दैनिक भास्कर ब्यूरो
बरेली। कृषि यंत्र घोटाले की प्रशासनिक जांच अंतिम दौर में पहुंच गई है। जांच अधिकारी डीसी मनरेगा और एसडीएम बहेड़ी ने बीते वर्षों में इस योजना के तहत सब्सिडी लेने वाले किसानों का ब्यूरो और बैंक खाता नंबर मांगे तो कृषि विभाग के बाबू शिवकुमार और तकनीकी सहायक नृपेंद्र कुमार ने उसे उपलब्ध नहीं कराया। एक निजी बैंक में सब्सिडी पाने वाले किसानों के खाते खुलवाए गए। सब्सिडी आते ही उन खातों को बंद कराकर करोड़ों रुपये का गोलमाल कर लिया गया।
स्टाफ ने की आनाकानी, बाबू और कृषि एजेंसी पर गाज गिरना तय
कृषि विभाग ने 2020-21 में 15 ब्लॉकों में से केवल तीन ब्लॉक में ही कस्टम हायर केंद्र की स्थापना की। 12 ब्लॉक के किसान सब्सिडी पाने से वंचित रह गए। तीन ब्लॉकों में भी सब्सिडी पाने वाले अधिकांश एक ही परिवार के लोग शामिल थे। पति पत्नी को भी एक साथ ही सब्सिडी दे दी गई। जबकि शासनादेश के अनुसार पति और पत्नी में से केवल एक व्यक्ति को ही सब्सिडी का फायदा मिल सकता है। बाबू और कर्मचारियों ने अगले वितीय वर्ष में भी उन्हीं लाभार्थियों को कृषि की अन्य योजनाओं में भी सब्सिडी का लाभ दे दिया, जिसको कृषि यंत्र में दिया गया। जांच में यह शासनादेश नियमों के विरुद्ध पाया गया।
लाभार्थियों के चयन में धांधली निकलकर सामने आई है। इस बात को जांच अधिकारियों ने भी माना। बहेड़ी विधायक अताउर्रहमान ने शासन में अपर मुख्य सचिव कृषि डॉ देवेश चतुर्वेदी को इस बारे में पत्र लिखकर शिकायत की थी। इसी क्रम में डीएम शिवाकांत द्विवेदी ने डीसी मनरेगा गंगाराम और एसडीएम बहेड़ी को जांच सौंपी। डीसी मनरेगा ने कृषि विभाग में पहुंचकर घपले से संबंधित अभिलेख एकत्र किए। इससे बाबुओं में हड़कंप मच गया। घोटाले में 20 साल से तैनात बाबू औरी तकनीकी सहायक पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है।
“जांच अधिकारी” गंगाराम, डीसी मनरेगा का बयान
कृषि यँत्र घपले से संबंधित जांच अभी चल रही है। कृषि विभाग से सब्सिडी पाने वाले किसानों के नाम, पते और बैंक खाते की डिटेल मांगी गई थी। वह स्टाफ ने उपलब्ध नहीं कराई। जांच जल्द पूरी करके रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों को सौंप दी जाएगी।