- सीबीएसई बोर्ड में लगाए ‘दि जैन इंटरनेशनल स्कूल’ और ‘जुगल देवी स्कूल’ के सर्टिफिकेट नकली
- नगर निगम स्वास्थ्य विभाग की लैब केमिस्ट ने पकड़े नामी स्कूलों के फर्जी वॉटर टेस्टिंग सर्टिफिकेट्स
- नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने कारण बताओ नोटिस जारी करके मांगा जवाब, स्पष्टीकरण के बाद होगी कार्रवाई
कानपुर महानगर के नामचीन पब्लिक स्कूल ना सिर्फ सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) की आंखों में धूल झोंक रहे हैं, बल्कि स्टूडेंट्स की सेहत से भी खुला खिलवाड़ कर रहे हैं। कानपुर शहर के कथित बड़े स्कूलों का ऐसा कारनामा सामने आया है जिस पर तुरंत एक्शन की जरूरत है। दरअसल शहर के कुछ स्कूलों ने वॉटर टेस्टिंग के फर्जी सर्टिफिकेट बोर्ड में लगा दिए हैं। इनमें से दो स्कूलों के फर्जी वॉटर टेस्टिंग सर्टिफिकेट नगर निगम ने पकड़ लिए हैं। ये दो स्कूल हैं आजाद नगर मैनावती मार्ग पर स्थित ‘दि जैन इंटरनेशनल स्कूल’ और दीनदयाल नगर स्थित ‘जुगल देवी स्कूल’। कई अन्य स्कूलों के सर्टिफिकेट्स फर्जी होने का भी संदेह है।
नगर निगम ने सीबीएसई की वेबसाइट पर चेक करके ये भी कन्फर्म कर लिया है कि इन स्कूलों ने यही फर्जी सर्टिफिकेट सीबीएसई बोर्ड के एनेक्सचर-सी में भी लगा दिए हैं। ये एनेक्सचर-सी सीबीएसई की मान्यता नवीनीकरण के लिए अनिवार्य है। इतना ही नहीं, नगर स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय ने इनमें से एक स्कूल को 26 नवंबर 2024 को कारण बताओ नोटिस जारी करके फर्जी सर्टिफिकेट पर जवाब भी मांगा है। लेकिन कई हफ्ते बीत जाने के बावजूद स्कूल ने कोई जवाब नहीं दिया है। नगर स्वास्थ्य अधिकारी अमित सिंह गौर ने आशंका जताई है कि कोई गिरोह इस काम में संलिप्त है, जो ऐसे फर्जी सर्टिफिकेट स्कूलों को उपलब्ध करवा रहा है। शहर के दर्जनों प्राइवेट और पब्लिक स्कूल्स इस गिरोह का शिकार हो सकते हैं। इस संबंध में जल्द ही जिला विद्यालय निरीक्षक और बेसिक शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर अवगत कराया जाएगा।
स्कूलों के इन फर्जी वॉटर टेस्टिंग सर्टिफिकेट्स को सबसे पहले पकड़ा नगर निगम की ‘पब्लिक हेल्थ लेबोरेट्री’ की इंचार्ज केमिस्ट अल्का सिंह ने। निगम के स्वास्थ्य विभाग की केमिस्ट अल्का सिंह ने दैनिक भास्कर को बताया कि उनके पास जैन इंटरनेशनल स्कूल कोई व्यक्ति वॉटर टेस्टिंग सर्टिफिकेट बनवाने आया। उसने एक पुराना सर्टिफिकेट का कागज दिखाते हुए कहा कि मैडम ये वाला सर्टिफिकेट बनवाना है। केमिस्ट अल्का सिंह सर्टिफिकेट देखते ही चौंक गईं, क्योंकि वो पूरी तरह फर्जी था, पुराने एक फॉर्मेट का इस्तेमाल करके बनाया गया था। इसी तरह जुगल देवी स्कूल की तरफ से नया सर्टिफिकेट बनवाने के लिए पुराना वाला सर्टिफिकेट व्हाट्सएप पर भेजा गया, जिसको देखने पर वो भी फर्जी निकला। फर्जी सर्टिफिकेट पर दूसरे नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ अजय कुमार के गलत हस्ताक्षर और मुहर लगी मिली है। केमिस्ट अल्का सिंह के अनुसार शहर के सैकड़ों सीबीएसई स्कूलों में से महज डेढ़-दो दर्जन स्कूल ही वॉटर टेस्टिंग करवाते हैं। ऐसे में सीबीएसई में वो कौन से प्रमाण लगते होंगे?
आशंका है कि नहीं करवाने वाले स्कूलों के सर्टिफिकेट्स फर्जी हो सकते हैं। फॉर्जरी से बचने के लिए वॉटर टेस्टिंग सर्टिफिकेट प्रक्रिया को ऑनलाइन करने की राय देती हैं। इसका प्रस्ताव नगर स्वास्थ्य अधिकारी के माध्यम से देंगी। बता दें कि नगर निगम ने भी पिछले वर्ष 24 दिसंबर को ही सदन में शिक्षण संस्थाओं, गेस्ट हाउसों, 20 से अधिक कर्मियों वाली फैक्ट्रियों, पब्लिक प्लेसेज आदि के लिए हर वर्ष वॉटर टेस्टिंग करवा के सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य कर दिया है। जिससे की स्टूडेंट्स और पब्लिक को जलजनित बीमारियों से बचाया जा सके। इस वॉटर टेस्टिंग और सर्टिफिकेट की सरकारी फीस 7 हजार रुपए है। कोई संस्थान किसी वर्ष वॉटर टेस्टिंग नहीं कराएगा, उसको अगले वर्ष जुर्माने समेत फीस अदा करनी होगी।
‘दि जैन इंटरनेशनल स्कूल’ के मैनेजर राम प्रकाश श्रीवास्तव ने उनके स्कूल के फर्जी सर्टिफिकेट के बारे में पूछने पर गोलमोल जवाब दिया। उन्होंने कहा कि “हमको नहीं पता स्कूल का फर्जी वॉटर टेस्टिंग सर्टिफिकेट कैसे बन गया। जो भी जवाब देना है, नगर निगम को लिखित में दे देंगे।” जुगल देवी स्कूल के संदर्भ में कहा गया है कि किसी बाहरी व्यक्ति को सर्टिफिकेट बनवाने का काम आउटसोर्स किया गया था। उसी ने स्कूल को जाली सर्टिफिकेट थमाया। उसका पता लगाकर नगर निगम को जल्द जानकारी दी जाएगी।
सवाल ये है कि बच्चों को शिक्षित करने का ठेका लेने वाले ये स्कूल खुद ही असली और नकली सरकारी सर्टिफिकेट में अंतर नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में ये कथित बड़े स्कूल नौनिहालों को क्या शिक्षा देंगे…आप खुद ही सोच लीजिए।