यूपी विधानसभा चुनाव जोरों पर है और मंगलवार यानी कि आज यूपी सरकार में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद बीजेपी को बहुत बड़ा झटका लगा है। आपको बता दे स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी का दामन छोड़ सपा का दामन थाम लिया है और अब स्वामी प्रसाद के समर्थन में विधायक बृजेश प्रजापति, भगवती प्रसाद सागर और रोशन लाल वर्मा ने भी बीजेपी का दामन छोड़ दिया है। वैसे तो अभी भगवती प्रसाद सागर का इस्तीफा सार्वजनिक नहीं किया गया है।
सूत्रों के अनुसार स्वामी प्रसाद मौर्य के अलावा मंत्री धर्म सिंह सैनी समेत चार और एमएलए सपा जॉइन कर सकते हैं। अखिलेश यादव ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि 22 में सबके मेल मिलाप से सकारात्मक राजनीति का ‘मेला होबे’। भाजपा की ऐतिहासिक हार होगी।
तो वही नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल नंदी ने स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे पर कहा कि स्वामी प्रसाद का सपा में जाना राजनीतिक आत्महत्या है। स्वामी प्रसाद मौर्य का सपा जॉइन करना विनाश काले विपरीत बुद्धि जैसा है। अखिलेश यादव की डूबती नाव की सवारी स्वामी प्रसाद जी के लिए राजनैतिक आत्महत्या जैसी आत्मघाती निर्णय साबित होगा। भाजपा राष्ट्र को सर्वोपरि मानने वाली विचारधारा का नाम है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने इस्तीफे की वजह बताते हुए लिखा “माननीय राज्यपाल जी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के मंत्रिमंडल में श्रम एवं सेवा योजना के सामान्य मंत्री के रूप में विपरीत परिस्थितियों व विचारधारा में रहकर भी बहुत ही मनोयोग के साथ उत्तर दायित्व का निर्वहन किया है, किंतु दलितों पिछड़ों किसानों बेरोजगारों नौजवानों एवं छोटे लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की घोर उपेक्षात्मक रवैये के कारण उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल से मैं इस्तीफा देता हूं।”
तो वहीं डिप्टी सीएम केशव मौर्या ने स्वामी प्रसाद के स्तीफे को जल्दबाजी में लिया गया फैसला करार किया है उन्होंने ट्वीट के जरिए कहा, आदरणीय स्वामी प्रसाद मौर्य जी ने किन कारणों से इस्तीफा दिया है मैं नहीं जानता हूं, उनसे अपील है कि बैठ कर बात करें, जल्दबाजी में लिए हुए फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं।
आपको बता दें
आपको बता दें 22 जून 2016 को स्वामी प्रसाद मौर्य ने मीडिया के सामने ऐलान करके बसपा छोड़ी थी और 21 सितंबर 2016 को उन्होंने भाजपा ज्वाइन की थी। लेकिन अब एक बार फिर स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा छोड़कर सपा जॉइन कर ली है। सूत्रों के अनुसार भाजपा में केशव प्रसाद मौर्य के रहते स्वामी प्रसाद मौर्य को वह महत्व नहीं मिल पा रहा था जितना महत्व उन्हें बसपा या अब सपा में मिल जाएगा।