
पन्द्रह वर्षो से अपने घर मे दफ्ती के घोसले बनाकर गौरया को दे रहे संरक्षण
फखरपुर/कैसरगंज/बहराइच l विकासखंड कैसरगंज के ग्राम नकौडा के ग्रामीण वर्षों से को संरक्षण देने का काम कर रहे है। पूरे गाँव चिड़ियों की चहचहाहट से गुंजायमान रहता है। ग्राम नकौडा के पूर्व प्रधान अनिल चौधरी व वेदमित्र चौधरी वर्षों से गौरैया को संरक्षण देने का काम कर रहे है। इनका घर चिड़ियो के चहचहाहट से पूरा दिन गुंजायमान रहता है। इन्होने अपने घर मे बकायदा दफ्ती के डिब्बों के घोसले भी बना रखे है। जिसमें दर्जनों गौरैया व उनके बच्चे रहते है। सुबह उठकर थाली मे अनाज रखकर ही वेदमित्र चौधरी अपने दिन की शुरूआत करते है। जैसे ही सुबह होती है गौरैयों का झुंड थाली मे रखे दानो को चुगने के लिए एकत्रित हो जाते है। पूरा दिन इनका घर चिड़ियो की चहचहाहट से गूँजता रहता है।वेदमित्र बताते है कि आज से आठ नौ साल पहले गौरैया का एक बच्चा कहीं से घर मे आ गया था। जो घर के कोने मे दुबका बैठा था। जब उन्होंने उसे देखा तो हाथ से पकड़ कर घर की देहरी पर रख दिया तथा कटोरी मे दूध व कुछ अनाज के दाने भी डाल दिये।कुछ देर बाद वह दाने चुगने लगा।
उन्होंने बताया कि थोड़ी देर बाद वह हल्का हल्का उड़ने लगा लेकिन ठीक से उड़ नहीं पा रहा था। यह देखकर मैंने एक दफ्ती का डिब्बा घोसलानुमा बनाकर वहीं रख दिया तथा उसमें कुछ दाने भी डाल दिये। उसी दिन से उस गौरैया के बच्चे ने उसे अपना आशियाना बना लिया। तभी से धीरे धीरे गौरैया का कुनबा बढ़ने लगा। अब दो दर्जन से अधिक गौरैया व उनके बच्चे घोसलो मे रह रहे है। नकौडा मे ही चन्दन कुमार वर्मा व विपिन आदि भी गौरैया को संरक्षण देने का काम कर रहे है। वेद मित्र चौधरी व इनके पुत्र पूर्व जिला पंचायत सदस्य विकास चौधरी भी गाँव के लोगों को गौरैया के संरक्षण को लेकर जागरूक कर रहे है।
उन्होंने लोगों से अपील की कि गौरैया का संरक्षण कर पर्यावरण को बचाने मे अपना अमूल्य सहयोग दे।