आय से अधिक संपत्ति मामले के मामले को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के नामांकन पर सुप्रीम कोर्ट के एक अधिवक्ता ने आपत्ति दर्ज कराई है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी का कहना है कि अखिलेश यादव पर आय से अधिक संपत्ति की एक जनहित याचिका का मामला सु्प्रीम कोर्ट में चल रहा है, लेकिन उन्होंने यह जानकारी करहल विधानसभा सीट नामांकन के दौरान अपने शपथपत्र में नहीं दर्शायी है। अधिवक्ता ने इसकी शिकायत रिटर्निंग अधिकारी के साथ जिला निर्वाचन अधिकारी को भेजने का दावा भी किया है। उन्होंने कहा है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत अखिलेश यादव का नामांकन खारिज किया जाना चाहिए। जबकि अधिकारियों ने इस संबंध में कोई शिकायत नहीं मिलने की बात कही है।
बता दें कि करहल से प्रत्याशियों के नामांकन पत्रों की बुधवार को जांच की गई थी, जिसमें सपा प्रमुख अखिलेश यादव के पर्चे को भी सही माना गया है। लेकिन, अब सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने आपत्ति जताते हुए पेच फंसा दिया है। अधिवक्ता का दावा है कि उन्होंने करहल विधानसभा क्षेत्र के रिटर्निंग अधिकारी के साथ जिला निर्वाचन अधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह को मेल के माध्यम से अखिलेश यादव का पर्चा खारिज करने की आपत्ति भेजी है।
जानिये क्या कहा सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ने
अधिवक्ता ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में अखिलेश यादव खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की एक जनहित याचिका का मामला चल रहा है, लेकिन उन्होंने अपने पर्चा दाखिल करने के दौरान शपथपत्र में कहीं इसका जिक्र नहीं किया है। इसलिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत उनका नामांकन खारिज किया जाना चाहिए। जबकि जिलाधिकारी और रिटर्निंग अधिकारी इस तरह की शिकायत मिलने से इनकार कर रहे हैं।
एसपी सिंह बघेल के चुनाव मैदान में आने से दिलचस्प हुआ मुकाबला
बता दें कि करहल सीट से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के सामने भाजना ने कैबिनेट मंत्री और सांसद एसपी सिंह बघेल को चुनाव मैदान में उतारा है। एसपी सिंह बघेल के चुनाव मैदान में उतरने से करहल का मुकाबला दिलचस्प हो गया है। माना जाता है कि क्षेत्र में एसपी सिंह बघेल की भी अच्छी पकड़ है। वह अखिलेश यादव को कड़ी चुनौती देंगे। क्योंकि एसपी सिंह बघेल ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत समाजवादी पार्टी से ही की थी। इससे पहले वह तत्कालीन रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव की सुरक्षा में तैनात थे। 2009 में वह सपा छोड़ बसपा में आए थे। वहीं 2014 में वह भाजपा में शामिल हो गए थे। तब से वह भाजपा में ही हैं।