लखनऊ,। लोकसभा चुनाव में पूरा दमखम लगाने पर भी बुरी तरह पटखनी खाने के बाद कांग्रेस में इस्तीफा देने का सिलसिला क्या शुरू हुआ…वो अभी तक थमने का नाम नहीं ले रहा। इस कड़ी में अब पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पश्चिमी यूपी प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। ऐसे में इस राजनीतिक घटनाक्रम को यदि यूपी से जोड़कर देखें तो अब पूर्वी प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा पर भी इस्तीफा देने का दबाव बढ़ गया है। देखा जाये तो पार्टी में पद के हिसाब से ज्योतिरा और प्रियंका के बीच काफी समानताये हैं। दोनों पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं और गत लोकसभा चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस हाईकमान ने यूपी को दो भागों क्रमश: पूर्वी और पश्चिमी भाग में बांटते हुए प्रियंका और सिंधिया को प्रभारी नियुक्त किया था।
Jyotiraditya Scindia: I am not a leader who gives orders to others. I think when there is a responsibility, there comes accountability as well. Even I am responsible if performance isn't good & therefore, I took the decision to resign. https://t.co/YiCqejcZc7
— ANI (@ANI) July 7, 2019
लेकिन कुल मिलाकर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि प्रियंका का कद कहीं न कहीं कांग्रेस में सिंधिया से काफी ऊपर है, ऐसे में वो कब, कैसे और किस तरीके से अपना इस्तीफा दे सकती हैं यह भविष्य के गर्त में छिपा है। वहीं पार्टी जानकारों की मानें तो कांग्रेस में जो ‘इस्तीफा युग’ चल रहा है, उसके दो वजह हो सकते हैं। पहला या तो राहुल और सोनिया पार्टी को फिर से पुर्नस्थापित करने के उद्देश्य से आत्मावलोकन के मूड में हैं, दूसरा या फिर इस्तीफे के बहाने कांग्रेस में जमी दशकों पुरानी काई की सफाई का कार्यक्रम चल रहा है ताकि इसके बाद नये तौर-तरीके से पार्टी, उसके नये नेतागण और उसके प्रासंगिक एजेंडे को सेट किया जा सके।
बहरहाल, बता दें कि 2019 के लोकसभा में सोनिया और राहुल ने ‘ब्रह्मास्त्र’ के तौर प्रियंका को सक्रिय राजनीति में उतारा। प्रियंका ने भी दिनरात सड़क से लेकर हवाई यात्रा के जरिये शहर-गांव, कस्बा-गली और नदियों का सफर तय करते हुए कांग्रेस के पक्ष में हरसंभव सकारात्मक माहौल बनाने की पुरजोर कोशिश की।
यहां तक कि सोनिया और राहुल के संसदीय क्षेत्र रायबरेली और अमेठी में भी प्रियंका के दौरे की संख्या उनकी मां और भाई से भी कहीं अधिक रहा। मगर इसके बावजूद कांगे्रस को लोकसभा चुनाव में आशातीत सफलता नहीं मिली।
स्थिति यह हो गई कि विपक्ष के तौर पर भी कांग्रेस लगातार दूसरी बार रिकॉर्ड सीटों से सत्ता पक्ष पर काबिज हुई बीजेपी के समक्ष कहीं पर भी नहीं टिक पा रही है। ऊपर से रही-सही कसर खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष यानि राहुल ने पूरी कर दी, जब उन्हें गांधी परिवार की परंपरागत सीट अमेठी से पराजय का सामना करना पड़ा। ऐसे में इन अनापेक्षित नतीजों से हतोत्साहित कांग्रेस में खलबली मच गई और राहुल ने आनन-फानन में अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। बस फिर क्या था…इसके बाद पार्टी में केंद्रीय स्तर व प्रादेशिक स्तर से लेकर क्षेत्रीय संगठनों में इस्तीफों की झड़ी सी लग गई।
मगर इसी क्रम में यूपी की प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बात करें तो अभी भी यहां कुछ ऐसे नेता व प्रवक्तागण हैं जिन्होंने इस्तीफा देना न तो मुनासिब समझा और न ही जरूरी। प्रदेश कांग्रेस में यहां के अध्यक्ष राजबब्बर, सदन में उपनेता अराधना मिश्रा उर्फ मोना समेत तमाम प्रवक्ताओं ने पहले ही दौर में अपना इस्तीफा दे दिया। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि पार्टी हाईकमान के चहेते नेताओं में शुमार झारखंड प्रभारी और यूपी के दिग्गज कांग्रेसी पीएल पुनिया, आरपीएन सिंह, नसीमुद्दीन सिद्दीकी राष्ट्रीय महासचिव और विधानमंडल के नेता अजय कुमार लल्लू अभी भी अपने पदों पर बने हैं और इस्तीफे के दौर से दूरी बनाये हुए हैं। इतना ही नहीं लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यूपी में मीडिया व प्रचार विभाग के चेयरमैन बनाये गये राजीव शुक्ला पार्टी के विपरीत चुनावी परिणाम आने के बाद अभी भी अपने पद पर बने हुए हैं।
https://twitter.com/JM_Scindia/status/1147821537128407040
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने Twitter पर लिखी ये बात
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस्तीफे का ऐलान करते हुए ट्वीट किया, जनादेश स्वीकार करते हुए और हार की जिम्मेदारी लेते हुए मैंने राहुल गांधी को कांग्रेस महासचिव पद से अपना इस्तीफा सौंप दिया है, मैं उन्हें (राहुल गांधी) इस जिम्मेदारी को सौंपने के लिए और मुझे पार्टी की सेवा करने का अवसर देने के लिए धन्यवाद देता हूं।