
मोतीपुर बहराइच l
“कहावत कही गई है जब जागो तभी सवेरा” सरयू नहर परियोजना पर तो बिल्कुल सटीक ही बैठती है।बताते चले 1978 के अन्तर्गत बहराइच जनपद में विभागीय कर्मचरियों व अधिकारियों के आवास हेतु सिचाई कॉलोनी मोतीपुर का निर्माण हुआ था।तब 10700 करोड की सरयू नहर परियोजना कागजों पर ज्यादा और हकीकत में कम दिखी थी । सिंचाई कॉलोनी मोतीपुरा में तब 68 आवासों का निर्माण किया गया था,जो अब लगभग 42 वर्षों के पश्चात रख रखाव और निर्माण में हुईं धांधलियों की वजह से जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है। कुछ अत्यंत जर्जर अवस्था वाले आवासों को छोड़कर लगभग सभी आवासों में रसूकदार लोगों ने आशियाना बना रखा है । वर्षों से विभाग द्वारा इन आवासों का प्रयोग नही किया गया जिससे सिंचाई कॉलोनी मोतीपुर अतिक्रमण और भ्रष्टाचार मे जकड़ती चली गई । सरयू नहर खण्ड नानपारा बहराइच को अब जाकर सिंचाई कॉलोनी मोतीपुर को अतिक्रमण से मुक्त कराने का खाका तैयार किया गया है जो प्रशासनिक अधिकारियों ने इस कोरोना संक्रमण काल के दौरान कॉलोनी में आशियाना बनाए लोगों को अन्तिम नोटिस भी थमा दिया है ।
उपजिलाधिकारी मिहींपुरवा बाबूराम और सिंचाई विभाग के एसडीओ एन० राम ने टीम के साथ शुक्रवार को सिंचाई कालोनी का निरिक्षण कर कालोनी में रहने वाले लोगों को मौखिक आदेश दे दिया है। कालोनी में रहने वाले लोगों को आवास खाली करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है। एक सप्ताह में आवास खाली न करने वाले लोगों को प्रशासनिक और कानूनी चाबुक चल सकती है। स्थानीय नेताओं, सांसदों और ग्राम प्रधानों ने भी कब्जा रखे हैं जो कम चर्चा का विषय नही है।सूत्रों की माने तो
सिंचाई कालोनी में अतिक्रमण करने वालो में स्थानीय नेता, सांसद और ग्राम प्रधान और नेताओं के रिश्तेदार भी शामिल हैं। आखिरकार इन लोगों ने आवासों पर कब्जा कैसे जमा लिया और ये आवास इन्हें आवंटित भी किये गये हैं जांच का विषय है । कालोनी में मौजूदा सांसद से लेकर पूर्व सांसद से संबंधित जनसेवा आश्रम भी मौजूद है। मौजूदा सांसद द्वारा यह आवास प्राय: प्रयोग में भी लाया जाता है। कालोनी में धीरज गौंड का भी आवास है ,जो वर्तमान सांसद के भतीजे हैं। कालोनी में जुग्गीलाल यादव (सपा नेता),माया देवी (ग्राम प्रधान सोंगवा ),लईक अहमद (ग्राम प्रधान शेखनपुरवा ,लखीमपुर), धीरेन्द्र सक्सेना (भाजपा नेता ) का भी आवास है,धीरेन्द्र के पिता सिंचाई विभाग में कार्यरत थे । कालोनी में तमाम राजनीतिक रसूख वाले लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है ।
आवासों पर राजनीतिक रसूख वालों का कब्जा होने के बावजूद कालोनी में कुछ ऐसे लोग भी है , जिनके पास सिर छुपाने का ठौर नहीं है। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिये जाने के बाद इन लोगों की समस्याएं बढ़ गई है। अब ये लोग कोरोना संक्रमण के विपदारूपी समय में कहां जाये । कालोनी में रहने वाले हरिवंश तिवारी, सुभाष विश्वकर्मा, अतुल गौंड, मो०हमजा , मधुरानी पाण्डेय , बीरबल यादव ,हनीफ अहमद , मुनीर अहमद , इमरान और तारकेश्वर मद्धेशिया राजेश जोशी बताते हैं कि हम लोगों ने इन आवासों की साफ-सफाई और मरम्मत कर इन्हें रहने योग्य बनाया है । यह सरकारी आवास है हम जानते हैं लेकिन यदि प्रशासन इस समय हमसे यह आवास ले लेगा तो हम कहां जायेंगे । प्रशासन हमें कुछ दिन की और मोहलत दे दे तो कोरोना संकट टलने पर यह आवास हम खुद ही खाली कर देंगे ।
वहीं दूसरे कालोनी निवासी मिथलेश मद्धेशिया बताते हैं कि इस कालोनी में बने आवास अत्यंत जर्जर अवस्था में पहुंच चुके हैं , इस कालोनी की विभागीय उपयोगिता भी लगभग समाप्त हो चुकी है । यहां पर रहने वालों ने इन आवासों की मरम्मत कराकर रहने योग्य बनाया है , नहीं तो यह कालोनी अब तक खण्डहर बन चुकी होती । प्रशासन द्वारा ऐसे समय में लोगों को हटाने का निर्णय लेना अनुचित है । उन्होंने कालोनी में अतिक्रमण के लिए विभागीय और प्रशासनिक अधिकारियों को भी बराबर का भागीदार बताया ।
सिंचाई कालोनी में अतिक्रमण होने के लिए प्रशासन और सिंचाई विभाग के अधिकारी भी उत्तरदायी हैं । कहीं न कहीं प्रशासनिक अधिकारीगण और सिंचाई विभाग भी इस अतिक्रमण के लिए जिम्मेदार है की बात भी बताई।