बरेली : भाजपा चुनाव हारी, तो दो पप्पुओं के बीच में फंसे भंडारी

दैनिक भास्कर ब्यूरो

बरेली। स्थानीय राजनीति में ओंकार राठौर उर्फ भंडारी का नाम कोई नहीं जानता। मगर, इनका परिचय इतना है कि ओंकार राठौर उर्फ भंडारी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या के पति गिरधारीलाल साहू पप्पू के पास कई साल तक नौकरी कर चुके हैं। भंडारी राजनीति में भी खासी दिलचस्पी रखते हैं। खासतौर से जब कोई चुनाव आता है तो किसी न किसी व्यक्ति को जरूर लड़ाते हैं। बरेली के मोहल्ला जोगी नवादा के रहने वाले भंडारी कुछ समय पहले तक यह निवर्तमान विधायक राजेश कुमार मिश्रा पप्पू भरतौल के पास नौकरी करते थे। मगर, अब उन्होंने भंडारी को नौकरी से हटा दिया। बताया जाता है कि अपने पुराने मित्र पप्पू गिरधारी के रिश्तेदार को चुनाव हराने में भूमिका सामने आने के बाद निवर्तमान विधायक पप्पू भरतौल ने भंडारी पर एक्शन लिया।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कैबिनेट मंत्री के पति के सारथी रह चुके हैं भंडारी

बरेली के निकाय चुनाव में ओंकार राठौर उर्फ भंडारी का नाम अचानक चर्चा में आ गया। यह बात सही है कि राजनीतिक रूप से बरेली में ओंकार राठौर उर्फ भंडारी को कोई नहीं जानता। मगर, भाजपा के कुछ बड़े नेताओं से नजदीकी होने के बाद चुनाव लड़ाने के चलते भंडारी इन दिनों चर्चा में हैं। ओंकार राठौर उर्फ ने उत्तराखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पास लंबे समय से नौकरी की। भंडारी तब धामी के सारथी थे, जब वह खटीमा से केवल विधायक थे। इससे पहले भंडारी उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य के पति गिरधारी लाल साहू पप्पू उर्फ पप्पू गिरधारी के सारथी भी रह चुके हैं। किसी बात पर उनसे अनबन हो गई तो भंडारी ने नौकरी छोड़ दी और बरेली आ गए।

कैबिनेट मंत्री के पति के रिश्तेदार के खिलाफ चुनाव निर्दलीय लड़ाने पर चली गई नौकरी

यहां भी उनका पीछा पप्पू से नहीं छूटा। भंडारी को बरेली में दूसरे पप्पू यानी कि राजेश कुमार मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल के पास नौकरी मिल गई। निकाय चुनाव से पहले तक निवर्तमान विधायक के पास इनकी नौकरी ठीक-ठाक चल रही थी। इसी बीच नगर निगम के चुनाव आ गए। नगर निगम चुनाव में वार्ड 33 से भाजपा ने उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य के पति पप्पू गिरधारी के रिश्तेदार पत्नी मीनू राठौर को पार्षद का टिकट दिया। यह भाजपा नेता हरिओम राठौर की पत्नी हैं। हर किसी को उम्मीद थी कि भाजपा के टिकट पर गिरधारी लाल साहू पप्पू के रिश्तेदार की पत्नी आसानी से चुनाव जीतकर पार्षद बन जाएगी। मगर, उनके पार्षद बनने की राह में ओंकार राठौर उर्फ भंडारी बाधा बन गए।

भंडारी ने वार्ड 33 जोगी नवादा में भाजपा प्रत्याशी बनी पप्पू गिरधारी के रिश्तेदार की पत्नी मीनू राठौर के खिलाफ प्रेमशंकर राठौर को निर्दलीय चुनाव लड़ा दिया। भंडारी की इस रणनीति से वार्ड 33 में भाजपा और सपा के प्रत्याशी चारो खाने चित्त हो गए। पप्पू गिरधारी की रिश्तेदार को 819 वोटों के अंतर से चुनाव हारकर तीसरे नंबर से संतोष करना पड़ा जबकि सपा प्रत्याशी उस्मान अल्वी की पत्नी परवीन बेगम 1421 वोट लेकर दूसरे नंबर पर रहीं। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अगर भंडारी निर्दलीय प्रत्याशी प्रेमशंकर राठौर की पत्नी कमलेश राठौर को चुनाव नहीं लड़ाते तो भाजपा या सपा का प्रत्याशी ही पार्षद बनता।

मगर, ओंकार राठौर उर्फ भंडारी की चुनावी रणनीति के बल पर निर्दलीय प्रेमशंकर राठौर की पत्नी कमलेश राठौर 1777 वोट हासिल करके 351 वोटों के अंतर से चुनाव जीत गईं। पप्पू गिरधारी की रिश्तेदार और भाजपा प्रत्याशी मीनू राठौर तीसरे स्थान पर खिसक गई। पत्नी के चुनाव हारने से परेशान भाजपा नेता हरिओम राठौर ने भंडारी की शिकायत निवर्तमान विधायक से की। इस पर निवर्तमान विधायक पप्पू भरतौल ने भंडारी को नौकरी से बाहर कर दिया। इस तरह दो पप्पुओं ( पप्पू गिरधारी और पप्पू भरतौल) के बीच में फंसकर भंडारी को अपनी नौकरी गवांनी पड़ी।

वर्जन

हमने मुख्यमंत्री का बूथ जिताया था

जब मैं उत्तराखंड में था तो मुख्यमंत्री जी की विधानसभा खटीमा से हमने उनको न्यूरिया कॉलोनी का सुरपड़ा बूथ जिताकर भेजा था। कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या को भी चुनाव लड़ा चुका हूं। इस बार हमने उनके विरोध में चुनाव लड़ाया तो निर्दलीय प्रत्याशी पार्षद बन गया। मैं भाजपा कैडर का व्यक्ति हूं, लेकिन पार्टी ऐसे व्यक्ति को टिकट देती है, जिसको समाज सम्मान नहीं देता है तो निर्दलीय चुनाव लड़ाकर जिताना ही ठीक है। जो पार्षद जीते हैं, वह भी भाजपा के ही हैं। हमारी नौकरी चली गई तो जाने दो। दूसरी नौकरी मिल जाएगी। मगर, जो व्यक्ति अच्छा नहीं है, उसे हमेशा चुनाव हराना मेरी प्राथमिकता में रहेगा। – ओंकार राठौर उर्फ भंडारी

बागी को नहीं मिलेगी नौकरी : भरतौल

भंडारी ने भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ वार्ड 33 से निर्दलीय प्रत्याशी को चुनाव लड़ाया था। जब हमें यह शिकायत मिली तो उसे नौकरी से हटाया। फिर पप्पू गिरधारी हमारे पुराने मित्र हैं। ओंकार राठौर उर्फ भंडारी को उनकी मदद करनी चाहिए थी, जो उसने नहीं की। भाजपा के खिलाफ जो भी काम करेगा, उसे नौकरी पर नहीं रखा जा सकता।

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