बहराइच : वन कर्मियों पर लगा आम की फसल तोड़ने पहुंची थारु जनजाति की पिटाई करने का आरोप

थारु जनजाति के लोग बोले आम‌ की फसल को वनविभाग ने ठेके पर दे रखा है इसलिये सिर्फ आम तोड़ने की अनुमति लेने पर वनकर्मियो ने हमें बुरी तरह मारा पीटा है l

आम का बगीचा कोर ज़ोन फारेस्ट में आता है पिछले दिनो कोर जोन में वन्यजीवों के हमले में कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। जिसके कारण ग्रामीणो को इन क्षेत्रों में जाने से मना किया जाता रहा है। कुछ लोगो के बहकावे में आकर गांव वाले जबरन कोर ज़ोन में आम तोड़ने जा रहे थे। ग्रामीणो की सुरक्षा के उद्देश्य से वनकर्मियों ने उन्हें कोर ज़ोन में जाने से मना किया था किसी के साथ कोई मारपीट नही की गयी।
            जी.पी. सिंह
        डीएफओ कर्तनिया

  
मोतीपुर/बहराइच l कर्तनिया वन्यजीव प्रभाग के अंर्तगत कर्तनिया रेंज में सेंट्रल स्टेट फार्म बना हुआ था जिसके अंर्तगत सैकड़ो बीघा भूमि पर कृषि व बाग लगे हुये थे। वर्षो पूर्व जब कर्तनिया प्रभाग को संरक्षित वन्य क्षेत्र घोषित किया गया उसी के बाद से तत्कालीन सरकार ने सेंट्रल स्टेट फार्म को खत्म‌ कर उस जगह एंव वहां लगे बाग बगीचो को पूर्ण रूप से वन विभाग के अधिकार क्षेत्र में दे दिया। इस सेंट्रल स्टेट फार्म के कई एकड़ भूमि पर आम का बगीचा लगा हुआ है जिसमें प्रतिवर्ष कुंटलो आम के फल तैयार होते हैं।


  शुक्रवार को सुजौली थाने में अपनी फरियाद लेकर पहुंचे कतर्निया रेंज के बिसुनापुर  गांव के थारुजन जाति समुदाय के लोगो ने बताया कि ग्रीष्म ऋतु के आरम्भ में आम के पेड़ो में बौर आते है तो आम के फलो के सौदागर मोटा मुनाफा कमाने हेतु वनविभाग से साठगाठ कर इन बागो की रखवाली करने लगते है अौर आम की फसल तैयार होने पर स्थानीय निवासियों को बुलाकर आम तोड़ कर आधा-आधा का बंटवारा भी कर लेते हैं।  इस बार भी हमलोग आम तोड़ने बगीचे के समीप पहुंचे तो बाग में प्रवेश करने से पूर्व बाहर खड़े होकर वनविभाग की अनुमति हेतु वनकर्मियों की प्रतीक्षा करने लगे। किंतु जैसे ही वनकर्मी अपनी सरकारी गाड़ी से वहां पहुंचे उन्होंने हम लोगों से बिना कुछ पूछे लाठी-डंडों से बुरी तरह हमें पीटना शुरू कर दिया जिससे हम महिलाओं को काफी चोटें आई हैं।


पूर्व प्रधान बलीराम का कहना है कि जब को हर साल थारू महिलाओं को बुलवा कर आम तोड़वाया जाता रहा है फिर उसे आधा आधा बांट लिया जाता है तो इस बार हमारे गांव की महिलाओं को वन कर्मियों ने इतनी बुरी तरह‌ क्यों मारा। इस बाबत थाना सुजौली में प्रार्थना पत्र देकर कार्यवाही करने की मांग की गयी‌ है।
हालाकि वन विभाग इस तरह की बातो का खंडन कर रहा है वन विभाग का कहना है कि स्टेट फार्म खत्म होने के बाद से यह बाग पूरी तरीके से प्रतिबंधित क्षेत्र में यहां किसी तरह की खरीद फरोख्त या ठेका प्रथा नही की जा सकती है। 
उपरोक्त प्रकरण पर डीएफअो कर्तनिया जी.पी. सिंह ने कहा कि वनकर्मियो पर लगाये गये आरोप बेबुनियाद व फर्जी है। जिस जगह आम का बगीचा है वह कोर ज़ोन फारेस्ट में आता है। पिछले दिनो कोर जोन में वन्यजीवों के हमले में कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। गांव गांव चौपाल लगा व पर्चे तथा पमपलेट बाट कर ग्रामीणो को इन क्षेत्रों में जाने से मना किया जाता रहा है। जब ग्रामीण जबरन कोर ज़ोन में आम तोड़ने जाने लगे तो ग्रामीणो की सुरक्षा के उद्देश्य हेतु वनकर्मियों ने उन्हें कोर ज़ोन में जाने से मना किया था किसी के साथ कोई मारपीट की घटना नही की गयी

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