बाराबंकी : अति महत्वाकांक्षी योजना महज़ खानापूर्ति बनकर रह गई, जानिए पूरा मामला

रामसनेहीघाट बाराबंकी। महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम की गरीबी उन्मूलन योजना में महिलाओं आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से सूबे की सरकार ने मार्च 2021 में हर ग्राम पंचायत में महिला मेट योजना की शुरुआत की थी। किंतु ब्लॉक बनी कोडार में सरकार की यह अति महत्वाकांक्षी योजना महज़ कागजी कोरम बनकर रह गया है।

      प्रदेश की योगी सरकार ने महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से तथा स्वयं आत्म निर्भर होकर रोज़गार से जोड़ने के लिए हर ग्राम पंचायतों में स्वयं सहायता समूह की महिला मेट के रूप में चयनित किया था तथा उनकी मजदूरी दर तय की गयी थी। मनरेगा के तहत महिला श्रमबल द्वारा किए गए कार्यों की देखरेख के लिए प्रतिदिन 400 रुपये का भुगतान करने का प्रावधान है। लेकिन बाराबंकी जिले मे तथा ब्लॉक बनीकोडार में नियुक्ति महिला मेटो के कार्य और अधिकारों  ग्राम पंचायतों में अभी नही मिल सका है जबकि नरेगा योजना से गावो में कार्य निरंतर जारी है। 

मनरेगा योजना या ग्राम निधि तथा अन्य योजनाओं से कराए जा रहे कार्य में ग्राम पंचायत सचिव वा ग्राम प्रधान की साठ गांठ के चलते महिला मेट की वजह से मजदूरों की सख्या में बढ़ोतरी नही कर सकते है कार्यों को प्रतिदिन फोटो तथा कार्य कर रहे मजदूरों की रिपोर्ट सुबह देनी होती है इसी लिए महिला मेट्रो को ग्राम पंचायत में भागीदारी नही दी जा रही है। इस ब्लॉक में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि ब्लाक अधिकारियों के सह पर कर्मचारियों द्वारा जॉब चार्ट पर मजदूरों की संख्या ज्यादा दिखाकर भुगतान कराया जाता है।ताकि 20 मजदूरों का मानक पूरा न होने की दशा मे महिला मेठो को नके कार्यो से दरकिनार किया जा सके। यही वजह है कि महिला सशक्तिकरण को लेकर सरकार की नेक नीयत मंशा पर पानी फिर रहा है।

काबिलेगौर है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 एक राष्ट्रीय श्रम सुरक्षा अधिनियम है, जिसका उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम सौ दिनों का गारंटीकृत रोजगार प्रदान करना है, जिसके वयस्क सदस्य सकुशल शारीरिक कार्य करने के लिए स्वेच्छा से काम करते हैं। ग्राम पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए महिला मेटो की नियुक्ति की गई है। इन नियुक्त महिला मेटो द्वारा मनरेगा के तहत ग्राम पंचायतों में हो रहे मिट्टी आदि विकास कार्यो की देख-रेख करना, जॉब चार्ट बनाकर भुगतान करना है। लेकिन बनी कोडार सहित जिले के अधिकांश विकास खंड अन्तर्गत आने वाले ग्राम पंचायतों में तैनात महिला मेटो को ब्लाक अधिकारियों द्वारा एक वर्ष में कोई जिम्मेदारी नही सौपी गई। जिससे महिला मेट अपने को उपेक्षित महसूस कर रही है। मजे की बात यह है कि मनरेगा से जुड़े ब्लाक अधिकारियों व रोजगार सेवकों के गठजोड़ ऐसे है कि कागजों में बीस मजदूरों का मानक पूरा नही हो पाता है और ग्राम सचिव 20 से कम मजदूरों का जॉब चार्ट (मस्टरोल) बनाकर महिला मेठो को दरकिनार करते हुए भुगतान करा देते है। जिससे महिला मेठ अपनी सहभागिता का दावा भी नही कर पाती और लम्बे समय से मनरेगा में भ्रष्टाचार से पर्दा भी नही उठ पा रहा है।

महिला मेट के कार्यो का गाइड लाइन

मनरेगा में महिला मेट के कार्यो व दायित्वों को लेकर जारी गाइड लाइन के अनुसार 20 या 20 से अधिक मजदूरों के कार्यो में महिला मेट की सहभागिता सुनिश्चित की गई है। इन महिलामेटो द्वारा मजदूरों का जॉब चार्ट (मस्टरोल) बनाकर ब्लाक अधिकारियों को अवगत कराते हुए भुगतान करना है। यदि मजदूरों की सख्या 40 है तो गाइडलाइंस के मुताबिक दो महिला मेट उन कार्यो की देख-रेख करेगी। ब्लाको में चर्चा के अनुसार मजदूरों की संख्या 20 से कम है तो मनरेगा के कार्यो को रोजगार सेवक अपने तरीके से देखरेख करेगा और जॉब चार्ट बनाकर भुगतान कराएगा।जबकि ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत यदि दो परियोजना चल रही है तो एक परियोजना पर महिला मेट व दूसरे पर रोजगार सेवक कार्य की देख-रेख करेगे।

महिला मेटो ने की शिकायत

जनपद के ब्लॉक बनी कोडार के अधिकारियों से शिकायत दर्ज कराते हुए कहा है कि ग्राम पंचायतो में मनरेगा योजना के तहत जो भी कार्य होता है उसकी सूचना ग्राम प्रधान व सचिव द्वारा हम लोगो को नही दी जाती हैं और दिया भी जाता हैं तो कोरमपूर्ति के तौर पर दिया जाता है। साथ ही भुगतान पर किसी प्रकार का विचार स्पष्ट नहीं किया जाता है। महिला मेटो ने कहा कि विभाग ग्रुप के माध्यम से अनियमितता व घोर लापरवाही का सूचना मिलती रहती है। ना हमलोगो को किसी किसी काम की जिम्मेदारी सौंपी जाती है और ना ही कोई काम लिया जाता है। ऐसे में हम लोगो को कुछ समझ में नहीं आ रहा है की हम लोगों की नियुक्ति किस लिए हुईं है। ऐसी परिस्थिति में हमलोग क्या करें कुछ समझ मे नही आ रहा है।

क्या कहते है बनी कोडार के मनरेगा एपीओ अमित कुमार वर्मा

महिला मेटो के नियुक्ति और दायित्वों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया की ब्लाक क्षेत्र में कितने महिला मेट द्वारा मनरेगा के तहत ग्राम पंचायतों में कार्य कराया जा रहा है। तो कहा की जो तेज महिला है वह कार्य करती है बाकी घर से निकलना नही चाहती है।और कुल एक सो एक है जिनमे 70 सक्रिय है।बताया कि 20 से कम संख्या पर रोजगार सेवक ग्राम पंचायत में विकास कार्य करायेंगे।के बनीकोडार ब्लाक तो एक बानगी कमोवेश पूरे जनपद का यही हाल है।

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