हो जाईये सावधान ! अब बिना मास्क घर ने निकले और सावर्जनिक स्थान पर थूके तो लगेगा तगड़ा जुर्माना

देहरादून । उत्तराखंड में अब बिना मास्क पहने घर से बाहर निकले और सार्वजनिक स्थलों पर थूका तो आपकी खैर नहीं होगी। इन दोनों को अब अपराध की श्रेणी में शामिल कर दिया गया है। पकड़े जाने पर जुर्माना अदा करना होगा, जिसका शासन ने आज विधिवत ऐलान किया है। इन मामलों में पुलिस उपनिरीक्षक और राजस्व निरीक्षक को जुर्माने का अधिकार भी दिया गया है। 

प्रभारी सचिव स्वास्थ्य डॉ पंकज पांडेय द्वारा मंगलवार को जारी आदेश में कहा गया है कि घर से बाहर या सार्वजनिक स्थान पर मास्क, गमछा, रुमाल या दुपट्टा से चेहरा ढकना अब अनिवार्य कर दिया गया है। इसका उल्लंघन करने पर पहली व दूसरी बार में 100 रुपये जुर्माना जबकि तीसरी या उससे अधिक बार पकड़े जाने पर 200 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। जुर्माना न भरने पर ऐसे मामलों में 5000 रुपये जुर्माना और छह माह की सजा भी हो सकती है। सार्वजनिक स्थान पर थूकने पर भी यही नियम लागू होंगे।


आदेश के अनुसार इन मामलों में पुलिस उपनिरीक्षक व राजस्व निरीक्षक को भी जुर्माने का अधिकार दिया गया है। जिला अधिकारी किसी अन्य सक्षम अधिकारी को भी जुर्माने के लिए अधिकृत कर सकते हैं। इन सभी अपराधों को संज्ञेय और जमानती श्रेणी में रखा गया है। 
इसके साथ ही सरकार ने केंद्र व राज्य सरकार के लॉक डाउन नियमों का उल्लंघन करने पर भी जुर्माने का प्रावधान कर दिया है। लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन पहली बार करने पर 100 रुपये, दूसरी बार के उल्लंघन पर 200 से 500 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति लॉक डाउन नियमों का उल्लंघन दो से अधिक बार करता है तो उसे 500 रुपये जुर्माना देना होगा। इसके बाद हर बार 500 रुपये का ही जुर्माना लगेगा। इन मामलों में यदि अपराधी द्वारा शमन राशि अदा नहीं की जाती तो तो तो फिर पांच हजार रुपये जुर्माना और छह माह की सजा का प्रावधान है।  

उत्तराखंड में कोरोना की ड्यूटी के दौरान किसी भी स्वास्थ्य कर्मी के साथ मारपीट, हिंसा या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर सजा का प्रावधान कर दिया गया है। जो केंद्र सरकार द्वारा जारी महामारी रोग संशोधन अध्यादेश में तय की गई सजा के समान होगी। आज जारी उत्तराखंड राज्य महामारी कोविड-19 संशोधन विनियमावली में स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मारपीट, हिंसा और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने को भी अपराध की श्रेणी में शामिल करते हुए सजा का प्रावधान किया गया है। फिलहाल राज्य सरकार ने इन मामलों में अपनी ओर से सजा तय नहीं की है। 

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