉर्म बैंक ऑफ इंडिया, लुधियाना पर गौंसपुरा, तहसील-मलेरकोटला (पंजाब) स्थित एक निजी फर्म और तत्कालीन निदेशकों, निजी कंपनी के गारंटर, एक अन्य निजी फर्म और अज्ञात लोक सेवकों / निजी व्यक्तियों सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। यह आरोप लगाया गया था कि गौंसपुरा, मलेरकोटला स्थित उक्त निजी फर्म डीओसी राइस ब्रान, डीओसी मस्टर्ड केक, बिनौला केक, मक्का, बाजरा और अन्य खाद्यान्नों के व्यापार में लगी हुई थी. लोन लेने वाली फर्म को बैंक की तरफ से 2011-2014 से 4 अंतरालों पर लोन स्वीकृत किया गया था. आगे यह भी आरोप लगाया गया था कि फर्म ने अपने निदेशकों के माध्यम से दृष्टिहीन स्टॉक को छुपाया था और बही ऋणों को दुर्भावना और बेईमानी से मोड़ दिया था ताकि इसे लेनदार बैंक को निरीक्षण और सुरक्षित लेनदार के रूप में वसूली के लिए उपलब्ध नहीं कराया जा सके. इससे बैंक को करीब 40.92 करोड़ का नुकसान हुआ।