….और गरीब ठेले वाले से खरीद ली सारी चप्पले नंगे पैर आ रहे श्रमिको को बड़े भाव से पहनाया

क़ुतुब अन्सारी
बहराइच। “जाकी पैर न फटी बेवाई वो क्या जाने पीर पराई” कबीरदास का ये दोहा फिलहाल जिले की इस छात्रा यश्वी मोदी की सेवाभाव को देख सटीक जरूर बैठ रहा है जिसने गैर प्रांतो से कही कंकडीली उबड़ खाबड़ पग डंडियों के साथ खुले आसमान के नीचे सूर्यदेव की तपिश की परवाह किए बगैर सैकड़ो मील का सफर कर प्रवासी मजदूर जिले मे नंगे पांव आते जाते दिखाई देने लगे तो उस छात्रा का दिल ही भर आया और उसने जिस तरह सेवा भाव इन श्रमिको के सामने पेश किया एक मिशाल जरूर पेश हो गया।


रास्ता लम्बा हो और पैर की चप्पल भी टूट जाये तो पैरो मे छाला पड़ना स्वभाविक हैं।कोविड 19 की इस आपदा मे सड़को पर बिना चप्पल के हजारो श्रमिक हर रोज सुबह से लेकर साम तक आग उगलती सड़को पर दिखाई देते है जिनमे कोई लुधिआना से तो कोई महाराष्ट्र से पैदल चल कर यहाँ पहुच सके है। ऐसे नंगे पैर चल रहे मजदूरो के लिये छावनी निवासी  व्यापारी ज्योति मोदी की पुत्री  मददगार बन रही हैं वे उन्हे नई चप्पल वितरित करके उनका राश्ता सुगम करने का प्रयास निरंतर कर रही हैं।छात्रा यश्वी मोदी ने बताया कि आज सुबह उनके घर के बाहर एक चप्पल वाला ठेले पर चप्पल बेच रहा था लेकिन अचानक उस ठेले वाले की तबीयत बिगड़ गयी और वो बैठ कर रोने लगा और अपने दूसरे साथी से बोला की चलो घर अब न बिकैये चप्पल कल से कुछ और बेचा जाई।ये बात जब छात्रा यश्वी ने सुनी तो उन्होने सोचा क्यों न उससे सारी चप्पल खरीद कर प्रवासी मजदूरो को दे दिया जाये इससे दोनो की मदद हो जायेगी और इस विचार से यश्वी ने उस वृद्ध ठेले वाले के सारे चप्पल खरीद कर शहर के हरिशंकर मित्तल चैरिटबल ट्रस्ट के सचिव संदीप मित्तल के पास सहयोग करने पहुंची ।

छावनी निवासी कपड़ा व्यापारी ज्योती मोदी की पुत्री यश्वी बताती हैं की वो पिछ्ले कई दिनो से बहुत से प्रवासी मजदूरो को नंगे पैर देख रही थी तभी से उनके मन मे ये विचार आ रहा था की क्यो न इन्हे चप्पल दी जाये लेकिन कोरोना आपदा मे बाहर निकालना उन्हे उचित नही लग रहा था तभी उनके दिमाग मे आया की हरिशंकर मित्तल चैरिटबल ट्रस्ट के सचिव संदीप मित्तल को दे दिया जाये ताकि नंगे पैर चल रहे प्रवासी मजदूरो की मदद हो सके ।समाजसेवी संदीप मित्तल ने छात्रा यश्वी मोदी के विचार की जमकर सराहना किया और उन्हे अपने साथ ले जाकर जरूरतमंदो को चप्पल वितरित करवाने का क्रम जारी है।

औरंगाबाद से पैदल नंगे पाँव पहुँचे श्रमिक को जरवल पुलिस ने सेवाभाव का दिखाया जज्बा पहनाई चप्पल 

जरवल।औरंगाबाद से सैकड़ो मील का नंगे पैर पग नापते आ रहे श्रमिक संजय कुमार चौरसिया  को देख जरवल चौकी के इंचार्ज अभय सिंह की भावुकता उस श्रमिक के सारे दर्द को उस समय भूल बैठा जब दरोगा ने उससे प्यार भरे लहजे मे उसका दर्द जाना दरोगा ने उसे पहले तो जल पान करवाया फिर उसके पारिवारिक हाल इस तरह पूंछा मानो जैसे उनका ही करीबी हो उस श्रमिक के पैरों की दशा देख दरोगा ने उसे नई चप्पले भी दिलवाई और उसे पैदल की जगह बस से उसके घर भिजवा दिया जिससे पुलिस का ये सेवाभाव देख राभ चलते लोगो की आंखे भी नाम हो गई।

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