बिहार के भ्रष्ट पदाधिकारियों के खिलाफ जल्द कार्रवाई शुरू हो सकती है। विधानसभा के बजट सत्र में BJP विधायक संजय सरावगी के सवाल के जवाब में सरकार ने इसका आश्वासन दिया है। सरकार का पक्ष रखते हुए मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा, ‘भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन (मुकदमा चलाने) की स्वीकृति जल्द दी जाएगी।’
चौधरी ने कहा, ‘जिन-जिन विभागों की अभियोजन की स्वीकृति लंबित है उसका मुख्य सचिव स्तर से विभाग के सचिवों और प्रधान सचिवों के साथ बैठक कर स्वीकृति दे दी जाएगी।’
विधायक ने कहा- टाइम फ्रेम में हो कार्रवाई
विधायक संजय सरावगी ने मांग की है कि चलते सदन में अधिकारियों पर अभियोजन शुरू करने का आदेश जारी किया जाए। उन्होंने कहा कि कई भ्रष्ट अधिकारी सेवानिवृत्त हो जाते हैं। उनकी मृत्यु हो जाती है। इस पर मंत्री ने कहा कि यह अलग-अलग मामला है। मंत्री ने बताया कि सबसे पुराना मामला 1999 का है। इसमें कई प्रकार के मामले होते हैं। पद के दुरुपयोग से संबंधित मामले में देर होती है। देर होना अच्छी बात नहीं है। हम लोग इसकी समीक्षा कर रहे हैं। शीघ्र समयबद्ध कर के अभियोजन शुरू की जाएगी।
क्या है पूरा मामला
राज्य के 125 भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति का मामला अधिकारियों ने लटका रखा है। स्वीकृति न मिलने के कारण निगरानी विभाग कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। निगरानी विभाग ने अधिकारियों के रवैये से तंग आकर सामान्य प्रशासन विभाग को डोजियर सौंपा है, इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग हरकत में आ गया है।
निगरानी विभाग ने समय से स्वीकृति की मांग की है
निगरानी विभाग ने सामान्य प्रशासन विभाग को कहा है कि राज्य के अलग अलग विभाग व जिलों में अभियोजन स्वीकृति का मामला लम्बे समय से लटका है। नियंत्री पदाधिकारी से स्वीकृति में देरी के कारण इन भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हो रही है। अगर नियंत्री पदाधिकारी की स्वीकृति समय रहते मिल जाये तो भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई में देर नहीं लगेगी।
इन विभागों के अफसरों पर गिर सकती है गाज
- विज्ञान एवं प्रावैद्यिकी विभाग पटना में एक
- मानव संसाधन विकास विभाग में 39
- ग्रामीण विकास विभाग में 14
- ग्रामीण कार्य विभाग में तीन
- ईख विभाग में दो
- दरभंगा संस्कृत विश्वविद्याालय में एक
- पंचायती राज विभाग में दो
- स्वास्थ्य विभाग में दो
- पीएमसीएच पटना में एक
- भवन निर्माण विभाग में एक
- पथ निर्माण विभाग में एक
- समाज कल्याण विभाग में दो
- महालेखाकार कार्यालय में दो
- गृह विभाग में एक
- पटना विश्वविद्यालय में तीन
- श्रम संसाधन विभाग में एक
- सहकारिता विभाग में एक
- जल संसाधन विभाग में एक
- बिहार स्टेट इलेक्ट्रानिक कॉर्पोरेशन में तीन
- राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में एक
- निबंधन सहयोग समिति में एक
- जिला परिषद गया में दो
- प्रधान डाकपाल जीपीओ पटना में दो
- वन एवं पर्यावरण विभगा में छह
- पथ निर्माण विभाग में एक
- सांख्यिकी निदेशालय में एक
- पटना कलेक्ट्रेट में एक
- मुजफ्फरपुर कलेक्ट्रेट में आठ
- बेगुसराय कलेक्ट्रेट में एक
- गोपालगंज कलेक्ट्रेट में एक
- समस्तीपुर कलेक्ट्रेट में एक
- पश्चिमी चंपारण कलेक्ट्रेट में एक
- मधुबनी कलेक्ट्रेट में एक