मोदी जी जरा दीजिये ध्यान! बेरोजगारों को ठगने का जरिया बन रहा आयुष्मान योजना

  • फर्जी विज्ञापन के आधार पर नौकरी दिलाने का दिया जा रहा झांसा
  • सोशल साइट पर वायरल हो रही है फर्जी वैकेंसी
  • 15 हजार रुपये वेतन वाले एक लाख पदों पर भर्ती का है दावा
  • योजना का लाभ दिलाने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की भी फर्जी साइट शुरू
गोरखपुर। गरीब परिवारों को फ्री इलाज मुहैया कराने वाली आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना के नाम पर बेरोजगारों को ठगने का मामला सामने आया है। इस योजना में भर्ती के नाम पर सोशल साइट पर फर्जी विज्ञापन जारी हुए हैं। फर्जी विज्ञापनों में इसके झांसे में हजारों बेरोजगार युवा फंस गए हैं। युवा रोजाना सीएमओ व राजनेताओं के चक्कर काट रहे हैं। अधिकारियों ने इसकी शिकायत शासन से की।
  आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत आरोग्य मित्र के चयन को लेकर सोशल मीडिया पर अफवाह जोरों पर हैं। सोशल मीडिया पर एक लाख आरोग्य मित्र की भर्ती और 15000 रुपये वेतन का जिक्र किया गया है। कुछ वेबसाइट पर ऑनलाइन भर्ती प्रक्रिया शुरू हो गई है। आवेदन ऑनलाइन मांगे जा रहे हैं।
 
नेताओं ने की पैरवी तब विभाग के खड़े हुए कान 
बीते शुक्रवार को सत्ताधारी दल से जुड़े विधायक ने सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी को फोन किया। विधायक ने आरोग्य मित्र में निकली वैकेंसी में एक आवेदक के लिए पैरवी की। यह सुनते ही सीएमओ के कान खड़े हो गए। उन्होंने विधायक को बताया कि ऐसी कोई वैकेंसी नहीं निकाली है। इसके बाद तो सीएमओ के पास सिफारिश के लिए ढेरों फोन आ रहे हैं।
फर्जी है वैकेंसी 
सीएमओ के मुताबिक आरोग्य मित्र के पद के लिए जारी वैकेंसी पूरी तरह से फर्जी है। जिले में छह सरकारी अस्पतालों के लिए सेवा प्रदाता के जरिए आरोग्य मित्र का चयन हुआ है। उन्हें पांच हजार रुपए मानदेय मिलेगा। इस योजना में शामिल निजी अस्पताल में भी एक-एक कर्मचारी तैनात होंगे। उसे तैनात करने की जिम्मेदारी अस्पताल प्रबंधन की है। कोई भी ऐसी भर्ती प्रक्रिया नहीं चल रही है।
योजना में पंजीकरण का भी लिंक है फर्जी 
ऐसा नहीं है कि सोशल साइट पर सिर्फ बेरोजगारों को ही ठगा जा रहा है। सोशल साइट पर आयुष्मान भारत योजना में पंजीकरण कराने का झांसा देने वाले प्रचार और लिंक की भी बड़ी संख्या में वायरल हो रहे हैं। सीएमओ ने बताया कि यह लिंक भी फर्जी है। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना में लाभार्थियों का चयन हो चुका है। इसमें वर्ष 2011 की सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को शामिल किया गया है।
”पूरा मामला प्रमुख सचिव के संज्ञान में हैं। कुछ संस्थाएं अफवाह फैला रही है। उनकी जानकारी आला अधिकारियों को दी गई है। सोशल मीडिया पर वायरल हुई वैकेंसी या पंजीकरण लिंक के झांसे में न आएं। भर्ती के नाम पर किसी को भी रकम भी न दें। इसकी जानकारी विभाग को दे। जिससे अफवाह फैलाने व वसूली करने वालों के खिलाफ विधिक कार्रवाई की जा सके। ”
डॉ. श्रीकांत तिवारी, सीएमओ

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