बिजनौर : हाथियों के झुंड़ फसलों व किसानों की जान को पहुंचा रहे नुकसान, रोष

शहजाद अंसारी

बिजनौर। जनपद के करीब सोना नदी रेंज तथा कार्बेट नेशनल पार्क होने के कारण ऐलिफेंट जोंन में हाथियों की आवाजाही सर्दियों में बढ गई है और वह जनपद के सीमावर्ती ग्रामों में जमकर उत्पात मचा रहे है। और फसलों व ग्रामीणों के डेरों को नुकसान पहुंचा रहे है। अपने खेतों से आ रहे ग्रामीणों को हाथियों के झूंठ ने काफी दूर तक दौडा दिया और उन्हें बामुश्किल अपनी जान बचानी पडी। हाथियों के आतंक से परेशान ग्रामीणों को रात रातभर जागकर फसलों की रक्षा के लिए पहरा देना पड रहा है। ग्रामीणों ने अपनी जान व फसलों की सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन व वन विभाग से गुहार लगाते हुए उत्पाती हाथियों के झूंड से निजात दिलाने की मांग की है।

जनपद बिजनौर की नगीना तहसील का सीमावर्ती क्षेत्र उत्तराखण्ड के सोना नदी रेंज व विश्व प्रसिद्व जिम कार्बेट नैशनल पार्क से मिलता है। जो ऐलिफेंट जोंन के अंतर्गत आता है। जिसमें बढापुर, टांडामाईदास, साबूवाला, हल्दूवाला, वीरभानवाला, मदपुरी कुआखेडा, भूमिदान, ढकिया बावन सराय, हरबंसवाला आदि सहित सैकडों गांव आते है। जिनमें सर्दी की आमद शुरु होते ही हाथियों का आंतक शुरु हो जाता है। एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र की ओर विचरण करते हुए फसलों को रोंद देते है। और गन्ने की फसल को नुकसान पहुंचाते है।

इतना ही नही रास्ते में आने वाले डेरों को उजाडना और खेतो से लौट रहे ग्रामीणों को पटक पटककर मौत के घाट उतारना रोज की बात हो गई है। वही वन विभाग स्टाफ की कमी सन साधनो का रोना रो कर घटनाओं से पल्ला झाड लेते है। लेकिन उसके बावजूद ग्रामीणों की जिन्दगी से खिलवाड जारी है। यदि प्रति एक वर्ष के आंकडे जुटाए जाए तो हाथियों के हमले से दर्जानो लोगों की जाने जा चुकी है। लेकिन अभी तक भी प्रशासन ने ग्रामीणों व उनकी सुरक्षा के लिए कोई ठोस राणनीति नही बनाई है। यदि सोलर फैंसिंग लगा दी जाए तो ग्रामीणों की जान व फसलों के नुकसान से बचा जा सकता है। लेकिन वर्षो से उठ रही मांग को अभी तक अमल में नही लाया जा सका है और ग्रामीणों का जीवन भगवान भरोसे चल रहा है।

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