बरेली : अगर कश्मीरी पंडितों को किया बेघर, तो अल्लाह का भुगतना पड़ेगा अजाब- राज्यपाल केरल

बरेली । राज्यपाल केरल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि अल्लाह इंसाफ करने वालों को पसन्द करता है। उन्होंने कहा है कि कश्मीरी पंडितों को उनका घर छोड़ने पर मजबूर किया गया, अल्लाह का अजाब उन पर काबिज होगा। गुरुवार दोपहर सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि अल्लाह केवल एक जगह हथियार उठाने की इजाजत देता है, जब किसी पर जुल्म हो रहा हो। कश्मीरी पंडितों पर बोलते हुए उन्होंने खुले मंच से कश्मीरी पंडितों का दर्द बयान करते हुए कहा कि जिन लोगों ने कश्मीरी पंडितों को घर छोड़ने पर मजबूर किया तो क्या उन पर अल्लाह का कहर नही बरपेगा ?

इल्म सबको हासिल करना चाहिए :राजपाल

उन्होंने कहा कि कुरान में किसी को उसके घर से बेघर कर करना ही ज़ुल्म है। उन्होंने पूछा कि जिन लोगों को आधी रात में घरों से निकाला गया और बेरहमी से जुल्म किया तो क्या उन्हें कोई माफी मिलनी चाहिए। क्या उन पर ज़ुल्म करने वालों पर कहर नही आएगा।
उन्होंने कहा कि देश में हजारों साल विदेशी हुकूमत रही फिर भी इस देश की संस्कृति पर कभी खतरा नहीं पैदा हुआ। उन्होंने कहा कि अल्लाह अलग अलग धर्म और लोगों को बनाये रखना चाहता है तो तुम लोग अल्लाह के मर्जी में दखल क्यों दे रहे हो। राज्यपाल केरल ने आज सर्किट हॉउस में आयोजित एक कार्यक्रम में उलेमा मौलाना शाहबुद्दीन की लिखी किताब मुफ़्ती ए आज़म हिन्द और उनके खुलफ़ा का विमोचन किया इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इल्म सबको हासिल करना चाहिए क्योंकि इल्म की रोशनी से सारे मसले हल हो जाते हैं।

पाकिस्तान की दुर्दशा पर दबे लफ्ज़ो में कहा कि वहा भुखमरी के हालत है। उन्होंने कहा कि माना हमारा पडोसी मुल्क हमारी मर्ज़ी के खिलाफ बना पर हम नही चाहते कि वह टूटे।आरिफ मोहम्मद ने एक बार फिर दोहराया- वंदेमातरम में कोई भी विवादित शब्द नही है, उन्होंने इसका तरजुमा कर लोगों से इस पर राय मांगी थी। खान ने इल्म हासिल करने पर जोर दिया। सलाह दी कि कुरान को समझ कर पढ़े। खुद से रोज सवाल किया करें कि आज हमने समाज को क्या दिया है। बोले कि लोगो की आलोचना ने मुझे बारीकी से कुरान पढ़वा दिया।

उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति अधिकारों पर कम दायित्वों पर अधिक जोर देती है। उन्होंने विभिन्न संप्रदायों की साझा संस्कृति के उदाहरण भी दिये। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति ज्ञान के संवर्धन के लिए जानी जाती है। भारत की विविधता को स्वीकार ही नहीं किया बल्कि सम्मान भी दिया गया। हम स्वीकार ही नही सम्मान भी करते है। यहाँ सभी धर्मो का सम्मान होता है। उन्होंने कहा कि यहां की परंपरा वैदिककाल की परंपरा है। आदिकाल से ही हमारी विविधता की कल्पना का मतलब सह अस्तित्व और स्वीकार्यता रहा है । विविधता को स्वीकार करना एकता को मजबूत करने का जरिया है।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

हिमाचल में तबाही, लापता मजदूरों की तलाश जारी न हम डरे हैं और न यहां से जाएंगे एयर इंडिया विमान हादसे पर पीएम मोदी की समीक्षा बैठक क्या बेहतर – नौकरी या फिर बिजनेस पेट्स के साथ डेजी का डे आउट