नई दिल्ली: आइडिया और वोडाफोन का विलय पूरा हो गया है। इसके बाद भारती एयरटेल अब देश की नंबर एक टेलीकॉम कंपनी नहीं है। जियो के आने के बाद टेलीकॉम कंपनियों की कमाई पर बड़ा असर पड़ा। जियो के सस्ते टैरिफ का मुकाबला कोई भी नहीं कर पाया। इस कारण कंपनियों की कमाई पर असर पड़ा। इसी के चलते 20 मार्च 2017 को आइडिया और वोडाफोन ने अपने विलय का एलान किया। आइडिया और वोडाफोन का विलय पूरा हो चुका है। कंपनी ने एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी। इस खबर के बाद आइडिया के शेयर में तेजी आ गई।
https://twitter.com/Idea/status/1035490105023180800
शुक्रवार को आइडिया के शेयर भाव में 1.81 फीसदी की तेजी आई। शेयर की कीमत 50.75 रुपए हो गई। दूसरी तरफ एयरटेल के शेयर के भाव में 0.25 फीसदी की गिरावट आ गई। एयरटेल के शेयर का भाव 382.75 रुपए है।
इस मंजूरी के बाद आइडिया और वोडाफोन का विलय लगभग पूरा हो गया है। ये नई कंपनी सब्सक्राइबर और आय के मामले में अब नंबर एक स्थान पर आ गई है। एयरटेल पिछले 15 साल से भारत की नंबर 1 टेलीकॉम कंपनी थी। वोडाफोन और आइडिया के विलय से जो कंपनी बनी है उसके देश में 40.8 करोड़ सब्सक्राइबर हैं। भारत के टेलीकॉम सेक्टर में इनका अब 32.2 फीसदी हिस्सा है। कंपनी 9 सर्किल में नंबर वन है।
https://twitter.com/VodafoneIN/status/1035493118026690561
आइडिया और वोडाफोन के ब्रांड अलग-अलग काम करते रहेंगे। इस विलय सके बाद आइडिया में 6700 करोड़ की पूंजी डाली जाएगी और वोडाफोन में 8600 करोड़ रुपए निवेश होगा। 30 जून तक इस कंपनी का कर्ज 1.09 लाख करोड़ रुपए था।
Bringing people together since 2016. ❤️@VodafoneIN @Idea #WithLoveFromJio https://t.co/A7iDw6awvK
— Reliance Jio (@reliancejio) August 31, 2018
इस नई कंपनी की आय 60 हजार करोड़ होगी और इसके ऊपर 1.15 लाख करोड़ का कर्ज है। अब देश में प्राइवेट सेक्टर में सिर्फ 3 बड़ी टेलीकॉम कंपनी ही बची है। इसमें रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया शामिल हैं। अब आइडिया और वोडाफोन के सामने सबसे बड़ी चुनौती 4जी सेवा पर ध्यान देना है। इसके अलावा अब मार्केट में BSNL के अलावा तीन कंपनियों के बचने से टैरिफ बढ़ने की उम्मीद है।
NCLT की मंजूरी किसी भी विलय का आखिरी चरण है। ये भी कंपनी को मिल गई है। इसके बाद नई कंपनी रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में रजिस्टर होगी। वोडाफोन आइडिया लिस्टेड कंपनी बनी रहेगी। आगे चलकर इन दोनों कंपनियों के विलय से 70 हजार करोड़ रुपए की बचत संभव होगी। आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला इस नई कंपनी के चेयरमैन होंगे। वही वोडाफोन के सीओओ बालेश शर्मा इस नई कंपनी के सीईओ होंगे।