बस्ती। राम तुम्हारे चाहने वाले तुझपर जान लुटाएंगे,राम लला हम आयेंगे मंदिर वहीं बनाएंगे। कभी यह गीत श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन का हिन्दू जनमानस का प्रेरणा स्त्रोत बन गया था।गीत की आवाज कान में पड़ते ही लोगों का मन रामभक्ति रस में सराबोर हो जाता था।पांव थिरकने लगते थे।
आज जब करोड़ों हिंदुओं के आराध्य देव अपने महल में विराजमान होने जा रहे हैं तो मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों के मन की बात वाणी से निकल रही है जो स्वप्न कयी दशक पूर्व देखते हुए मंदिर आंदोलन में तन और मन लेकर कूद पड़े थे आज वह स्वप्न साकार होते देख लोग अपने मन के उद्गार को बयां कर भावुक हो जा रहे हैं। प्रभु का भव्य मंदिर अयोध्या में बने लोगों के मन में ऐसा जुनून था कि सरकार की पाबंदियों को और कारसेवकों को रोकने की सारी पाबंदियों को धता बताते हुए सड़क मार्ग छोड़कर पगडंडी के सहारे नाव से सरयू नदी पार कर अयोध्या में प्रवेश कर गये थे। वहीं जब रामलला अपने भव्य महल में जब विराजमान होने जा रहे हैं तो मंदिर आंदोलन से जुड़े लोग अपने भावनाओं को व्यक्त करते हुए भावविभोर होकर कह रहे हैं की आज हमारा जीवन धन्य हो रहा है।
जन जागरण के लिए कलश यात्रा व गांव गांव में शिलापूजन हेतु आयोजित कार्यक्रमों के जरिए मंदिर निर्माण के लिए क्षेत्र में अलख जगाने वालों की बूढ़ी हो चुकी आंखों में अब राम मंदिर निर्माण होने पर वही पुरानी चमक लौट आई है। राममंदिर निर्माण के लिए संघर्षों की कहानी बयां करते हुए भावुक इन बुजुर्गों ने कहा कि कभी सोचा भी नही था कि इस जीवन मे मंदिर निर्माण का सपना पूरा होगा मगर अब जब भगवान श्री राम अपने घर मे विराजमान होने जा रहे है तो लगता है जीवन सार्थक हो गया।
हर्रैया कस्बे के निवासी और दवा विक्रेता संतोष केसरवानी, निरंकार मोदनवाल आज भी वह दिन याद करते हुए भावुक हो जाते हैं जब रामजन्म भूमि आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने के कारण तत्कालीन भाजपा मंडल अध्यक्ष थाना खान गांव निवासी स्वर्गीय बाबू भगवती लाल एडवोकेट, स्वर्गीय राम ललित तिवारी के साथ गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था।और महीनों जेल में ही बिताना पड़ा था। उन्होंने बताया कि जब लोग मंदिर का नाम लेने से डरते थे आज तो वहीं लोग अपने को मंदिर निर्माण आंदोलन का पुरोधा बताने में नहीं चूक रहे हैं जिनका इस आंदोलन से कोई सरोकार नहीं रहा आज वे भाजपा में बड़े बड़े पदों पर विराजमान हैं।क्षेत्र के अटवा गांव निवासी 87 वर्षीय लाट बहादुर सिंह ने मंदिर आंदोलन से जुड़े अपने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि वह कसबे के एक कॉलेज में शिक्षक थे।विहिप के राम मंदिर निर्माण के देश व्यापी जन जागरण के समय अशोक सिंघल जी के विचारों से प्रभावित होकर जुड़े।
और विहिप के हिन्दू जन जागरण कार्यक्रम के तहत गांवों में कलश यात्रा व शिलापूजन कार्यक्रम कर लोगो को भावनात्मक रूप से जोड़ने का कार्य करते रहे।माझा क्षेत्र के सैकड़ो गावो में चुपचाप पहुंचकर लोगो को कार सेवा के लिए प्रेरित किया जिसका असर रहा कि मुलायम सिंह सरकार की तमाम बंदिशों के बावजूद हजारों कार सेवक इन्ही गाँवो की पगडंडियों से नदी पार कर अयोध्या पहुंचने में सफल रहे।
काशियापुर गाँव निवासी पूर्व शिक्षक सूर्यबली सिंह राम मंदिर आंदोलन के समय 38 वर्ष के थे।कहा कि संघ के तत्कालीन विभाग प्रचारक बीरेंद्र जी के सानिध्य में आकर मंदिर निर्माण आंदोलन में जुड़ाउन्होंने बताया कि भाजपा नेता शीतला सिंह की अगुवाई में करीब एक दर्जन ग्रामीणों के साथ हम सब छिप छिपाकर। विहार बंगाल व पूरब की तरफ से आने वाले कार सेवकों को राम जानकी मार्ग के रास्ते सरयू नदी तक पहुंचाने में लग गए।
पुलिस को जानकारी मिल गई तो गिरफ्तारी के घर पहुंच गई।चकमा देकर हम सब विसेसरगंज बाजार सड़क पर पहुंचे तो अमोढ़ा बाजार के पास गिरफ्तार कर लिए गए।गिरफ्तार होने के बाद बस्ती पुलिस लाइन भेज दिया जहां से रात में भाग निकले। बाबरी ढांचा विध्वंस की घटना का जिक्र करते हुए बताया कि हम सब पुलिस से बचकर विहिप की योजना के अनुसार कार सेवको व स्थानीय नव युवकों को खाने के पैकेट के साथ अयोध्या भेजने में लगे रहे।
स्मृतियों को संजोते हुए बताया कि एक व दो नवंबर 1992 को हजारों की संख्या में राम भक्त कारसेवको के लिए लंच पैकेट तैयार करने का निर्देश मिला जिसके बाद पूरी टीम के साथ गांवों व कस्बो में लोगो की मदद से चार व पांच नवंबर को हजारों पैकेट अयोध्या पहुंचाया गय।आज जब प्रभु श्रीराम के मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारी चल रही है। करोड़ो हिन्दुओं के आराध्य देव प्रभु श्रीराम अपने भव्य महल में प्रवेश करने जा रहे हैं। मंदिर आंदोलन से जुड़े सभी रामभक्तों ने भावुक होते हुए कहा कि कभी नही सोचा था कि जीते जी इस जीवन मे राम मन्दिर निर्माण का सपना पूरा होते देख पाऊंगा मगर अब राम लला अपने घर मे विराजमान हो रहे है तो लगता है जीवन सार्थक हो गया।