बहराइच : नगर पंचायत जरवल आउटसोर्सिंग में वित्तीय अनियमितताओं का भूत अब प्रमुख सचिव नगर विकास के दरबार में पहुंच गया है। पता चला है कि जल्द ही इसकी परतें कमिश्नर स्तर पर भी खंगाली जा सकती हैं, जिसमें जरवल का निकाय प्रशासन कभी भी मुश्किल में पड़ सकता है। सूत्रों की मानें तो जरवल के रहने वाले समाजसेवी सैफ अहमद ने भी आउटसोर्सिंग में हुई वित्तीय अनियमितताओं की कमिश्नर स्तर पर जांच कराने के लिए प्रमुख सचिव नगर विकास को शिकायती पत्र दिया है।
जिसमें कमिश्नर स्तर से जांच कराने की बात कही गई है।
सूत्रों की माने तो नगर पंचायत जरवल के वैराकाजी वार्ड के समाजसेवी सैफ अहमद उर्फ गुड्डू खान ने अपने शिकायती पत्र में लिखा है कि नगर पंचायत जरवल में अवैध रूप से टेंडर कराकर पंचायत का बंदरबांट किया जा रहा है, जिसमें अधिशासी अधिकारी व चेयरमैन दोनों संलिप्त हैं। श्री खान ने शिकायती पत्र में यह भी लिखा है कि अक्टूबर 2023 में मैनपावर आउटसोर्सिंग का टेंडर जारी किया गया जिसमें चेयरमैन व अधिशासी ने नियमों को ताक पर रखकर बिना अनुभव व बिना टर्नओवर वाली कंपनी जीएस ग्लोबल रिसोर्सेज ओसियन प्राइवेट लिमिटेड को टेंडर दे दिया, जिसके कागजात की जांच भी नहीं की गई। जबकि उत्तर प्रदेश सरकार के शासनादेश के क्रम में सर्विस चार्ज 4.5 प्रतिशत निर्धारित है, जबकि कंपनी ने सेटिंग करके अधिक सर्विस चार्ज पर टेंडर दे दिया। जिससे नगर पंचायत पर अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ रहा है, जिससे कर्मचारियों की पेंशन आदि पैसा न होने के कारण नहीं दी जा रही है। अधिक सर्विस चार्ज देकर नगर पंचायत को दिवालिया बनाया जा रहा है।
खान ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार की सेवा नियमावली के अनुसार आउटसोर्सिंग पर अधिकतम 40 कर्मचारी ही रखे जा सकते हैं। जबकि नगर पंचायत में लगभग 80 लोगों का भुगतान किया जा रहा है। जिसमें 25 कर्मचारी तो काम ही नहीं कर रहे हैं जो फर्जी नामों से पैसा ले रहे हैं और चेयरमैन व अधिशासी अधिकारी द्वारा आधा-आधा बांटा जा रहा है। कंपनी व अधिशासी अधिकारी की सेटिंग के चलते कर्मचारियों के भविष्य निधि का पैसा जो कंपनी को दिया जा रहा है वह भी कर्मचारियों के खाते में नहीं जा रहा है। कंपनी फर्जी स्कैन करके ईपीएफओ का लोगो लगाकर चालान की रसीद जमा कर रही है। जबकि जब कर्मचारी इसकी शिकायत करते हैं तो अधिशासी अधिकारी व चेयरमैन कंपनी को नोटिस देते हैं। और दबाव बनाकर कंपनी से पैसा ले लिया जाता है और कोई कार्रवाई नहीं होती है।
07 नवंबर 2024 को अधिशासी अधिकारी ने दिखाया कि कंपनी ने फर्जी रसीद दी है। और कंपनी ने 24,00,000 रुपए (चौबीस लाख रुपए) पीएफ जमा नहीं किया। जमा न करने पर एफआईआर दर्ज कराने की चेतावनी दी गई थी लेकिन एक माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कंपनी ने न तो पैसा जमा किया है और न ही अधिशासी अधिकारी व चेयरमैन ने एफआईआर दर्ज कराई है। बल्कि कंपनी को बुलाकर दबाव बनाया गया और लाखों रुपए देकर मामले को रफा-दफा कर दिया गया। इससे स्पष्ट होता है कि चेयरमैन व अधिशासी अधिकारी वित्तीय अनियमितता कर रहे हैं।