शहजाद अंसारी
बिजनौर। उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने पुलिस महकमे में आमूल चूल परिवर्तन करने की ठान ली है अब अफसरों की चापलूसी या राजनीतिक जुगाड़ लगाकर थाने का चार्ज पाना इंस्पेक्टर व दरोगाओं के लिए आसान नहीं होगा। क्योंकि सूबे के डीजीपी ने इंस्पेक्टरों की तैनाती के लिए नए मानक जारी कर दिए हैं इससे दागी दरोगाओं और इंस्पेक्टरों में हड़कम्प मच गया है वहीं अब योग्य लोगों के लिए इंस्पेक्टर का चार्ज पाना आसान हो गया है।
सूबे के डीजीपी ओपी सिंह ने दशकों से चली आ रही पुलिस व्यवस्था में सुधार का मन बना लिया है अब इंस्पेक्टरों को थानों में तैनाती में एसपी स्तर से चला आ रहा खेल नहीं चल पाएगा ज्यादातर इंस्पेक्टर अफसरों की चापलूसी व फीलगुड के जरिये थानों के चार्ज पा जाते थे और योग्य लोग मेहनत के बावजूद मुँह ताकते रह जाते थे इसका प्रभाव सूबे में क्राइम कंट्रोल पर भी पड़ा अपराध कम होने की बजाय बढ़ते ही जा रहे थे सिफारिशों से चार्ज पाए नकारा इंस्पेक्टरों के कारनामों से प्रदेश में सरकार व पुलिस की खासी किरकिरी भी हुई है लेकिन अब चापलूसी फीलगुड या राजनीतिक पहुंच के बल पर थानों के चार्ज पाना आसान नहीं होगा।
डीजीपी ओपी सिंह ने 07 अगस्त 2019 को अपने आदेश में समस्त जोनल अपर पुलिस महानिदेशक, परिक्षेत्रीय पुलिस महानिरिक्षक व समस्त जनपदों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देशित करते हुए कहा है कि थानाध्यक्ष पद पर तैनाती के लिये मानक व तैनाती की प्रक्रिया के बारे में विस्तृत रूप से निर्देशित किया है जिसके अनुसार व्यवहारिक प्रशिक्षण को छोड़कर तीन वर्ष का अनुभव प्राप्त दरोगा, अधिकतम 58 वर्ष तक के दारोगा, 5 वर्ष की सत्यनिष्ठा वाले व 3 वर्षों मे गम्भीर दण्ड व प्रतिकूल प्रविष्ठि न पाये हुए दरोगा थानाध्यक्ष की तैनाती के लिए पात्र होंगे वहीं प्रभारी निरीक्षक के लिए मानक के अलावा वरिष्ठता सूची को एसपी अपनी संस्तुति के साथ डीआईजी आईजी को प्रेषित करेंगे और समीक्षा के बाद सात दिन में अनुमोदन करेंगे इस तरह वरिष्ठता सूची के आधार पर थानाध्यक्ष के पद पर उनकी तैनाती की जाएगी अनुमोदित होने के बाद यदि उसकी प्रतिकूल प्रविष्टि पाता है तो आईजी द्वारा उसे हटा दिया जाएगा और आगे छह माह तक ऐसे उपनिरीक्षक या निरीक्षक को थाने का चार्ज नहीं मिल सकेगा।
हर वर्ष जनवरी व जुलाई माह में इस सूची की समीक्षा की जाएगी जब भी कोई इंस्पेक्टर थाने की तैनाती से हटाया जाएगा या किसी कनिष्ठ को तैनाती दी जाएगी तो उसकी सूचना कारण सहित आईजी व डीआईजी को दी जाएगी। प्रशासनिक आधार पर हटाये गये इंस्पेक्टर को एक वर्ष और यदि अपवाद स्वरूप किसी अन्य जनपद में अटैच किया जाता है तो किसी भी दशा में उस जनपद में थाने का चार्ज नहीं दिया जाएगा। इस आदेश से जहां मेहनती कर्मठ और ईमानदार निरीक्षकों व उपनिरीक्षकों में खुशी है वहीं कामचोर, चापलूस और अपराधियों व माफियाओ से सांठगांठ रखने वाले व राजनीतिक आकाओ की परिक्रमा करने वाले दरोगाओं व इंस्पेक्टरों नींद उड़ गई है।