त्यौहारी सीजन में मिलावटखोरों से रहें सावधान

प्रवीण पाण्डेय/मुकेश चतुर्वेदी

मैनपुरी। त्योहारों पर मिठाईयों के जरिए खुशियों को बांटा जाता है। मुंह मीठा किए बिना तो त्योहार ही अधूरा सा लगता है। लेकिन अगर आप इस होली बाजार से मिठाई खरीदने वाले हैं, तो हो जाइए सावधान, क्योंकि यह मिठाई ले सकती है आपकी जान। जी हां, इसे पढ़ने के बाद आपको यकीन हो जाएगा… होली और अन्य त्योहारों के समय मिठाईयों की मांग बहुत होती है। इसी का फायदा उठाकर मिलावटखोर, मावे व मिठाईयों में मिलावट करके उसकी मात्रा तो बढ़ा देते हैं, लेकिन उसकी गुणवत्ता पूरी तरह से खत्म हो जाती है।

इसका नतीजा कई बार लोगों के बीमार होने, उल्टी, दस्त, घबराहट मौत के रूप में भी सामने आता है। दरअसल मिठाईयां बनाने के लिए दूध, मावे और घी की आवश्यकता होती है, जिसकी मांग सबसे ज्यादा होती है। लेकिन खपत बढ़ाने के लिए मिलावटखोर इन उत्पादों को सोडा, डिटरजेंट, कास्टिक सोडा, यूरिया और चर्बी का प्रयोग कर तैयार करके बाजार में बेचते हैं, जिसके दुष्परिणाम मनुष्य की स्वास्थ्य समस्याओं के रूप में सामने आते हैं। त्योहार के समय यह मिलावट चरम पर होती है, क्योंकि दूध, मावे की मांग काफी होती है और इससे व्यापारियों को मुनाफा होता है।

यही कारण है कि मिलावटखोरों द्वारा सिंथेटिक दूध, मावा और अन्य सामान धड़ल्ले से तैयार किया जाता है। इसमें प्रयोग की जाने वाली चीजें इतनी घातक होती हैं, कि कल्पना भी नहीं की जा सकती। मिलावटी मिठाईयों को सस्ते और हानिकारक रंगों का इस्तेमाल कर, बाजार में इतना सजाकर और आकर्षक बनाकर बेचा जाता है, कि उसके नकारात्मक परिणामों को जाने बिना आप उसे खरीदकर घर ले आते हैं, और बच्चे व परिवार के सभी लोग उसे स्वाद से खाते भी हैं। लेकिन इसके परिणाम आपके और परिवार के लिए बेहद घातक साबित हो सकते हैं।

हम आपको बताते हैं किस तरह से घर पर ही करें मिलावट की पहचान
मैनपुरी। अगर आप होली की मिठास को बनाये रखना चाहते हैं, तो थोड़ा सम्हल जायें, क्योंकि मिलावटखोर इस मिठास में कड़वाहट घोल सकते हैं। त्यौहारी सीजन आते ही मिलावटखोर सक्रिय हो जाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि थोड़ी सी सतर्कता बरती जाये तो खाद्य पदार्थों में मिलावट का आसानी से पता चल सकता है और इनकी जाँच घर बैठे ही की जा सकती है।

पनीर। स्टॉर्च की मिलावट होती है। इससे पनीर की रंगत निखर जाती है।
ऐसे करें पहचान- पनीर को पानी में उबालकर ठण्डा कर लें। इसके बाद इसमें थोड़ा, सा आयोडीन सॉल्यूशन डालें, नीला रंग स्टार्च की मिलावट साबित कर देगा।

मावा- वजन बढ़ाने के लिये मावे में शकरकंद, सिंघाड़े का आटा, आलू और मैदा मिलाया जाता है।
ऐसे करें पहचान- मावे पर टिंचर आयोडीन की कुछ बूंदे डालें। अगर मावे का रंग नीला या काला हो जाये तो मावा मिलावटी है। शुद्ध होने पर मावे का रंग लाल रहेगा।

दूध- इसमें अक्सर डिटर्जेंट, पानी और यूरिया मिलाया जाता है। सिंथेटिक दूध खतरनाक होता है।
ऐसे करें पहचान- आधे कप दूध में पानी डालें। झाग निकले तो मिलावट हो सकती है। दूध की एक बूंद को अंगुलियों में रगड़ें। साबुन जैसी चिकनाहट हो तो दूध सिंथेटिक हो सकता है।

घी- इसमें आलू, आरारोट और रिफाइंड ऑइल आदि मिलाया जाता है।
ऐसे करें पहचान- एक चम्मच घी में कुछ बूंदें हाइड्रो क्लोरिक एसिड और चीनी मिलाएं। 05 मिनिट बाद रंग लाल या गुलाबी हो तो मिलावट है। टिंचर आयोडीन के टेस्ट में स्टॉर्च की मिलावट से नीला रंग आता है।
मिर्च पावडर- ईंट का बारीक चूरा मिलाया जाता है। नमक या फिर टैल्कम पॉवडर भी मिलाया जाता है।
ऐसे करें पहचान- मिर्च पॉवडर को पानी भरे गिलास में डालें। ईंट का चूरा नीचे बैठ जायेगा। वहीं पानी का रंग लाल हो जाये तो समझ लें कि मिर्च में मिलावट है।

हींग- हींग में चाक, आटा, साबुन या गोंद मिलायी जाती है। ऐसे करें पहचान- हींग के एक टुकड़े पर आग लगायें। अगर कपूर की भांति जले तो समझ लें कि हींग सौ फीसदी शुद्ध है।

हल्दी- यह होती है मिलावट, लकड़ी का बुरादा मिलाया जाता है। कई बार लेड क्रोमेट धातु भी मिला देते हैं।
ऐसे करें पहचान- सांद्र हाइड्रो क्लोरिक एसिड डालें। गुलाबी रंग आये, तो उसमें पानी डालें। उसके बाद भी रंग न बदले, तो मिलावट है।

काली मिर्च- यह होती है मिलावट, काली मिर्च में पपीते के बीज मिलाये जाते हैं।
ऐसे करें पहचान- काली मिर्च को एल्कोहल (रेक्टिफाइड स्पिरिट) में डालें। काली मिर्च नीचे बैठ जायेगी, पपीते के बीज व लाइट ब्लेक पेपर ऊपर तैरने लगेंगे। वहीं जानकारों और चिकित्सकों का कहना है कि खाद्य सामग्री में मिले रसायन कैंसर, दिमाग की बीमारी, तंत्रिका तंत्र की खराबी, नपुंसकता, त्वचा रोग, एलर्जी, नवजात बच्चों की मृत्यु और महामारी जैसी घातक बीमारियों के लिये जिम्मेदार होते हैं। अब इतने बड़े स्तर पर मिलावट होने की संभावना कम है।