बरेली : भक्तिमय हुई नाथ नगरी, जन-जन तक गूंज रहीं रामायण की चौपाइयां

दैनिक भास्कर ब्यूरो

बरेली। नाथों की नगरी बुधवार को रामायण की चौपाइयों से गूंज उठी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पर्यटन एवं संस्कृति विभाग, भारतीय संस्कृति और कला को प्रोत्साहित कर रहे हैं। जिला प्रशासन के सहयोग से ऐतिहासिक तुलसी मठ में तीन दिवसीय बाल्मीकि रामायण के अखंड पाठ का आयोजन शुरू किया गया। इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि नवरात्र में सभी दुर्गा मंदिरों में दुर्गा स्तोत्र और रामनवमी पर रामचरितमानस, बाल्मीकि रामायण की चौपाइयां गूंज रही हैं।

जिला प्रशासन के सहयोग से तुलसी मठ में शुरू हुआ तीन दिवसीय रामायण का अखंड पाठ

मुख्यमंत्री के निर्देश पर डीएम शिवाकांत द्विवेदी ने सभी तहसीलों के प्रमुख मंदिरों में भजन संध्या और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन कराया। नाथ नगरी में 9 दिनों तक दुर्गा सप्तशती और रामचरितमानस के पाठ गूंजते रहे। विक्रम संवत 2080 की शुरुआत होते ही चैत्र नवरात्र में दुर्गा शक्तिपीठ में दुर्गा सप्तशती और अखंड रामायण के पाठ के आयोजन की योगी सरकार ने घोषणा की थी। सांस्कृतिक आयोजन के लिए सभी जिलों को एक-एक लाख रुपये भी दिए गए थे।

7000 वर्षों से ऋषि-मुनियों की तपस्थली रही है तुलसी मठ

तुलसी मठ के महंत नीरज नयन दास की प्रेरणा से रामायण का अखंड पाठ शुरू किया गया। तुलसी मठ का गौरवशाली इतिहास है। 7000 वर्षों से यह ऋषि-मुनियों की तपस्थली रही है। प्राचीन पंचाल में संत तुलसीदास ने इस स्थान की महिमा को जानकर यहां अपना आश्रम बनाकर स्थापना की थी। इसके बाद 500 वर्ष पूर्व गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने यहां रामचरितमानस का पाठ किया था। राम जन्मभूमि को भी इस तपोस्थली की सेवा प्राप्त हुई है।

रामायण का संदेश, सामाजिक, परिवारिक एकता, सुरक्षा की गारंटी ही है रामराज्य

बाल्मीकि रामायण विश्व के पुरातन इतिहास भूगोल ज्योतिष दर्शन एवं सामाजिक व्यवहार की सुंदर कृति है। धार्मिक एवं सामाजिक दोनों दृष्टि से इसे सबसे सर्वोत्तम ग्रंथ माना गया है। महर्षि वाल्मीकि ने वेदों का सार, वैदिक सूक्तियों का वैभव मानव मात्र के कल्याण के लिए पहुंचाने का अद्भुत प्रयास किया। करुण रस से ओतप्रोत, अलौकिक सांस्कृतिक साहित्य, भाषा शैली भाव एवं विचार के दृष्टिकोण से ग्रंथ महानता की श्रेणी में सर्वोच्च स्थान पर है। संस्कृत साहित्य के आरंभिक महाकाव्य में अनुष्टप छंदों में रचित, श्लोक उपजाति और इंद्रवज्रा छंद में भी प्राप्त होते हैं। इस ग्रंथ में चतुर्विधि पुरुषार्थ धर्म, अर्थ काम और मोक्ष का वर्णन है। महाकाव्य में 24000 श्लोक, सात अध्याय और 645 वर्ग हैं। संस्कृत मंत्रों के उच्चारण से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रस्फुटन होता है।

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