भोपाल: मध्य प्रदेश के भोपाल में दर्जी का काम करने वाला बेहद सीधा और सुशील आदमी आदेश खमारा को जब गिरफ्तार किया गया तो किसी यकीन नहीं हुआ कि यह दुर्दांत अपराधी है और लंबे समय से खौफनाक वारदातों को अंजाम देता आ रहा है। लेकिन जब उसने कबूला कि वह 33 हत्याओं को अंजाम दिया है। जो भी सुना हैरान हो गया कि मंडीदीप का मिलनसार दर्जी ऐसा कर सकता है? इतना ही नहीं उसके दोस्त, रिश्तेदार, पत्नी और बेटा-बेटी सभी को यकीन नहीं हुआ।
जब वह रात को बेड पर जाता था तब उसके मन में खतरनाक क्राइम के विचार आते रहते थे और वह अपने आप को किसी कुल्हाड़ी को धार देते या किसी जल्लाद की तरह फांसी के फंदे की तैयारी करते देखता था। खमारा का नाम अब 33 सीरियल हत्याओं के साथ भारत के कुख्यात हत्यारों के साथ उसका नाम जुड़ गया।
एक पुलिस अधिकारी ने एक बड़े अख़बार को बताया
‘तीन दिन तक पीछा करने के बाद खमारा एक महिला पुलिसकर्मी के सहयोग से उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर के एक जंगल से पकड़ा गया। पकड़े जाने के बाद वह हत्याओं के बारे में वह इतनी तेजी से बताने लगा कि पुलिस भी हैरान हो गई और कई पड़ोसी राज्यों में बंद पड़े हत्या के केस खोलने पड़े।’
इसने हत्याओं की शुरुआत 2010 के आसपास की।
पहली बार महाराष्ट्र के अमरावती, फिर नासिक। इसके बाद मध्य प्रदेश में लाशों के मिलने का सिलसिला चल पड़ा। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बिहार में भी कई शव बरामद हुए। इन सभी हत्याओं में एक चीज कॉमन थी। जिसकी भी हत्या की गई वे सभी ट्रक ड्राइवर थे या उनके सहयोगी थे।
हैरान करने वाली बात यह है कि जब पूछा गया कि ट्रक ड्राइवरों की ही हत्या क्यों करते थे तो उसके साथ हत्या में शामिल रहने वाले सहयोगी ने कहा कि ट्रक ड्राइवरों का जीवन बहुत कठीन होता है। हम उन्हें मोक्ष देते थे। कष्ट से छुटकारा दिलाते थे। मुक्ति के रास्ते पर भेजते थे।
भोपाल के डीआईजी धर्मेंद्र चौधरी ने कहा कि 48 साल के खमारा ने मिलनसार होने का फायदा उठाकर ट्रक ड्राइवरों को शिकार बनाता होगा। उसके दूसरे सहयोगी साथ लूट को अंजाम देते थे, जबकि वह खुद एक लंबी रस्सी से ड्राइवरों का गला घोंट देता था। कभी-कभी शिकार को मौत की नींद सुलाने के लिए वह जहर का इस्तेमाल करता था।’
खमारा शराब का झांसा देकर ट्रक ड्राइवर को फंसाता था। इसके बाद उसमें जहर या नशीली दवा मिलाकर उसको मौत की नींद सुलाता था। पहचान छिपाने के लिए हत्या के बाद वे ट्रक ड्राइवरों के सारे कपड़े उतार देते थे। इसके बाद लाश को किसी पुलिया, पहाड़ी या सड़क पर फेंक देता था।