बहराइच : आशा की सूझ बूझ से लोगों ने खायी फाइलेरिया से बचाव की दवा

कहीं मुंह  का पान तो कहीं दोपहर की गर्मी बनी दवा खाने में बाधा
 
बहराइच l दोपहर के 2 बज रहे थे और रिसिया ब्लॉक के भोपतपुर चौकी क्षेत्र में आशा कार्यकर्ता लीलावती घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिला रहीं थी । उन्होने चेतराम के दरवाजे पर आवाज दी और कहा सभी लोग फाइलेरिया से बचाव की दवा खा लो। उनके साथ आशा संगिनी रोशन जहां भी थीं ।
चेतराम की पत्नी संजू देवी ने अभी ताजा-ताजा पान खाया था।  उसकी पहली पीच कोने में थूकते हुए कहा -दवा दे दो बाद में खा लूँगी। आशा ने कहा यह दवा मै अपने सामने ही खिलाती हूँ । पास में खड़ी आशा संगिनी ने भी मुस्कराते हुये कहा कि पान बाद में भी मिल जाएगा दीदी, यह दवा तुम्हें और तुम्हारे परिवार को हमेशा के लिए फाइलेरिया रोग से बचाएगी। लेकिन हमारे घर में तो किसी को भी फाइलेरिया रोग नहीं है संजू देवी बोली । आशा ने कहा सरकार भी तो यही चाहती है कि देश में किसी को भी फाइलेरिया बीमारी न हो इसीलिए तो हम आपको दवा खिलाने आए हैं । इसको खाने से कभी फाइलेरिया रोग नहीं होगा।   
संजू देवी ने पूछा क्या बच्चों को भी दवा खानी है।  आशा ने बताया कि दो साल से छोटे बच्चे , गर्भवती और गंभीर बीमार लोगों को छोड़कर यह दवा सभी को खानी है।  घर में मौजूद सभी ने दवा खा ली अब चेतराम की बारी थी, जो घर के बाहर वरामदे में आराम कर रहे थे। अचानक दवा और साथ में पानी का गिलास देखकर चेतराम ने कहा मुझे फाइलेरिया नहीं है, मुझे यह दवा नहीं खानी है । पत्नी संजू देवी ने ने कहा – फाइलेरिया बीमारी के लक्षण 5 से 15 साल बाद दिखाई देते हैं, पहले दवा खाओ फिर फायदा बताती हूँ। दवा खिलाने के बाद कहा अब तुम्हें और हमारे बच्चों को कभी फाइलेरिया बीमारी नहीं होगी।
दोपहर की गर्मी में दवा खाने में था संकोच –
श्यामकंवल ने फाइलेरिया से बचाव की दवा अपने गमछे में बांधते हुए बोले अभी खेत से लौटा हूँ और गर्मी बहुत है, शाम को खा लूँगा।  वैसे भी अँग्रेजी दवा बहुत गरम करती है । आशा लीलावती ने कहा – यह दवा अँग्रेजी जरूर है लेकिन इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है।  इस दवा को सबसे पहले डीएम साहब ने खाया है, फिर इसे पूरे जिले में लोगों को खिलाया जा रहा है। कहा सुबह से कई लोगों को दवा खिला चुकी हूँ किसी को कोई परेशानी नहीं हुई है।  श्यामकंवल ने पत्नी से पानी मांगा और दवा खा ली।
इस मामले में जिलाधिकारी दिनेश चंद्र का कहना है कि फाइलेरिया बीमारी विश्व में अपंगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। यह व्यक्ति को कुरूप बनाती है और इसका कोई इलाज नहीं है। इससे बचने का मात्र एक ही उपाय है कि साल में एक बार और लगातार पांच साल फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन किया जाय।

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