नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार 1 सितबंर को कहा कि किसी भी अवैध शादी से जन्मी संतान का उनके माता-पिता की अर्जित और पैतृक प्रॉपर्टी में अधिकार होगा। ऐसे मामलों में बेटियां भी प्रॉपर्टी में बराबर की हकदार होंगी। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अवैध शादी से जन्मे बच्चे वैध होते हैं। माता-पिता की संपत्ति पर उनका उतना ही अधिकार है, जितना की वैध शादी में दंपती के बच्चे का होता है।
ज्वाइंट हिंदू फैमिली पर ही लागू होगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला
हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के तहत किसी शादी को दो आधार पर अमान्य माना जाता है- एक शादी के दिन से ही और दूसरा जिसे अदालत डिक्री देकर अमान्य घोषित कर दे। हिंदू सक्सेशन लॉ के आधार पर अमान्य शादियों में जन्मी संतान माता-पिता की संपत्ति पर दावा कर सकते हैं। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि उनका यह फैसला केवल हिंदू मिताक्षरा कानून के तहत ज्वाइंट हिंदू फैमिली की संपत्तियों पर ही लागू होगा।
साल 2011 की याचिका पर आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला 2011 में दायर एक याचिका पर सुनाया, जिसमें हिंदू विवाह अधिनियम, धारा 16(3) को चुनौती दी गई थी। इस एक्ट के तहत अवैध शादी से पैदा हुए बच्चे केवल अपने माता-पिता की संपत्ति के हकदार हैं। माता-पिता की पैतृक का किसी दूसरी संपत्ति पर उनका अधिकार नहीं होता। पति की खरीदी संपत्ति में पत्नी बराबर की हकदार:मद्रास हाईकोर्ट बोला- भले पैसा पति ने कमाया, लेकिन यह पत्नी की वजह से संभव
एक महत्वपूर्ण फैसले में मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि एक पत्नी, उस संपत्ति में बराबर की हकदार हे, जिसे उसके पति ने अपने नाम पर खरीदा है। ऐसा इसलिए क्योंकि उसने घरेलू कामकाज करके पारिवारिक संपत्ति के बनाने और खरीदने में अप्रत्यक्ष रूप से योगदान दिया है।
जस्टिस कृष्णन रामासामी ने कहा कि हालांकि वर्तमान में ऐसा कोई कानून नहीं है जो पत्नी के योगदान को मान्यता देता हो, कोर्ट ही इसे अच्छी तरह मान्यता दे सकता है। कानून भी किसी जज को पत्नी के योगदान को मान्यता देने से नहीं रोकता है।
गोद लिया बच्चा असली पेरेंट्स से नहीं मांग सकता प्रॉपर्टी:दूसरी शादी, लिव-इन से हुए बच्चे के क्या हैं अधिकार
तेलंगाना हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि गोद लेने के बाद वो बच्चा अपने जन्म देने वाले परिवार का सहदायिक नहीं होता। हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत, सहदायिक शब्द का इस्तेमाल उस व्यक्ति के लिए किया जाता है, जिसे हिंदू अविभाजित परिवार यानी हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली में जन्म से ही पैतृक संपत्ति में कानूनी अधिकार मिलता है।