नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने राजधानी के बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित ‘हेराल्ड हाउस’ को खाली करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर शुक्रवार को रोक लगा दी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने अंग्रेजी समाचार पत्र नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल की याचिका की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगायी, साथ ही केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया।
गौरतलब है कि गत 28 फरवरी को उच्च न्यायालय की दो-सदस्यीय खंडपीठ ने हेराल्ड हाउस खाली करने का आदेश दिया। मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायमूर्ति वी. कामेश्वर राव की खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश पर मुहर लगायी थी। केंद्र सरकार के भू-सम्पदा अधिकारी ने 30 अक्टूबर, 2018 को एक आदेश जारी करके एजेएल को 15 नवम्बर, 2018 तक हेराल्ड हाउस खाली करने को कहा था। एजेएल ने उस आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ के समक्ष चुनौती दी थी, जिसने गत वर्ष दिसम्बर में भू-सम्पदा विभाग के आदेश को सही ठहराया था।
एजेएल ने एकल पीठ के आदेश को एक बार फिर दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी। एजेएल ने वकील प्रियांशा इंद्र शर्मा के जरिये दायर अपील में कहा था कि एकल पीठ ने फैसला देने में जल्दबाजी दिखायी और उसने केंद्र से लिखित जवाब/ हलफनामा मांगना भी उचित नहीं समझा था। केंद्र सरकार की दलील थी कि हेराल्ड हाउस से फिलहाल ‘नेशनल हेराल्ड’ का प्रकाशन नहीं हो रहा है, और एजेएल इससे किराया कमा रही है। एजेएल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने जिरह की थी, जबकि केंद्र का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा था।