
विधानसभा चुनाव में नतीजों के आने के बाद से भाजपा की सरकार बनकर यूपी में छाने लगी। बता दें कि ठीक एक महीने पहले ही 25 मार्च को योगी 2.0 सरकार ने शपथ ली थी। सरकार का मुखिया तो तय हो गया, लेकिन संगठन का मुखिया कौन? यूपी बीजेपी का नया बॉस कौन होगा? इसको लेकर चर्चा जोरों पर है। जानकारी के मुताबिक, यूपी भाजपा के अध्यक्ष पद के लिए कुछ नाम फाइनल भी कर दिए हैं। इन नामों में एक पर शीर्ष नेतृत्व की आखिरी मुहर का इंतजार है।
जानिए कौन हैं पश्चिम यूपी का बड़ा ब्राह्मण चेहरा?
जिन नामों को यूपी भाजपा ने तय किया है, उसमें एक नाम भाजपा के अलीगढ़ सांसद सतीश कुमार गौतम का है। यह नाम रेस में सबसे आगे हैं। इसकी दो अहम वजह हैं। पहली, जातीय और क्षेत्रीय समीकरण में फीट बैठना। दूसरी, पश्चिम यूपी का वह बड़ा ब्राह्मण चेहरा हैं।
आखिर क्यों भाजपा के ईर्द-गिर्द घूम रहा सतीश गौतम का नाम
दरअसल, भाजपा अध्यक्ष पद के लिए अपना पुराना और सफल फॉर्मूला अपनाने जा रही है। इसमें ब्राह्मण जाति फिट बैठती है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक, कई नामों की चर्चा के बाद सतीश गौतम का नाम लगभग फाइनल है। उनको अगला यूपी भाजपा अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
भाजपा सूत्र बताते हैं कि सतीश गौतम उस खांचे में फिट बैठते हैं जो पार्टी ने तैयार किया है। साल 2014 में पहली बार अलीगढ़ से भाजपा के सांसद बने सतीश 2019 में भी सपा-बसपा गठबंधन होने के बावजूद इस सीट पर शानदार जीत दर्ज की थी।
सतीश गौतम मुस्लिम विश्वविद्यालय मुद्दों को लेकर सुर्खियों में
सतीश गौतम अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मुद्दों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। एएमयू में दलित एवं पिछड़ों के आरक्षण के सवाल को संसद में उठाया था। एएमयू में मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को लेकर भी लगातार सक्रिय रहे हैं।
जानिए रेस में दूसरा नाम किसका होगा
सतीश गौतम के साथ ही जातीय-क्षेत्रीय समीकरण में फीट बैठने वाला दूसरा नाम सांसद सुब्रत पाठक का है। सुब्रत को पार्टी ब्राह्मण चेहरे के तौर पर इस्तेमाल करती रही है। सुब्रत ने अखिलेश यादव के गढ़ कन्नौज लोकसभा सीट से डिंपल यादव को हराया था। वैसे योगी मंत्रिमंडल में पूर्वांचल, सेंट्रल यूपी और अवध का प्रतिनिधित्व है। इस लिहाज से पश्चिमी यूपी के प्रतिनिधित्व के लिए भी सुब्रत के नाम की चर्चा हो रही है।
हालांकि, आखिरी गेंद में मास्टर स्ट्रोक खेलने में माहिर भाजपा में दलित नेताओं पर भी चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि बदलती परिस्थितियों में दलित वर्ग का कोई नेता का नाम भी सामने आ सकता है। इसकी वजह है विधानसभा चुनाव में अच्छी-खासी संख्या में दलित वोट भाजपा को मिलना। यह वोट बैंक बसपा का माना जाता था।
चुनावी नतीजों ने भाजपा का यह भरोसा मजबूत
चुनावी नतीजों ने भाजपा का यह भरोसा मजबूत किया है कि सवर्ण और पिछड़ों के साथ उसके मौजूदा वोटबैंक में अगर दलित वोट बैंक भी जुड़ता है तो उसके लिए लोकसभा चुनाव की लड़ाई और आसान हो जाएगी। इस खांचे में विनोद और विधासागर सोनकर जैसे नेताओं के नाम की भी चर्चा हुई है।
भाजपा में एक व्यक्ति और एक पद का फॉर्मूला
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह को योगी मंत्रिमंडल में शामिल कर जल शक्ति मंत्री बना दिया गया है। पार्टी की नीति एक व्यक्ति, एक पद की है।