दिल्ली के अलावा कई राज्यों में भी महसूस किये गये भूकंप के झटके, 5.5 मापी गई तीव्रता

नई दिल्ली। आज भूकंप के झटके दिल्ली-NCR, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान समेत मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में मंगलवार दोपहर 2.53 बजे महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.6 रही। इसका केंद्र नेपाल के बझांग जिले में था। बताया जा रहा है कि नेपाल में दो बार भूकंप आया। पहला 2.25 बजे, जिसकी तीव्रता 4.6 थी। दूसरा झटका 2.53 बजे आया जिसकी तीव्रता 6.2 रहीं। उत्तर प्रदेश में भी झटके महसूस किए गए। इसकी तीव्रता 5.5 मापी गई।

यूपी के लखनऊ, कानपुर, आगरा, नोएडा, मेरठ, मुरादाबाद, गाजियाबाद, अयोध्या, अलीगढ़, हापुड़, अमरोहा में भूकंप के झटके महसूस किए गए। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भी झटके आए। राजस्थान के जयपुर, अलवर में करीब 6 से 7 सेकेंड में तीन-चार झटके महसूस किए गए।

हरियाणा में एक दिन में दूसरी बार आया भूकंप

हरियाणा में मंगलवार को एक दिन में दूसरी बार भूकंप आया। पानीपत, रोहतक, जींद, रेवाड़ी और चंडीगढ़ में दोपहर 2:50 बजे झटके महसूस किए गए। इससे अफरा-तफरी मच गई। लोग घरों से बाहर निकल आए। इससे पहले आज सुबह सोनीपत में 2.7 तीव्रता का भूकंप रिकॉर्ड किया गया था। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक मंगलवार सुबह 11.06 सेकेंड पर भूकंप आया। भूकंप का केंद्र सोनीपत बताया जा रहा है। धरती के 8 किलोमीटर नीचे हलचल दर्ज की गई।

अब जानिए भूकंप क्यों आता है?

हमारी धरती की सतह मुख्य तौर पर 7 बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्‍यादा दबाव पड़ने पर ये प्‍लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्‍ता खोजती है और इस डिस्‍टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।

467 साल पहले चीन में आए भूकंप में 8.30 लाख लोगों की मौत हुई

तीव्रता के लिहाज से अब तक का सबसे खतरनाक भूकंप चिली में 22 मई 1960 को आया था। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 9.5 थी। इसकी वजह से आई सुनामी से दक्षिणी चिली, हवाई द्वीप, जापान, फिलीपींस, पूर्वी न्यूजीलैंड, दक्षिण-पूर्व ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में भयानक तबाही मची थी। इसमें 1655 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 3000 लोग घायल हुए थे। सबसे जानलेवा भूकंप चीन में 1556 में आया था, जिसमें 8.30 लाख लोगों की मौत हुई थी।

अब जानते हैं भूकंप से कहां-कहां जमीन खिसकी

10 फीट कैसे खिसक गया तुर्किये

इस साल की शुरुआत में तुर्किये में विनाशकारी भूकंप आया था। इसमें हजारों लोगों की जान गई थी। 7.8 तीव्रता के इस भूकंप ने तुर्किये की जमीन को 10 फीट यानी करीब 3 मीटर खिसका दिया था। ये दावा इटली के भूकंप विज्ञानी डॉ. कार्लो डोग्लियानी ने किया था। दुनिया बड़ी-बड़ी टेक्टोनिक प्लेट्स पर स्थित है। इन प्लेट्स के नीचे तरल पदार्थ लावा है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं।

तुर्किये का ज्यादातर हिस्सा एनाटोलियन टेक्टोनिक प्लेट पर बसा है। ये प्लेट यूरोशियन, अफ्रीकन और अरबियन प्लेट के बीच में फंसी हुई है। जब अफ्रीकन और अरबियन प्लेट शिफ्ट होती हैं तो तुर्कीये सैंडविच की तरह फंस जाता है। इससे धरती के अंदर से ऊर्जा निकलती है और भूकंप आते हैं। सोमवार को तुर्किये में आया भूकंप नॉर्थ एनाटोलियन फॉल्ट लाइन पर आया।

2011 में जापान में आए भूकंप से धरती खिसक गई थी
11 मार्च 2011 को जापान में 9.1 तीव्रता का अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप आया था। इस शक्तिशाली भूकंप ने न सिर्फ लोगों की जान ली, बल्कि धरती की धुरी को 4 से 10 इंच तक खिसका दिया था। साथ ही पृथ्वी की रोजाना चक्कर लगाने की रफ्तार में भी वृद्धि हुई।

उस वक्त USGS के सीस्मोलॉजिस्ट पाल अर्ले ने कहा था कि इस भूकंप ने जापान के सबसे बड़े द्वीप होन्शू को अपनी जगह से करीब 8 फीट पूर्व की तरफ खिसका दिया है। इस दौरान पहले 24 घंटे में 160 से ज्यादा भूकंप के झटके आए थे। इनमें से 141 की तीव्रता 5 या इससे ज्यादा थी। जापान में आए इस भूकंप और सुनामी ने 15 हजार से ज्यादा लोगों की जान ली थी।

इस रिंग ऑफ फायर का असर न्यूजीलैंड से लेकर जापान, अलास्का और उत्तर व साउथ अमेरिका तक देखा जा सकता है। दुनिया के 90% भूकंप इसी रिंग ऑफ फायर क्षेत्र में आते हैं। यह क्षेत्र 40 हजार किलोमीटर में फैला है। दुनिया में जितने सक्रिय ज्वालामुखी हैं, उनमें से 75% इसी क्षेत्र में हैं। 15 देश इस रिंग ऑफ फायर की जद में हैं।

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