50 साल के बाद एयरपोर्ट फिर से सरकारी संपत्ति बन जाएंगे : सिंधिया

नई दिल्ली : नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया कुछ हवाई अड्डों को ‘बेचने या उनका विनिवेश करने’ के विपक्षी दलों के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए बुधवार को लोकसभा में कहा कि देश में छह हवाई अड्डों को लीज़ पर देने की व्यवस्था के आधार पर निजी क्षेत्र को दिया गया है जिससे सरकार को 64 प्रतिशत अधिक राशि प्राप्त होगी।
श्री सिंधिया ने ‘वर्ष 2022-23 के लिए नागर विमानन मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर कल हुई लम्बी चर्चा’ का जवाब देते हुए कहा कि कुछ सदस्यों ने चर्चा के दौरान हवाई अड्डों को बेचने और विनिवेश किये जाने का उल्लेख किया था जो सही नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारी नीति विनिवेश की नहीं है। जिन छह हवाई अड्डों की बात हो रही है, वह विनिवेश या निजीकरण के आधार पर निजी कंपनियों को नहीं दिये गये हैं। इन्हें लीज़ के आधार पर दिया गया है।

50 साल के बाद एयरपोर्ट फिर से सरकारी संपत्ति बन जाएंगे
उन्होंने निजीकरण और लीज़ में अंतर समझाते हुए कहा कि निजीकरण में आप अपने संसाधनों को बेच देते हैं, जो वापस कभी नहीं आते और लीज़ का मतलब होता है कि आप कुछ सालों के लिए किराए पर दे देते हैं. निजीकरण में केवल एक बार भुगतान होता है जबकि लीज में, आपको अपने संसाधन का मूल्य तो मिलता ही है साथ ही हर साल किराया भी मिलता है. निजीकरण में ‘बिल्ड, ऑपरेट एंड ओन्ड मॉडल’ चलाया जाता है जबकि लीज में देने पर ‘बिल्ड, ऑपरेट, ओन्ड एंड ट्रांसफर बैंक’ का मॉडल चलता है. सिंधिया ने कहा कि 50 साल बाद एयरपोर्ट फिर से सरकारी संपत्ति बन जाएंगे.


उन्होंने कहा कि विनिवेश और लीज़ की व्यवस्था में काफी अंतर है और लीज़ की व्यवस्था में परिसम्पत्ति कुछ नियत वर्ष के लिये दी जाती है और इस पर मूल स्वामी का स्वामित्व बना रहता है।
उन्होंने कहा कि इन छह हवाई अड्डों से भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) को प्रति वर्ष 550 करोड़ रुपये की कमाई होती, लेकिन इन्हें लीज़ पर देने के बाद एएआई को प्रति वर्ष 904 करोड़ रूपये मिलते हैं। इस प्रकार से इन छह हवाई अड्डों से एएआई को अतिरिक्त 354 करोड़ रुपये या 64 प्रतिशत अतिरिक्त राशि मिलेगी।
श्री सिंधिया ने कहा कि लीज़ पर देने से जो राशि मिलेगी, उसका उपयोग राज्यों में ही हवाई अड्डों के विकास के लिये खर्च में किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि एयरलाइन और हवाई अड्डों का सबसे महत्वपूर्ण पहलू अंतिम छोर तक सम्पर्क स्थापित करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने पिछले सात वर्षों में इस क्षेत्र का लोकतांत्रिकरण किया है। इससे हवाई यात्रा जो पहले कुछ चुने हुए लोगों तक सीमित थी, उसके दरवाजे अब सभी के लिये खोल दिये गए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने विनिवेश को लेकर कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जो लोग विनिवेश का आरोप लगाकर सरकार पर निशाना साध रहे हैं, उन्हें अपना रिकार्ड देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2004 से 2009 तक 8,500 करोड़ रुपये का विनिवेश कार्यक्रम एनटीपीसी, पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन, एचपीसीएल और बीपी जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए चलाया गया, वहीं 2004 से 2014 तक 1,05,000 करोड़ रुपये का विनिवेश कार्यक्रम चलाया गया।
उन्होंने कहा कि नयी योजना ‘डिजीयात्रा’ के तहत आधार कार्ड और बायोमेट्रिक के आधार पर विमानतल पर यात्रियों की सुगम तरीके से जांच होगी और इससे प्रतीक्षा समय कम होगा।

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