
- समारोह में जाने-माने साहित्यकारों व कवियों की रही उपस्थिति
बांदा। जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है…तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है…जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है…जो रवि के रथ का घोड़ा है….वह जन मारे नहीं मरेगा….नहीं मरेगा। केदार नाथ अग्रवाल की यह कविता आज भी लोग सुनते और सुनाते हैं। उनके जन्मोत्सव पर लोगों ने उनके व्यक्तित्व और रचनाओं पर चर्चा की।
केदार न्यास, प्रगतिशील लेखक संघ और चिराग फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में जनकवि केदारनाथ अग्रवाल की जयंती मनाई गई। समारोह में देश के जाने-माने शिक्षाविदों के साथ कवियों और प्रखर और मुखर साहित्यकारों ने भागीदारी की। भव्य समारोह के बीच साहित्यकारों ने उपन्यास व लघु कथा संग्रह का विमोचन किया।
राजकीय महिला महाविद्यालय के झलकारी बाई सभागार में केदार न्यास, प्रगतिशील लेखक संघ और चिराग़ फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में जनकवि केदारनाथ अग्रवाल का जन्मोत्सव धूमधाम से बनाया गया। इस मौके पर महिला महाविद्यालय की प्राध्यापक डा.सबीहा रहमानी की उपन्यास गुनाहगार औरतें और लघुकथा संग्रह चीख़ का विमोचन लिटिल बर्ड प्रकाशन प्रकाशक, कुसुमलता सिंह (दिल्ली), व्यंगलोक संपादक रामस्वरूप दीक्षित, प्रो.रूपा सिंह, अमृता बेरा, शोभा अक्षरा आदि ने संयुक्त रूप से किया।
केदार न्यास सचिव नरेंद्र पुंडरीक ने जनकवि केदारनाथ अग्रवाल के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। कहा कि जनकवि केदारनाथ प्रगतिशील काव्य-धारा के प्रमुख कवि थे। उनका पहला काव्य-संग्रह युग की गंगा आज़ादी के पहले मार्च, 1947 में प्रकाशित हुआ। हिंदी साहित्य के इतिहास को समझने के लिए यह संग्रह एक बहुमूल्य दस्तावेज़ है। केदार न्यास उपाध्यक्ष अंकित कुशवाहा ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। पहले सत्र की अध्यक्षता कुसुमलता ने ने की।

मुख्य अतिथि के रुप में अमृता बेरा उपस्थित रहीं। रूपा सिंह व अक्षरा ने भी जनकवि की जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला। डा.शबाना रफीक ने सभी का आभार जताया। महिला महाविद्यालय प्राचार्य डा.दीपाली गुप्ता समेत तमाम साहित्यकार व शिक्षाविद् उपस्थित रहे।
श्रद्धा निगम की लघुकथा संग्रह का हुआ लोकार्पण
समारोह के दूसरे सत्र में समाजसेवी श्रद्धा निगम की लघुकथा संग्रह बंद दरवाज़ा और खिड़कियां का व्यंगकार रामस्वरूप व कुसुमलता सिंह ने संयुक्त रूप से विमोचन किया। कुसुमलता सिंह ने लघु कथा संग्रह पर प्रकाश डाला। कहा कि लघु कथा संग्रह बंद दरवाज़ा और खिड़कियां सराहनीय है। इस मौके पर डा.शशिभूषण मिश्र, अमृता बेरा, गोपाल गोयल, सुधीर सिंह, अमित सेठ भोलू, आनंद किशोर, विजय ओमर, प्रो.जितेंद्र कुमार, डा.जयप्रकाश सिंह, एजाज, अजहर, अजल आदि उपस्थित रहे। अकील अहमद खान ने सभी का आभार जताया।