बांदा: आरक्षण के खेल ने बिगाड़े सियासी धुरंधरों के समीकरण, शुरू हुई नई कवायद

दैनिक भास्कर न्यूज

बांदा। जिले की प्रतिष्ठित बांदा नगर पालिका सीट पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होने के साथ सियासी धुरंधरों के समीकरण गड़बड़ा गए हैं। लंबे समय से चेयरमैन का चुनाव का सपना संजाेये सामान्य वर्ग के संभावित उम्मीदवारों की उम्मीदें चकनाचूर हो गईं। जनसंपर्क और क्षेत्र में प्रचार प्रसार के नाम पर लाखों रुपए और पूरी मेहनत बेकार साबित हो गई। ऐसे करीब दो दर्जन संभावित दावेदारों के चेहरों पर मायूसी छा गई।

अब सत्ताधारी भाजपा समेत सपा, कांग्रेस और बसपा के पार्टी कार्यालयों में आरक्षण के हिसाब से मुफीद उम्मीदवारों की चहलकदमी बढ़ गई है और पिछड़ा वर्ग के नेताओं ने पार्टी के जिम्मेदारों की गणेश परिक्रमा भी तेज कर दी है।

संभावित दावेदारों की मेहनत और प्रचार प्रसार में हुआ खर्च बेकार, चेहरों पर छाई मायूसी

बांदा नगर पालिका परिषद में चेयरमैन की सीट पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार के लिए आरक्षित हो गई है। सोमवार की देरशाम जैसे ही आरक्षण सूची के अनंतिम प्रकाशन का ऐलान हुआ। जिले की सियासत में हलचल मच गई। अनारक्षित सीट के हिसाब से चुनाव की तैयारियों में जुटे सियासी वीरों में मायूसी छा गई, वहीं आरक्षण के गदगद पिछड़े वर्ग के नेताओं के चेहरे खुशी से खिले हुए दिखाई पड़े। सीट अनारक्षित होने की स्थिति में सत्ताधारी भाजपा से करीब दो दर्जन से अधिक संभावित दावेदारों ने काफी पहले से ही होर्डिंग, पोस्टर आदि से पाट दिए थे, ऐसा ही कुछ हाल सपा, कांग्रेस से चुनाव लड़ने का मन बनाए लोगों में ही रहा।

आरक्षण का ऐलान होते ही होर्डिंग वीर नेताओं के चेहरों में मायूसी स्पष्ट दिखने लगी है। पिछले एक साल से चुनाव की तैयारियों में जुटे सामान्य वर्ग के नेताओं में भाजपा से महिला मोर्चा अध्यक्ष वंदना गुप्ता, राज्य महिला आयोग की सदस्य प्रभा गुप्ता, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष नरेंद्र सिंह नन्ना, पूर्व चेयरमैन राजकुमार राज, अमित सेठ भोलू, मनोज जैन, सुरेश तिवारी सुल्ली महराज, रामकिशुन बासू, दिनेश शुक्ला लाला, किशनबाबू गुप्ता समेत तमाम चेहरे सभी तरह से सामाजिक व राजनैतिक कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति की दम पर ताल ठोक रहे थे।

ऐसे ही कांग्रेस से राजेश दीक्षित, सीमा खान, अशरफ उल्ला पप्पू रम्पा, राजेश गुप्ता पप्पू समेत कई नेता चुनाव की लड़ाई में अपनी मौजूदगी बनाए हुए थे। जबकि मुख्य विपक्षी सपा से मौजूदा चेयरमैन मोहन साहू ही अगले दावेदार के रूप में अपनी पकड़ बनाए हुए हैं।

हालांकि सपा में अनुराधा प्रदीप जड़िया, सुरेंद्र मिश्रा पप्पू आदि भी दबी जुबान चेयरमैन का चुनाव लड़ने का मंसूबा पाले थे, लेकिन मौजूदा चेयरमैन के सामने कोई खुलकर अपनी मजबूत दोवदारी नहीं कर पा रहे हैं। उधर बसपा भी अपने चिरपरिचित अंदाज में गुपचुप तरीके से चुनावी समीकरण सेट कर रही है। हालांकि अब बदली परिस्थितियों में पिछड़ा वर्ग के नेताओं ने अपनी दावेदारी मजबूत कर दी है और मंत्री से लेकर विधायक तक गणेश परिक्रमा में जुट गए हैं।

मौजूदा चेयरमैन की उम्मीदवारी पर संशय बरकरार

समाजवादी पार्टी के टिकट पर चेयरमैन बने मोहन साहू वैसे तो अपनी पार्टी में मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं, लेकिन उनकी उम्मीदवारी पर अभी भी संशय की स्थित बरकरार है। मामला यह है कि मौजूदा चेयरमैन को राज्यपाल के आदेश पर बर्खास्त कर दिया गया है। जानकारों का मानना है कि राज्यपाल से बर्खास्त चेयरमैन चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं, ऐसे में मोहन साहू आगामी नगर पालिका चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।

हालांकि बर्खास्तगी के संबंध में चेयरमैन मोहन साहू ने उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की, जिस पर 2 दिसंबर को अदालत ने फैसला सुरक्षित कर लिया है। अब मोहन साहू के चुनाव शहर में कयासों का बाजार गरम है। उधर चेयरमैन के खेमे का कहना है कि फैसला उनके पक्ष में ही आएगा और वह पूरी मजबूती के साथ चुनाव मैदान में उतरने को तैयार हैं।

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