भाजपा को उल्टी न पड़ जाये “रावण की रिहाई”!

 मेरठ : भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद उर्फ रावण को सहारनपुर की जेल से रिहा कर दिया गया है. चंद्रशेखर आज़ाद ‘रावण’ को मई 2017 में सहारनपुर में जातीय दंगा फैलाने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासूका) के तहत जेल भेजा गया था. रावण को गुरुवार रात 2:30 बजे जेल से रिहा किया गया.

पश्चिमी यूपी में दलितों को जोड़ने के लिए सहारनपुर दंगे के आरोपी भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर उर्फ रावण को रिहा करने का फैसला बीजेपी के लिए घाटे का सौदा साबित हो सकता है। माना जा रहा था कि पश्चिमी यूपी में दलितों में मजबूत पकड़ रखने वाले चंद्रशेखर की रिहाई से बीजेपी बीएसपी के लिए मुसीबत खड़ी करेगी लेकिन जेल से बाहर आने के बाद चंद्रशेखर के बीजेपी विरोधी तेवर देखकर दांव उल्टा पड़ता नजर आ रहा है।

रावण ने रिहा होने के बाद साफ कर दिया कि अब मिशन बीजेपी को हराना है। उन्होंने यह भी कहा कि गैर-बीजेपी दलों के बनने वाले गठबंधन को संगठन का साथ रहेगा। इतना ही नहीं रावण ने दावा कर दिया कि एक भी दलित बीजेपी के पक्ष में कमल पर वोट नहीं नहीं देता। रावण के ये तीखे बोल बीजेपी को चुभ रहे हैं। इस विरोधी रुख से बीजेपी में फिलहाल सन्नाटा हैं। इसके उलट बीएसपी और दलितों में उत्साह दिख रहा है।

2017 में साहरनपुर हिंसा के बाद गिरफ्तार किए गए भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर के तेवर जेल से बाहर आने के बाद जिस तरह बीजेपी विरोधी दिखे उसकी उम्मीद भगवा टीम को कम ही थी। दरअसल, बीएसपी का पुख्ता वोटबैंक कहे जाने वाले दलितों ने मोदी लहर में 2014 के आम चुनाव में हाथी की सवारी छोड़ दी थी। उसके बाद 2017 में भी दलितों का बड़ा हिस्सा कमल के फूल पर ही निशान लगाने बूथों पर पहुंचा था।

सहारनपुर हिंसा, SC-ST ऐक्ट में बदलाव.. और दलितों का आक्रोश
पहली बार दलितों ने वोट डालने के बाद बीजेपी का समर्थन करने की खुलकर बात कही थी, लेकिन सरकार बनने के बाद सहारनपुर और शब्बीरपुर हिंसा, दो अप्रैल की वेस्ट यूपी में हिंसा, एससीएसटी ऐक्ट में बदलाव में कमजोर पैरवी के आरोप लगाने से दलित बीजेपी से अलग होने लगे थे। सहारनपुर हिंसा के बाद बीजेपी से दलितों की नाराजगी नगर निकाय चुनाव में साफ दिखी थी। दलित बीजेपी के खिलाफ एकजुट हो गया था।

कैराना-नूरपुर में दिखा था असर
बीजेपी के गढ़ मेरठ नगर निगम समेत बड़ी तादाद में नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष गैरबीजेपी दलों ने जीते थे। सहारनुपर हिंसा के बाद वेस्ट यूपी में भीम आर्मी मजबूत संगठन बनकर उभरी। चंद्रशेखर उर्फ रावण दलितों के हीरो माने जाने लगे। इसका असर कैराना और नूरपुर उपचुनाव में दिखा।

बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक दलितों की इसी बेरुखी और भीम आर्मी असर से परेशान बीजेपी 2019 में बड़ा नुकसान रोकने के लिए उनको साधने में जुटी हैं। वेस्ट यूपी बीजेपी के अध्यक्ष अश्वनी त्यागी ने भी माना था कि कैराना चुनाव में हम भीम आर्मी के असर और विरोध की वजह से हारे।

