नई दिल्ली. राजस्थान के अलवर में गो-तस्करी के संदेह में बीते शनिवार को पीट-पीटकर मारे गए रकबर खान की मौत के पीछे पुलिस की लापरवाही की कहानी सामने आ रही है. राजस्थान पुलिस पर आरोप लग रहे हैं कि उसने घटना के बाद रकबर खान को अस्पताल पहुंचाने में देरी की.
गंभीर रूप से जख्मी रकबर 3 घंटे तक तड़पते रहे, लेकिन पुलिस के जवान उन्हें अस्पताल पहुंचाने के बजाए चाय-पानी (नाश्ता करने) में लगे रहे. घटनास्थल से महज 5-6 किलोमीटर दूर रामगढ़ स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) तक पहुंचने में हुई देरी की वजह से रकबर खान का समय पर इलाज नहीं हो सका और उनकी मौत हो गई. अलवर में हुई मॉब-लिंचिंग की इस घटना पर देशभर के नेताओं ने शोक जताया है.
वहीं, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. इधर, घटना को लेकर तुषार गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में राजस्थान सरकार के खिलाफ अदालत की अवमानना का मुकदमा चलाने की मांग की गई है. कोर्ट आगामी 28 अगस्त को मुख्य मामले के साथ इस याचिका पर भी सुनवाई करेगी. इधर, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि वह संसद में इस मामले को उठाएंगे.
एफआईआर और अस्पताल की रिपोर्ट से पता चली लापरवाही
अलवर मॉब-लिंचिंग मामले में पीड़ित रकबर खान का इलाज कराने में लापरवाही की जानकारी खुद पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के ओपीडी रजिस्टर से मिली है. यह एफआईआर रामगढ़ पुलिस के एएसआई मोहन सिंह द्वारा दर्ज की गई. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, रामगढ़ थाना पुलिस को शुक्रवार की रात 12 बजकर 41 मिनट पर एक गो-रक्षक नवल किशोर शर्मा ने घटना की जानकारी दी. 15-20 मिनट के बाद रात 1.05 बजे पुलिस घटनास्थल पर पहुंची.
नवल शर्मा ने अखबार को बताया कि कुछ देर मुआयना करने के बाद पुलिस 1.29 बजे वहां से चली गई. इसके बाद पुलिस ने रात 3 बजे में रकबर की गायों को पास के गौशाला में पहुंचाया. तब जाकर तड़के 4 बजे वह रामगढ़ सीएचसी पहुंची. पुलिस के घटना के 3 घंटे बाद सुबह 4 बजे सीएचसी पहुंचने की पुष्टि अस्पताल के ओपीडी रजिस्टर से हुई. सीएचसी में उस समय तैनात ड्यूटी ऑफिसर डॉ. हसन अली ने अखबार को बताया, ‘सुबह 4 बजे जब पुलिस रकबर खान को लेकर पहुंची, तब तक उनकी मौत हो चुकी थी.’
Supreme Court to hear plea on Alwar lynching case and plea seeking contempt action against Rajasthan, Haryana and UP, on 20th August.
— ANI (@ANI) July 23, 2018
इलाज में देरी पर अलग-अलग बयान
रकबर खान के इलाज में हुई देरी को लेकर पुलिस अफसर, गो-रक्षक और स्थानीय ग्रामीणों के बयान में समानता नहीं है. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, गो-रक्षक नवल शर्मा का दावा है कि उसने पुलिस को मौका-ए-वारदात तक पहुंचाया.
The victim was declared brought dead at 4 am. The body was sent to Alwar for postmortem on the request of a police officer: Dr Hasan, Ramgarh District Health Center who inspected the victim of Alwar lynching case pic.twitter.com/koHWEyyLgP
— ANI (@ANI) July 23, 2018
वहीं, कुछ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि घटनास्थल का पता चलने में लगी देरी की वजह से रकबर खान को समय रहते अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका. वहीं, लालावंडी के ग्रामीणों ने अखबार को बताया कि उस रात करीब 1 बजे लोगों ने गांव में पुलिस की जीप देखी थी. घटना को लेकर बयानों में इस तरह की असमानता से पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठाए जाने लगे हैं. मॉब-लिंचिंग की घटना के बाद अलवर के नए एसपी के रूप में पदभार संभालने वाले राजेंद्र सिंह ने अखबार को बताया कि रामगढ़ थाने के पुलिसकर्मियों द्वारा बरती गई लापरवाही का मामला उनके सामने आया है. उन्होंने कहा कि रकबर खान को सीएचसी पहुंचाने में हुई देरी के मामले की वे जांच कराएंगे और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.
The government is encouraging such incidents in the country. This government does not want the situation in the country to improve. We will raise the issue in the Parliament today: Mallikarjun Kharge, Congress on incidents of cow vigilantism pic.twitter.com/7oDu1cSaaX
— ANI (@ANI) July 23, 2018
घटना को लेकर पुलिस ने 2 लोगों को किया था गिरफ्तार
शुक्रवार-शनिवार की दरम्यानी रात हरियाणा के कोलागांव निवासी रकबर खान (28) अपने एक साथी के साथ दो गायें लेकर जा रहे थे. अलवर के रामगढ़ थाना के लालावंडी गांव से गुजरने के दौरान अज्ञात लोगों के समूह ने गो-तस्कर होने के संदेह में रकबर और उनके साथी असलम पर हमला कर दिया. इस दौरान असलम तो किसी तरह जान बचाकर भाग निकला, लेकिन भीड़ ने रकबर की बुरी तरह से पिटाई कर दी. इससे उनकी मौत हो गई. घटना के बाद सीएम वसुंधरा राजे ने गो तस्करी के संदेह में की गई कथित हत्या की निंदा करते हुए अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया. वहीं प्रदेश के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने बताया कि युवक के साथ की गई कथित मारपीट के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है और तीन अन्य लोगों की पहचान कर ली गई है. उन्होंने कहा कि अलवर जिले में गोवंश को ले जा रहे व्यक्ति के साथ की गई कथित मारपीट निंदा योग्य है और आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी.
रकबर ने दिया था बयान- 5 लोगों ने की मारपीट
जयपुर के आईजी हेमंत प्रियदर्शी ने बाद में मीडिया को जानकारी दी थी कि भीड़ द्वारा की गई मारपीट में शामिल दो आरोपियों धर्मेन्द्र यादव और परमजीत सिंह सरदार को गिरफ्तार किया गया है. पीड़ित के अंतिम बयान के अनुसार उसके साथ मारपीट में पांच लोग शामिल थे. उन्होंने कहा कि मारपीट में शामिल अन्य लोगों को शीघ्र गिरफ्तार कर लिया जाएगा. आरोपियों ने मृतक रकबर खान और उसके दोस्त असलम के साथ उस समय मारपीट की जब वे लाडपुर गांव से खरीदी गई गायों को लेकर हरियाणा के नूह जिले के कोलगांव लेकर जा रहे थे. उन्होंने बताया कि प्राथमिक जांच के अनुसार खान की मौत पिटाई से अंदरूनी चोट के कारण हुई है. मृतक और उसके साथी असलम का पूर्व में गाय की तस्करी संबंधी कोई आपराधिक रिकॉर्ड है या नहीं, इसकी जांच की जा रही है. खान के परिजनों ने हत्या में शामिल आरोपियों पर तुरंत कार्रवाई कर उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की.