बांदा : कृषि विश्वविद्यालय के साथ मिलकर पूरा करेंगे नानाजी के संकल्प

12वें स्थापना सप्ताह का उद्घाटन

भास्कर न्यूज

बांदा। नानाजी देशमुख ने बुंदेलखंड के विकास का सपना देखा था, जिसे हकीकत मे बदलने के लिये उन्होंने 75 वर्ष की उम्र में सफल प्रयास किया। इससे विकास के कई द्वार खुले। भारत रत्न नानाजी देशमुख ने अपने संकल्प में बुंदेलखंड की परिस्थितियों को बदलने के लिये गरीबी दूर करने, सबको शिक्षित करने, स्वरोजगार बनाने एवं स्वाभिमान से जीने के लिये लोगों को प्रेरित किया।

यह उद्गार दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट के संगठन सचिव एवं कृषि विश्वविद्यालय के प्रबंध परिषद के सदस्य अभय महाजन ने विश्वविद्यालय के 12वें स्थापना सप्ताह के उदघाटन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त की। उन्होंने कहा कि नानाजी ने कृषि की दशा और दिशा बदलने के लिये चित्रकूट एवं सतना जिले में दो कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना भी की। नानाजी के संकल्प को पूरा करने के लिये उनके द्वारा स्थापित संस्थानों के द्वारा दिन-रात प्रयास किया जा रहा है। इस प्रयास में हम कृषि विश्वविद्यालय का भी सहयोग और सामंजस्य चाहते हैं। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद भारतीय चारागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान झांसी के निदेशक डॉ.अमरेश चंद्रा ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिवार को बधाई दी। डॉ.चंद्रा ने कहा कि यह दोनों संस्थान कृषकों के लिये कार्य कर रहे हैं। इसिलये हम दोनों संस्थान मिलकर बुंदेलखंड के किसानों की मुख्य समस्या अन्ना प्रथा को खत्म करने का साझा प्रयास करेंगे। वर्तमान कुलपति के नेतृत्व में यह विश्वविद्यालय और उंचाइयों को प्राप्त करेगा एसा मेरा विश्वास है। यहां के छात्र हमारे संस्थान से शोध एवं अन्य जानकारियों के लिये जुड़ें। इसके लिये हम अनुबंध भी करेंगे।

विश्वविद्यालय के कुलपति ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि बुंदेलखंड की मुख्य समस्याओं मे अन्ना प्रथा प्रमुख समस्या है। हम गौ को माता कहते हैं परंतु उन्हें उनके हाल पर छोड़ देते हैं। इस समस्या से विश्वविद्यालय भी अछूता नहीं है। भारतीय चारागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान झांसी के साथ मिलकर हम कुछ तकनीक विकसित कर इस समस्या से छुटकारा पाने की कोशिश करेंगे।

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