प्रदेश कार्यकारिणी बैठक में लिया गया था फैसला
कहा जा रहा है कि बीजेपी की प्रदेश कार्यकारिणी बैठक में मेरठ में दलितों को जोड़ने पर सबसे ज्यादा जोर देकर रावण की रिहाई कराकर उनका साथ हासिल करने की रणनीति बनाई गई थी। बीजेपी संगठन के एक सीनियर पदाधिकारी का कहना है कि यह निर्णय हाईकमान का हैं, लेकिन जेल से बाहर आकर जिस तरह रावण बीजेपी के खिलाफ बोल बोल रहा है, उससे नहीं लगता कि वह दलितों को बीजेपी के पक्ष में आने में कोई मदद करेगा या उनको जेल से रिहा करने का कदम फायदेमंद होगा।

वहीं मायावती के लिए रावण ने साफ कहा कि हमारा उनके साथ कोई विरोध नहीं है। रावण ने कहा, ‘वे मेरी बुआ हैं। मैं उनका सम्मान करता हूं।’ बीएसपी के कोर्डिनेटर दिनेश काजीपुर का कहना है कि दलितों का सम्मान बीजेपी में कभी नहीं हुआ। दलित सियासी तौर पर एकजुट होकर बहनजी के साथ हैं।

आइए जानते हैं अब तक इस पूरे मामले में कब-कब क्या हुआ

5 मई, 2017- सहारनपुर से करीब 25 किलोमीटर दूर शिमलाना में महाराणा प्रताप जयंती का आयोजन किया गया. इसमें शामिल होने जा रहे युवकों की शोभा यात्रा पर दलितों ने आपत्ति जताई थी और पुलिस बुला ली गई. विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों तरफ से पथराव होने लगे थे, जिसमें ठाकुर जाति के एक युवक की मौत हो गई थी. इसके बाद शिमलाना गांव में जुटे हज़ारों लोग करीब तीन किलोमीटर दूर शब्बीरपुर गांव पहुंच गए. यहां भीड़ ने दलितों के 25 घर जला दिए थे. इस हिंसा में 14 दलित गंभीर रूप से घायल हो गए थे.

9 मई, 2017- दलित युवाओं के संगठन भीम आर्मी ने सहारनपुर के गांधी पार्क में एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया. इसमें हजारों प्रदर्शनकारी जमा हुए थे. पुलिस ने इन्हें रोकने की कोशिश की थी. पुलिस के रोकने के कारण प्रदर्शनकारियों का आक्रोश बढ़ा और गई जगहों पर भीड़ और पुलिस में झड़पें हुईं.

21 मई, 2017 – दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक प्रदर्शन का आयोजन किया गया. इसमें चंद्रशेखर रावण सार्वजनिक रूप से सामने आया. इसके तीन दिन बाद बसपा सुप्रीमो मायावती शब्बीरपुर के पीड़ित दलित परिवारों से मिलने गईं. मायावती की सभा से लौट रहे दलितों पर ठाकुर समुदाय के लोगों ने हमला कर दिया था, जिसमें एक दलित युवक की मौत हो गई थी. तनाव और हिंसा पर काबू न पाने के कारण सहारनपुर के दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों, एसएसपी और जिलाधिकारी को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने निलंबित कर दिया था.

8 जून, 2017- उत्तर प्रदेश पुलिस ने भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को हिमाचल प्रदेश के डलहौजी से गिरफ़्तार कर लिया था.

2 नवंबर 2017- चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सभी मामलों में जमानत दे दी. चंद्रशेखर को दंगे से जुड़े सभी चार मामलों में जमानत मिली. उस पर सहारनपुर में हत्या के प्रयास, आगजनी और अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज था.

4 नवंबर 2017- चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी राहत नहीं मिली. चंद्रशेखर को बेल मिलने के बाद पुलिस ने उसके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत केस दर्ज किया.

28 जनवरी 2018- योगी सरकार ने चंद्रशेखर पर रासुका की अवधि तीन माह के लिए बढ़ाई.

14 सितंबर 2018- चंद्रशेखर आजाद को जेल से रिहा किया गया.

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