दैनिक भास्कर न्यूज
बांदा। बुन्देलखण्ड की धरा पर अन्नदाताओं के लिए आयोजित इस विशाल मेले में प्रतिभाग करना सुखद अनुभूति है। कृषि विश्वविद्यालय बुन्देलखण्ड की कृषि के लिए वरदान है। विश्वविद्यालय कृषि के क्षेत्र में ज्ञान प्रसारित कर रहा है। कहा कि वे इस विश्वविद्यालय में एक मत्स्य महाविद्यालय खुलवाने की सरकार से व्यक्तिगत सिफारिश करेंगे। वैज्ञानिक पायलट प्रोजेक्ट बनाकर तकनीक का विस्तार और कृषकों को शिक्षित करें।
यह उद्गार कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में आयोजित 3 दिवसीय किसान मेले के उद्घाटन समारोह में प्रदेश के मत्स्य विभाग के मंत्री संजय निषाद ने मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में कहीं। उन्होंने कहा कि किसानों को वैज्ञानिक बनाना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। बुन्देलखण्ड पर हमारी केन्द्र व राज्य दोनों सरकारों का ध्यान है। कृषक सहयोगी योजनाएं इस क्षेत्र की दिशा व दशा बदलने में कारगर साबित हो रहीं हैं। इस विशाल कार्यक्रम के आयोजन के लिए विश्वविद्यालय के मुखिया प्रो.नरेन्द्र प्रताप सिंह तथा निदेशक प्रसार, डॉ.एनके बाजपेयी बधाई के पात्र हैं।
विशिष्ट अतिथि केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय झाँसी के कुलपति डॉ.एके सिंह ने कहा कि कई जिलों के किसान साल में चार फसलें ले रहे हैं। यहां भी सम्भावना विकसित की जा सकती है। मक्के की खेती के लिए भी परिस्थियां अनुकूल है। सरसों अच्छी फसल है जिससे किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकता है। कृषि अनुसंधान परिषद लखनऊ के महानिदेशक डॉ.एसके सिंह ने तकनीकी प्रसार के लिए वैज्ञानिकों के महत्व को बताया। जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने कठिया गेहूं एवं शजर पत्थर को वरदान बताया। कठिया गेहूं को एक जिला एक उत्पाद में सम्मिलित करने की योजना बनाई जा रही है।
विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो.नरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि शिक्षा, शोध व प्रसार कार्य विश्वविद्यालय की प्रमुख गतिविधियां हैं। शोध प्राथमिकता की पहचान कर वैज्ञानिक कार्य कर रहे हैं। कृषि को मजबूत करने के लिए पलायन रोकना होगा इसके लिए कृषि से सम्बन्धित उद्योग व अतिरिक्त आय सृजित करने के लिए वैज्ञानिक कार्य में लगे हैं। प्रबंध परिषद की सदस्य ममता मिश्रा ने महिलाओं की कृषि में सहभागिता एवं रोजगार सृजन कर अतिरिक्त आय के लिए एक साहसी कदम बताते हुए कहा कि महिला विकास में अब पुरूषों से आगे निकल रही हैं। तकनीकी सत्र में जल संरक्षण विषय पर जलयोद्धा उमाशंकर पाण्डेय ने बुन्देलखण्ड में जल संरक्षण, महत्व, विधियां और उनसे पड़ने वाले प्रभाव पर विस्तार से चर्चा की।